Dainik Bhaskar भारत के प्राइवेट सेक्टर की पहली मिसाइल तैयार, 12 माह में परीक्षण होगा; कुछ ही दिन पहले 101 रक्षा प्रोडक्ट्स के आयात पर बैन की घोषणा हुई है
रक्षा उत्पादन में भारत के निजी क्षेत्र से बड़ी खबर है। निजी क्षेत्र ने अपनी पहली मिसाइल बना ली है। तीसरी पीढ़ी की यह एंटी टैंक मिसाइल परीक्षण के लिए तैयार है। 12 महीने के भीतर इसका परीक्षण होने की उम्मीद है।
निजी क्षेत्र में मिसाइल बनाने की खबर ऐसे समय में आई है, जब रक्षा मंत्रालय ने देश में हथियार और रक्षा उपकरणों के बड़े पैमाने पर उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हफ्तेभर पहले ही 101 रक्षा उत्पादों के आयात पर बैन की घोषणा की थी।
इस काम को करने के लिए सोमवार को भारतीय सेना के शीर्ष अधिकारियों, रक्षा उत्पादन विभाग और निजी क्षेत्र के दिग्गजों के बीच विचार-विमर्श हुआ। इसके उद्घाटन सत्र में ही निजी क्षेत्र की मिसाइल तैयार होने का खुलासा हुआ। सेना के वाइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एसके सैनी ने उद्यमियों के बीच ऐलान किया कि सेना स्वदेशी हथियारों से लड़कर ही जंग जीतेगी। पर हमें ध्यान रखना है कि भविष्य की जंग कुछ अलग तरह की होंगी। हमें पुराने हथियार छोड़कर नई टेक्नोलॉजी पर फोकस करना होगा।
विचार-विमर्श में सेना के शीर्ष प्रतिनिधियों ने बताया कि स्वदेशी रक्षा उत्पादन के 30 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट पिछले 20 महीने में शुरू किए गए हैं। इस तरह के पहले प्रोजेक्ट का टेंडर पिछले महीने जारी किया गया, जो एयर डिफेंस मिसाइलों के लिए है। सेना ने 28 प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू किया है। इनमें से 13 प्रोजेक्ट निजी क्षेत्र ने अपनी सोच के आधार पर पेश किए हैं। 5000 करोड़ रुपए के नए प्रोजेक्ट की घोषणा जल्दी की जाएगी।
सेना ने देश में हथियार निर्माण के फायदे भी गिनाए
सैन्य प्रतिनिधियों ने कहा कि जंग के समय स्वदेशी हथियार सबसे भरोसेमंद साबित होते हैं। इनके चार रणनीतिक लाभ हैं:
- आयात पर दुश्मन की निगाह होती है। लेकिन देश में हथियार और गोला बारूद बनेगा तो शत्रु हमारे भंडार को जान नहीं सकता।
- गोला बारूद का बड़ा भंडार रखने की जरूरत नहीं। सिर्फ क्षमता हासिल करना जरूरी। जरूरत के हिसाब से तुरंत उत्पादन संभव।
- हथियारों की सुनिश्चित सप्लाई की गारंटी। बाहरी हथियारों की आपूर्ति दूसरे देश पर निर्भर।
- आयात पर निर्भरता से दूसरे देश पर रणनीतिक-कूटनीतिक दबाव की स्थिति नहीं।
दागने के लिए ट्राइपॉड की जरूरत नहीं
यह मिसाइल हैदराबाद की वीईएम टेक्नाेलाॅजीस ने तैयार की है। डीआरडीओ ने भी ऐसी एंटी टैंक मिसाइल बनाई थी। यह मिसाइल उससे हल्की है। 18 किलो की इस मिसाइल काे सैनिक अपने साथ आराम से ले जा सकता है। इसके वजन में 6 किलो की लॉन्च यूनिट भी शामिल है। इसे दागने के लिए ट्राइपॉड की जरूरत नहीं पड़ती। मिसाइल थर्मोग्राफिक कैमरा से लैस है। इसका इंफ्रारेड सीकर किसी भी एक्सप्लाेसिव रिएक्टिव आर्मर यानी रासायनिक ऊर्जा से प्रूफ बख्तरबंद वाहन को भी नेस्तनाबूद कर सकता है। इसे एंटी टेरर ऑपरेशन में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसकी रेंज 2.5 किलाेमीटर की है।
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