Header Ads



Dainik Bhaskar कांग्रेस का हिन्दू धर्म मतभेदों को स्वीकार करने के गांधीजी और विवेकानंद के विचारों पर आधारित है, वहीं भाजपा का हिन्दुत्व मतभेदों को खत्म करना चाहता है

बीते 5 अगस्त को राम मंदिर भूमि पूजन के संदर्भ में आलोचक कह रहे हैं कि कांग्रेस हिन्दुत्व ताकतों के आगे ढह गई है और अब अल्पसंख्यकों के पास वह कांग्रेस नहीं रह गई है, जो उनकी आवाज उठा सके। इस बात में रत्तीभर भी सच नहीं है। कांग्रेस ने पारंपरिक रूप से धर्मनिरपेक्षता के ब्रैंड को आगे बढ़ाया है, जो भारत के बहुवाद या अनेकवाद को पहचान देता है।

यह बड़ी संख्या में धर्मों और आस्थाओं की मौजदूगी को मान्यता देता है, जहां सभी का बराबर सम्मान है और सभी शांतिपूर्ण ढंग से साथ रह सकते हैं। यह हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई या कोई भी धर्म मानने वाला व्यक्ति हो, उसके लिए अनुकूल है।

लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि हम किसी धर्म के हथियारबंद स्वरूप को स्वीकार कर लेंगे, जैसा कि भाजपा ने हिन्दू आस्थाओं की जटिल विविधताओं को संकीर्ण मानसिकता और हिन्दुत्व के बहिष्कारी सिद्धांतों में बदलकर किया है। बतौर पार्टी हम देश में ऐसी दुराग्रही और विभाजनकारी धारणाओं को बढ़ाने के किसी भी प्रयास का विरोध करना जारी रखेंगे। साथ ही हम हर उस व्यक्ति के साथ खड़े हैं जो संकीर्ण मानसिकता वाले दर्शन का शिकार होता है।

मुझे लगता है कि जो कांग्रेस को ‘बीजेपी-लाइट’ या ‘हिन्दुत्व-लाइट’ (यानी भाजपा या हिन्दुत्व का ही एक कमजोर स्वरूप) के रूप में देखते हैं, वे कांग्रेस के इस आश्वासन पर पूरा विश्वास नहीं करते हैं कि यह कांग्रेस अभी भी वह पार्टी है, जो सभी के लिए है, जो अल्पसंख्यकों, कमजोरों, अधिकारहीनों और धर्मनिरपेक्षता के लिए प्रतिबद्धता रखने वालों की सबसे सुरक्षित पनाहगाह है। भाजपा तो यह दिखाने की भी कोशिश नहीं करती कि उसके दिल में इन वर्गों के हितों की कोई परवाह है।

हमारे आलोचक ‘हिन्दू धर्म’ और ‘हिन्दुत्व’ के बीच कांग्रेस के अंतर करने को दिखावा मानते हैं। वे उसके नेताओं के इन तर्कों को नकार देते हैं कि कांग्रेस नेताओं द्वारा सम्मानित हिन्दू धर्म समावेशी और गैर-आलोचनात्मक है, जबकि हिन्दुत्व बहिष्करण या अपवर्जन पर आधारित एक राजनीतिक सिद्धांत है। वे जल्दी ही इस नतीजे पर पहुंच जाते हैं कि कांग्रेस का मत केवल भाजपा के राजनीतिक संदेश का कमजोर स्वरूप ही है।

यह गलत है और अनुचित भी। राहुल गांधी ने यह स्पष्ट किया है कि उनकी अपने निजी हिन्दू धर्म को स्वीकार करने की कितनी ही स्वेच्छा हो, लेकिन वे किसी भी प्रकार के हिन्दुत्व का समर्थन नहीं करते, न ही सख्त और न ही सौम्य। कांग्रेस समझती है कि जहां ‘हिन्दू धर्म’ एक धर्म है, वहीं हिन्दुत्व एक राजनीतिक सिद्धांत है जो हिन्दू आस्था के मुख्य तत्वों से आधारभूत रूप से अलग है।

जहां हिन्दू धर्म पूजा के सभी तरीकों का समावेश करता है, हिन्दुत्व भक्ति व समर्पण से विरक्त है और केवल पहचान की परवाह करता है। हिन्दू धर्म सुधार और प्रगति के लिए खुला है और यही कारण है कि 4000 वर्षों से समृद्ध है। वहीं हिन्दुत्व पीछे धकेलने वाला रहा है, जिसकी जड़ें ‘नस्लीय गौरव’ में हैं, जिसने 1920 के दशक में फासीवाद को जन्म दिया। यही कारण है कि इसके मौजूदा उत्कर्ष के लंबे समय तक बने रहने की उम्मीद नहीं है।

इनके अलावा और भी आधारभूत अंतर हैं। कांग्रेस नेता ऐसे हिन्दू धर्म को मानते हैं जो बड़ी मात्रा में विविधता को जगह देता है और हर व्यक्ति व उसके ईश्वर के साथ संबंध का सम्मान करता है। वहीं भाजपा का हिन्दुत्व सांप्रदायिक पहचान की राजनीति को प्राथमिकता देता है और धर्म को एकरूप ठोस धर्म में बदल देना चाहता है, जो यह है ही नहीं।

कांग्रेस नेताओं का हिन्दू धर्म मतभेदों को स्वीकार करने के गांधीजी और स्वामी विवेकानंद के विचारों पर आधारित है। वहीं भाजपा का हिन्दुत्व अलग मत वाले लोगों को डरा-धमकाकर और दबाकर मतभेदों को खत्म करना चाहता है।

मैं यह बात पार्टी के प्रवक्ता के रूप में नहीं कह रहा हूं, मैं हूं भी नहीं। मैं अपने दृढ़ विश्वासों की वजह से राजनीति में हूं। मैं सचमुच में और पूरे जुनून के साथ मानता हूं कि कांग्रेस जिसके लिए खड़ी है और राष्ट्र को जो देती है, वह देश के भविष्य के लिए आधारभूत रूप से अत्यावश्यक है।

हम भारत के विचार के वैकल्पिक दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करते हैं। एक समावेशी और बहुलतावादी दृष्टिकोण, जो देश की सच्ची आत्मा और हृदय को दर्शाता है। समावेशी और प्रगतिशील पार्टी की विचारधारा, उदारवादी झुकाव, सामाजिक न्याय तथा व्यक्तिगत आजादी के लिए प्रतिबद्धता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दृढ़ निश्चय में देशभक्ति, इन सभी बातों में अब भी बहुत अपील है, अगर इन्हें सही ढंग से पेश किया जाए। भारत जिसका प्रतिनिधित्व करता है, उसके भाजपा द्वारा बनाए जा रहे विकृत, धर्मांध और संकीर्ण स्वरूप को राष्ट्रीय मंच पर बिना किसी प्रतिद्वंद्वी के नहीं छोड़ना चाहिए। (ये लेखक के अपने विचार हैं)



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
शशि थरूर, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/31cD07Q

No comments

If any suggestion about my Blog and Blog contented then Please message me..... I want to improve my Blog contented . Jay Hind ....

Powered by Blogger.