Dainik Bhaskar 3000 से ज्यादा जज और वकीलों का सुझाव- प्रशांत भूषण को दी जाने वाली सजा पर बड़ी बेंच के रिव्यू से पहले अमल न हो
कोर्ट की अवमानना के दोषी ठहराए गए सीनियर एडव्होकेट प्रशांत भूषण के समर्थन में कई जज और वकील आगे आए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इनकी संख्या 3000 से ज्यादा है। उन्होंने सुझाव दिया है कि कोर्ट के फैसले पर तब तक अमल नहीं किया जाना चाहिए, जब तक कि कोरोना महामारी के बाद शुरू होने वाली कोर्ट की नियमित सुनवाई में बड़ी बेंच इसका रिव्यू न कर ले।
प्रशांत के समर्थन आए लोगों ने अपने सुझाव में कहा, “हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते 72 घंटे में उठी सभी आवाजों को सुना होगा और न्याय को खत्म होने से रोकने के लिए सुधार करने वाले कदम उठाए जाएंगे, ताकि आम जनता में फिर से कोर्ट के लिए सम्मान और विश्वास पैदा हो सके।”
खुद प्रशांत भूषण ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाने वाले वकीलों को फ्री स्पीच के तहत ऐसा करने की इजाजत दी जानी चाहिए। भूषण 2009 में तहलका मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में अपनी टिप्पणी पर आपराधिक अवमानना के आरोपों का जवाब दे रहे थे। उनके वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वे इस मामले में रिव्यू पिटीशन दायर करेंगे।
3000 से ज्यादा जज और वकील के समर्थन में आने का दावा
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि प्रशांत भूषण के पक्ष में हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। इससे संबंधित एप्लीकेशन पर 13 जजों समेत 3000 से ज्यादा वकील दस्तखत कर चुके हैं। हालांकि, न्यूज एजेंसी पीटीआई ने इनकी संख्या 41 बताई है।
ये वकील प्रशांत के समर्थन में
प्रशांत भूषण के समर्थन में आए वकीलों में जनक द्वारकाधीश, नवरोज एच सीरवई, दाईरस जे खम्बाता, जयंत भूषण, अरविंद पी दातार, हुफेजा अहमदी, सीयू सिंह, श्याम दीवान, संजय हेगड़े, मिहिर देसाई, मनेका गुरुस्वामी के नाम सामने आए हैं।
14 अगस्त को दोषी ठहराया था
प्रशांत भूषण को जस्टिस अरुण मिश्र की अगुआई वाली 3 जजों की बेंच ने 14 अगस्त को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था। उन्होंने ज्युडिशियरी पर 2 अपमानजनक ट्वीट किए थे। अब इस मामले में 20 अगस्त को सजा पर बहस होनी है। उन्हें 6 महीने की कैद या 2000 रुपए जुर्माना या दोनों सजा सुनाई जा सकती है।
प्रशांत भूषण के इन 2 ट्वीट को अवमानना माना
पहला ट्वीट: 27 जून- जब इतिहासकार भारत के बीते 6 सालों को देखते हैं तो पाते हैं कि कैसे बिना इमरजेंसी के देश में लोकतंत्र खत्म किया गया। इसमें वे (इतिहासकार) सुप्रीम कोर्ट, खासकर 4 पूर्व सीजेआई की भूमिका पर सवाल उठाएंगे।
दूसरा ट्वीट: 29 जून- इसमें वरिष्ठ वकील ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे की हार्ले डेविडसन बाइक के साथ फोटो शेयर की। सीजेआई बोबडे की आलोचना करते हुए लिखा कि उन्होंने कोरोना दौर में अदालतों को बंद रखने का आदेश दिया था।
भूषण को पहले भी अवमानना का नोटिस दिया गया था
प्रशांत भूषण को नवंबर 2009 में भी सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का नोटिस दिया था। तब उन्होंने एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के कुछ जजों पर टिप्पणी की थी।
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