Dainik Bhaskar बिना मास्क के युवक को बैंक में नहीं जाने दिया, खरीदने के पैसे नहीं थे तो सीमेंट की बोरी को मास्क बनाकर पहना
एक ओर जहां कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए मास्क पहनना अनिवार्य है। तो वहीं दूसरी ओर झारखंड के गुमला जिले के किस्को प्रखंड के पाखर सुदूरवर्ती क्षेत्र का हाल यह है कि लोगों को मास्क खरीद कर पहनना मुश्किल हो गया है। मामला किस्को के बैंक ऑफ इंडिया का है। जहां सुदूरवर्ती क्षेत्र के तीन युवक बिना मास्क पहने बैंक पहुंचे तो उन्हें बैंक के अंदर प्रवेश नहीं करने दिया गया। मास्क खरीदने के लिए पैसे नहीं होने के कारण उन्होंने सीमेंट की बोरी को ही मास्क बना लिया और बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में पहुंच पैसे निकाले।
अधन्नपुर गांव में कीचड़ भरा रास्ता
मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के अंबाह तहसील मुख्यालय से 7 किमी दूर अधन्नपुर गांव में पक्की सड़क का निर्माण नहीं कराया गया है। इस कारण बारिश के सीजन में कच्चा रास्ता दलदल जैसा हो जाता है। गुरुवार को एक मरीज को खटिया पर लिटाकर सिविल अस्पताल ले जाना पड़ा।
पैसरा टोला के लोगों ने लकड़ी का पुल बनाया
जन सहयोग केंद्र चुरचू हजारीबाग की प्रेरणा और गूंज नई दिल्ली के सहयोग से ग्राम बाली टोला पैसरा के ग्रामीणों ने श्रमदान कर अपने गांव की तस्वीर बदल दी। ग्राम पैसरा एवं पिपरा बेड़ा, ओबरी, बेलवातरी आदि गांव जाने के लिए रास्ता नहीं था। ग्रामीणों ने सप्ताह भर में करीब 200 मीटर कच्ची पथ तथा बीच में पड़ रहे तालाब के ऊपर बांस बल्ली पुल बना दिया।
मनियारी नदी उफान पर
फोटो छत्तीसगढ़ के लोरमी जिले के लपटी घाट की है। लगातार हो रही बारिश के बीच मनियारी नदी उफान पर है। यह लपटी घाट है। जल्दीबाजी के चक्कर में फुटूपारा, शिवहरि, लपटी, बंधी, रेंहूंटा गांव के मजदूर इसी रास्ते से लोरमी मजदूरी करने जाते हैं। शाम को जोखिम भरे इसी रास्ते से घर लौटते भी हैं।
श्रमदान कर डायवर्जन पर बनाया पुल
बिहार के मोतिहारी जिले के बरवाडीह नहर पर बने डायवर्जन पर गुरुवार शाम ग्रामीणों ने श्रमदान कर चचरी पुल ( लकड़ी का पुल ) बनाने का काम पूरा कर दिया। इस डायवर्जन होकर आवागमन शुरू हो गया है। चचरी के बन जाने से क्षेत्र के लोग खुश हैं क्योंकि डायवर्जन टूट जाने का बाद बीते 50 दिनों से निजी नाविक 20 रुपए प्रति व्यक्ति, 30 रुपए प्रति साइकिल व 50 रुपए प्रति बाइक वसूल रहे थे। इससे गरीब और मजदूरों को आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ रही थी।
खजुराहो में 24 घंटे में 6.6 इंच बारिश
बुंदेलखंड में मानसून मेहरबान है। बीते 24 घंटे में खजुराहो में 6.6 इंच बारिश रिकॉर्ड की गई। धसान नदी पर बने पहाड़ी बांध, बान सुजारा बांध और लहचूरा बांधों के कई गेट खोल कर पानी निकाला गया। पन्ना रोड पर फोरलेन रोड निर्माण के दौरान पीएनसी कंपनी द्वारा गठेवरा के पास नाले पर बनाया गया डायवर्जन मार्ग बह गया। जिससे करीब 4 घंटे आवागमन ठप रहा। दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। वहीं कई लोग बीच से एक रास्ता से जान जोखिम में डालकर निकलते देखे गए।
अकीदतमंदों ने दरगाह के बाहर से दुआ की
मोहर्रम की सात तारीख के दिन मेहंदी की रस्म के मौके पर पहली बार बड़ी संख्या में आशिकान-ए-हुसैन दरगाह में दाखिल नहीं हो सके, केवल पासधारी ही रस्म निभाने के लिए अंदर जा सके। मुस्लिम समुदाय के बुजुर्गों का कहना है कि सदियों से परंपरा निभाई जा रही है, हर साल बड़ी संख्या में लोग मेहंदी लेकर दरगाह में आते हैं, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते अधिकांश अकीदतमंद दरगाह के बाहर से ही दुआ करते नजर आए।
वन्यजीवों के लिए कोरोना काल सुकून भरा
कोरोना वायरस के कहर ने लोगों के जीवन में भले ही बेचैनी पैदा कर दी, लेकिन वन्यजीवों के लिए कोरोना काल सुकून भरा है। यह पहला मौका है जब सरिस्का पार्क पर्यटकों के लिए लंबे समय तक बंद रहा है। सरिस्का बाघ परियोजना में इंसानी दखल कम रहने से वन्यजीवों के स्वभाव में भी बदलाव देखने को मिला है। इंसानी आवाजाही और पर्यटकों की गाड़ियों पर रोक लगने के बाद जंगल में चीतल, सांभर, जंगली सूअर सहित अनेक प्रजातियों के वन्यजीव स्वच्छंद विचरण करते नजर आए।
नदी में अठखेलियां कर रहीं पानी की लहरें...
लगातार हो रही बारिश के कारण रांची की हरमू नदी एक बार फिर से मुस्कुरा उठी है। लबालब भरी नदी में पानी की लहरें अठखेलियां करती नजर आ रही है। ऐसा लग रहा मानो बारिश ने नदी में जान डाल दी है। सौंदर्यीकरण पर करीब 80 करोड़ खर्च करने के बाद भी कुछ समय पहले तक यह नदी गंदगी के कारण अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही थी। छह बड़े नालों से गिर रहे गंदगी से नदी का पानी काला नजर आ रहा था। नदी के समीप से गुजरते ही दुर्गध आ रहा था। आज इसका पानी साफ दिखाई दे रहा है। नदी किनारे लगे हरे-भरे पौधे और पेड़ इसकी खूबसूरती बढ़ा रहे हैं।
कश्मीर नहीं, ये लातेहार का नेतरहाट है
झारखंड का कश्मीर कही जाने वाली लातेहार की पहाड़ी नगरी नेतरहाट का मौसम तो साल भर सुहाना रहता है, लेकिन बरसात के दिनों में इसकी खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। जब मानसून का बादल छाता है तो बादल आसमान से उतरकर जमीन पर आ जाता है। नेतरहाट की सड़कों पर बादल के बीच होकर लोग गुजरते हैं। यह दिलकश नजारा पूरे नेतरहाट की वादियों में देखा जाता है। मानसून के इस मौसम में गुरुवार को 25 .1 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई है।
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