नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने मोदी को फोन किया; दोनों नेताओं के बीच चार महीने बाद बातचीत
नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने मोदी को फोन किया
कुछ महीनों से भारत विरोधी बयानबाजी कर रहे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने शनिवार रात नरेंद्र मोदी को फोन किया। दोनों नेताओं के बीच 10 अप्रैल के बाद पहली बार बातचीत हुई। ओली ने मोदी और भारत की जनता को 74वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी। दोनों नेताओं के बीच आपसी सहयोग के मुद्दों पर भी बातचीत हुई।
भारत और नेपाल के बीच कुछ महीनों से सीमा विवाद को लेकर तनाव है। नेपाल ने पिछले महीने अपना नया नक्शा जारी किया था। इसमें भारत के हिस्से वाले कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपना बताया। ओली ने असली अयोध्या नेपाल में होने का भी दावा किया था।
ओली के एडवाइजर ने दी जानकारी
ओली के फॉरेन रिलेशन एडवाइजर रंजन भट्टराई ने शनिवार रात मीडिया को दोनों नेताओं के बीच बातचीत की जानकारी दी। रंजन ने कहा- हम हमेशा से बातचीत की पक्ष में रहे हैं। प्रधानमंत्री ओली ने इसलिए भारत के प्रधानमंत्री को फोन किया था। अब देखना यह है कि दोनों देशों के बीच बातचीत का सिलसिला किस तरह आगे बढ़ता है। खास बात यह है कि भारत की तरफ से इस बारे में कोई बयान जारी नहीं किया गया।
दबाव में ओली
भारत और नेपाल के बीच सोमवार यानी 17 अगस्त को एक अहम बातचीत होने जा रही है। इसमें भारत द्वारा नेपाल में चलाए जा रहे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स पर चर्चा होगी। ज्यादातर प्रोजेक्ट्स सीधे तौर पर जनता के हित से जुड़े हैं। ओली चीन के दबाव में हैं। लेकिन, वो चाहकर भी भारत द्वारा चलाए जा रहे प्रोजेक्ट्स की अनदेखी करने की स्थिति में नहीं हैं। भारत विरोधी बयानों के लिए खुद उनकी पार्टी अपने प्रधानमंत्री का विरोध कर रही है। लिहाजा, ओली पर हर तरफ से दबाव है।
बयानबाजी को भारत ने नहीं दी तवज्जो
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दो महीने पहले जब कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को जोड़ने वाली सड़क का उद्घाटन किया तो नेपाल ने इसका विरोध किया और इसे अपना हिस्सा बताया। पिछले महीने दावे की पुष्टि के लिए उसने नया नक्शा जारी किया। इसे भारत को भी भेजा गया। भारत ने इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी। सिर्फ इतना कहा कि समय आने पर इस बारे में नेपाल से बातचीत की जाएगी।
ओली ने फिर धार्मिक कार्ड खेलने का प्रयास किया। राम का जन्म अयोध्या के चितवन जिले में होने का दावा किया। कुछ दिनों पहले अफसरों को आदेश दिया कि इस जिले को अयोध्यापुरी के रूप में विकसित किया जाए। राम मंदिर बनाने के भी आदेश दिए। पांच अगस्त मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का भूमिपूजन किया था। इसमें नेपाल के पुजारी भी शामिल हुए थे। लिहाजा, ओली की यह चाल घर में भी फ्लॉप हो गई थी।
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