Dainik Bhaskar सफाई वाले रोबोट की बिक्री हुई दोगुनी, मैकडोनल्ड्स, वॉलमार्ट तक को जरूरत; जल्द से जल्द रोबोट काम पर लगाना चाहती हैं कंपनियां
रोबोट का चलन काफी तेज होता जा रहा है। पहले दुनियाभर के होटल, मॉल, दफ्तर आदि में रोबोट्स का इस्तेमाल काम में तेजी और सौंदर्य के लिए होता था, लेकिन अब इनका इस्तेमाल सुरक्षा की दृष्टि से बढ़ा है।खासतौर पर सफाई वाले रोबोट्स की डिमांड पिछले कुछ समय में काफी बढ़ गई है।
कनाडा की कंपनी एवीबोट्स के मुताबिक फ्लोर क्लीनिंग रोबोट्स की बिक्री कोरोना के बाद दोगुनी बढ़ गई है। जो पहले इसके बारे में जानना भी नहीं चाहते थे वे भी इसे खरीद रहे हैं। अमेरिकी कंपनी ब्रेन कॉर्प्स ने कहा कि उसके सेल्फ ड्राइविंग क्लीनिंग रोबोट्स की बिक्री पिछले वर्ष के मुकाबले इस अप्रैल में 24 फीसदी बढ़ गई है।
ब्रेन कॉर्प के सीईओ यूजीन इज्हीकेविच बताते हैं कि वॉलमार्ट जैसे स्टोर्स से कोरोना के बाद क्लीनिंग रोबोट्स के ऑर्डर बढ़ गए हैं। वे चाहते हैं कि हम जल्द से जल्द इन्हें लगवा दें। इन क्लीनिंग रोबोट्स की कीमत 40 हजार डॉलर से 60 हजार डॉलर तक है। इनके सॉफ्टवेयर का खर्चा भी अलग से है।
देश में भी इस वर्ष 30 गुना बढ़ जाएगा बाजार
देश में रोबोट बनानी वाली प्रमुखा कंपनी मिलाग्रो की बिक्री इस वर्ष 15 से 20 गुना बढ़ने की उम्मीद है। कंपनी के अनुसार इस वर्ष देश में रोबोट का बाजार करीब 30 गुना बढ़ जाएगा। इसका कारण है कि लोग अब रोबोट पर भरोसा करने लगे हैं।
आगे और बेहतर बना रहे
अमेरिका की कार्नेगी रोबोटिक्स कंपनी अपने प्रसिद्ध फ्लोर क्लीनर रोबोट निलफिस्क लिबर्टी में बड़े पैमाने पर एक ऐसा अटैचमेंट टेस्ट कर रही है जो कोरोना वायरस को भी अल्ट्रावॉयलेट लाइट से खत्म कर देगी। पिट्सबर्ग एयरपोर्ट में ऐसा रोबोट लग गया है।
1987 में बना था पहला कॉमर्शियल रोबोट
बात 1987 की है, जब रोबोकेंट नाम का दुनिया का पहला कमर्शियल फ्लोर क्लीनिंग रोबोट बना था। इसे अमेरिकी कंपनी ने बनाया था।
सफाई के अलावा यहां भी हो रहे इस्तेमाल
- अस्पताल में- डेनमार्क की कंपनी यूपीडी रोबोट्स ने अप्रैल माह में ही चीन और यूरोप के अस्पतालों में सैकड़ों रोबोट भेजे हैं।
- रेस्टोरेंट में- अमेरिकी फास्ट फूड कंपनी मैकडोनल्ड्स कुकिंग और सर्विंग के लिए रोबोट्स को टेस्ट कर रही है।
- फैक्ट्रियों में- अमेरिकी कार कंपनी फोर्ड ने हाल ही में अपने एक प्लांट में फ्लफी नाम का रोबोट तैनात किया है जो 2 लाख स्क्वायर मीटर के प्लांट से डेटा जमा करता है।
स्रोत: टाइम, फॉर्च्यून, फोर्ब्स व अन्य मीडिया रिपोर्ट्स।
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