Dainik Bhaskar फिल्मों में कम हो गए किरदार, कमरों में हो रही शूटिंग; कॉमेडी और हॉरर कहानियों की मांग बढ़ी
(मनीषा भल्ला) कोरोना का असर फिल्मी कहानियों पर भी दिखने लगा है। फिलहाल बॉलीवुड में जिन कहानियों पर काम हो रहा है उनमें कॉमेडी और हॉरर फिल्में अधिक हैं। लेखक ऐसी कहानियां लिख रहे हैं जिनकी शूटिंग कम भीड़ के साथ एक-दो कमरों में ही हो जाए। कंटेंट मार्केटिंग की प्रमुख कंपनी तुलसिया के पार्टनर एमडी और फिल्म प्रोडयूसर चैतन्य हेगड़े बताते हैं कि अभी उनकी प्राथमिकता में ऐसी कहानियां हैं जो किसी एक कमरे, बिल्डिंग या कस्बे में शूट हो। ऐसी कहानियां क्राइम थ्रिलर होती हैं।
साएकोपैथ किरदार वाली कहानियों पर भी काम चल रहा है। तुलसिया के साथ 200 से ज्यादा लेखक हैं। हेगड़े का कहना है कि प्रोडक्शन हाउसेज को लगता है कि जब सिनेमा हॉल खुलेंगे तो लोग मसाला फिल्में पसंद करेंगे। गंभीर और इमोशनल मुद्दों का बाजार शुरुआत में ठंडा रहेगा। इस वक्त फिल्म लेखन की प्राथमिकता में कॉमेडी, मसाला मूवी और हॉरर फिल्में हैं।
बर्फी, हीरोपंथी और सुपर-30 जैसी फिल्मों के लेखक संजीव दत्ता बताते हैं वे अब ऐसी फिल्में लिख रहे हैं जो किसी मध्यम वर्गीय परिवार की कहानी हो। जो किसी छोटे से मोहल्ले में पूरी शूट हो सके और उसमें नए चेहरे दिखाई दें। फिल्म आर्टिकल-15 के लेखक गौरव सोलंकी आजकल कोविड की कहानी पर काम कर रहे हैं। वे बताते हैं कि फिलहाल आने वाली फिल्मों में इस दौर के हालात दिखाई देंगे। वे कहते हैं ‘मैं शुरू से चीज़ों को देख रहा हूं और लगता है कि कोविड के हालात अभी 6-8 महीने रहेंगेे। इसलिए फिलहाल इस कहानी पर धीरे धीरे काम चल रहा है।’
एक्टर भीड़ वाले सीन के लिए तैयार नहीं
कोरोना का फिल्मों की कहानियों पर साफ-साफ असर दिखने वाला है। अब जो फिल्में बनेंगी उनकी स्क्रिप्ट में भीड़, भाषण और स्टंट के सीन या तो नहीं होंगे या ना के बराबर होंगे। अभी ड्रामा और कॉमेडी स्क्रिप्ट्स चलेंगी। धूलिया के अनुसार एक्टर भी भीड़ वाले सीन के शूट के लिए राज़ी नहीं हैं।
तिगमांशु धूलिया, लेखक और निर्देशक
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