Dainik Bhaskar रोहित को खेल रत्न की घोषणा के बाद बॉक्सर अमित ने कहा- क्रिकेटर्स के आगे 100 देशों से भिड़ने वाले ओलिंपियंस हमेशा नजरअंदाज होते हैं
नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड के लिए नामों की घोषणा कर दी गई है। इस बार खेल रत्न के लिए क्रिकेटर रोहित शर्मा और महिला रेसलर विनेश फोगाट समेत 5 नाम तय किए हैं। खेल के सबसे बड़े सम्मान के लिए वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने वाले अमित पंघाल की अनदेखी की गई है। ऐसे में उन्होंने भास्कर से बात करते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की।
पंघाल ने कहा कि 10-12 देश में खेले जाने वाले क्रिकेट के लिए 80 से 100 देशों से लड़कर देश के लिए मेडल जीतने वाले ओलिंपियंस को हमेशा ही नजरअंदाज किया जाता रहा है। इससे पहले अमित का दो बार अर्जुन अवॉर्ड के लिए भी नाम भेजा गया था। तब भी वे खाली हाथ ही रहे।
पंघाल के कोच को भी द्रोणाचार्य सम्मान नहीं मिला
इस बार अमित का नाम खेल रत्न और उनके कोच अनिल धनवड़ का नाम द्रोणाचार्य सम्मान के लिए भेजा था, लेकिन दोनों ही नजरअंदाज रहे। वहीं, क्रिकेट में रोहित के अलावा ईशांत शर्मा और महिला क्रिकेटर दीप्ति शर्मा को अर्जुन अवॉर्ड के लिए चुना गया है। इनके साथ 27 और दिग्गजों को अर्जुन अवॉर्ड के लिए चुना गया। क्रिकेटर्स के सेलेक्शन के लिए कोई पॉइंट सिस्टम नहीं होता है। उन्हें कमेटी में बहुमत के आधार पर चुना जाता है। इन सभी मुद्दों पर अमित पंघाल ने भास्कर से बात की...
- आपका और आपके कोच अनिल धनकड़ के नाम की सिफारिश अवॉर्ड के लिए नहीं की गई है, इस पर क्या कहना है?
खेल रत्न अवॉर्ड हो या द्रोणाचार्य अवॉर्ड, सभी में ऐसे लोगों के नामों की सिफारिश की गई है, जो पॉइंट सिस्टम के हिसाब से कहीं भी नहीं आते हैं। खेल रत्न में मुझसे कम पॉइंट वाले खिलाड़ी के नाम की सिफारिश की गई है। उसी तरह द्रोणाचार्य सम्मान के लिए भी मेरे कोच अनिल धनकड़ इसके हकदार थे, लेकिन उनके नाम की भी अनदेखी की गई है। मैं पहले से ही कहता आ रहा हूं कि खेल नीति में बदलाव की जरूरत है। खेल अवॉर्ड में पारदर्शिता लाने की जरूरत है। कहीं ऐसा न हो, कि इस अवॉर्ड का महत्व ही खत्म हो जाए।
- आपने खेल मंत्रालय को पत्र लिखा था। क्या उसका जवाब आया?
जब अवॉर्ड प्रक्रिया शुरू हुई थी, तब से ही मैं खेल नीति में बदलाव की मांग कर रहा था। मैंने खेल मंत्री किरण रिजिजू को भी खेल नीति में बदलाव करने और सेल्फ नॉमिनेशन की प्रोसेस को खत्म करने के लिए पत्र लिखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। मैं शुरू से कह रहा हूं कि अवॉर्ड में पारदर्शिता लाने की जरूरत है। ताकि इस अवॉर्ड की गरिमा बनी रहे और खिलाड़ियों का इस अवॉर्ड से मोह-भंग न हो। सही मायने में जो हकदार हो, उसे ही अवॉर्ड मिलना चाहिए।
- पहली बार ऐसा हुआ कि खेल रत्न से सम्मानित खिलाड़ियों को अर्जुन अवॉर्ड दिया गया है? इसे आप किस नजरिए से देखते हैं?
खेल रत्न स्पोर्ट्स का सबसे बड़ा अवॉर्ड है। जब आप किसी को बड़े अवॉर्ड दे चुके हैं, तो उसे छोटे अवॉर्ड क्यों दे रहे हैं। छोटे अवॉर्ड के बाद बड़ा अवॉर्ड दिया जाना तो समझ में आता है, लेकिन बड़े अवॉर्ड के बाद छोटे अवॉर्ड देना सही नहीं है। उसकी बजाए आपको ऐसे युवा खिलाड़ियों को सम्मानित करना चाहिए, जिसे कोई भी अवॉर्ड नहीं मिला हो। वे इससे प्रेरित होते हैं और आगे बड़े अवॉर्ड पाने के लिए मेहनत करते हैं।
- क्रिकेटर्स को खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड मिला है, इस पर क्या कहना है?
हर बार क्रिकेटर्स को अर्जुन या खेल रत्न अवॉर्ड दिया जाता है। जबकि क्रिकेट सिर्फ 10- 12 देश ही खेलते हैं। नियम के अनुसार पॉइंट न होने के बाद भी क्रिकेट को हर साल कोई न कोई अवॉर्ड दिया जाता है। इसकी वजह से इंडिविजुअल गेम के वे खिलाड़ी पिछड़ जाते हैं, जो 80 से 100 देशों के खिलाड़ियों से मुकाबला करके देश के लिए मेडल जीतते हैं। मंत्रालय को क्रिकेट की जगह पर इन खेलों के खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना चाहिए। उनका हक नहीं मारना चाहिए। मंत्रालय ऐसा करता है, तो मैं भी उसका शुक्रिया अदा करूंगा।
- क्या डोपिंग में फंसे होने के कारण आपके नाम विचार नहीं किया जा रहा है?
मैं जाने-अनजाने में डोपिंग में फंसा था, लेकिन उस एक गलती की सजा कब तक मिलती रहेगी। उस गलती को भुलाकर मैं लगातार बेहतर कर रहा हूं। उसके बाद भी मुझे सम्मानित नहीं किया जा रहा है।
- अवॉर्ड के लिए अपने नाम की अनदेखी के लिए कोर्ट में जाएंगे?
मैं कोर्ट में नहीं जाऊंगा, लेकिन मेरे कोच अनिल धनखड़ की अनदेखी की गई है, उनके लिए जाना पड़े तो मैं जरूर कोर्ट जाऊंगा। मुझे पता है कि मैं अपने नाम की अनदेखी के लिए कोर्ट में जाऊंगा, तो मुझे अवॉर्ड मिल जाएगा, लेकिन मैं चाहता हूं कि यह अवॉर्ड मुझे खेल मंत्रालय पूरे सम्मान के साथ दे।
- तीसरी बार आपके नाम की अनदेखी की गई है, क्या आप अवॉर्ड के लिए अप्लाई करते रहेंगे?
पहले दो बार अर्जुन अवॉर्ड के लिए और इस बार बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने खेल रत्न के लिए मेरे नाम की सिफारिश की थी। हर बार मेरे नाम की अनदेखी की गई है। मैं तब तक इस अवॉर्ड के लिए अप्लाई करता रहूंगा, जब तक मुझे मिल नहीं जाता। मैं इस अवॉर्ड का हकदार हूं। फिलहाल मैं अपने लक्ष्य पर फोकस कर रहा हूं। अभी मेरा लक्ष्य ओलिंपिक है, मुझे भरोसा है वह दिन भी आएगा, जब मुझे अवॉर्ड मिलेगा।
- अवॉर्ड नहीं मिलने से ओलिंपिक तैयारी पर कोई फर्क पड़ेगा?
जी बिल्कुल, कहीं न कहीं इस अवॉर्ड के नहीं मिलने से मेरा मनोबल गिरा है। अवॉर्ड मिलता तो मुझे मोटिवेशन मिलता है। मुझे लगता है कि हर वह खिलाड़ी निराश होगा, जो हकदार था। बल्कि यह सम्मान ऐसे लोगों को दिया गया, जो इसके लिए डिजर्व नहीं करता था। कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो ओलिंपिक तक भी नहीं पहुंच सकते, लेकिन उन्हें अवॉर्ड देकर प्रोत्साहित किया जा रहा है।
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