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Dainik Bhaskar

गुजरात के भरूच जिले के कविथा गांव के रहने वाले जैमिन पटेल ने कम्प्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग की है। करीब 7 साल तक उन्होंने एक कंपनी में काम किया, सीनियर मैनेजर रहे। अच्छी खासी सैलरी थी, घर से भी सम्पन्न थे, माता- पिता दोनों सरकारी डॉक्टर थे। सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन उसके बाद कुछ ऐसा हुआ कि जैमिन सबकुछ छोड़कर किसान बन गए, एक सेलिब्रिटी किसान जिसे कई राज्यों के किसान नाम से जानते हैं। आज वे एक दर्जन से ज्यादा फल और सब्जियां अपने खेतों में ऑर्गेनिक तरीके से उगा रहे हैं। 4-5 राज्यों में उनके कस्टमर्स हैं, 8-10 लाख रुपए हर साल उनकी आमदनी हो रही है।

36 साल के जैमिन बताते हैं, खेती से मेरा कोई पहले से लगाव नहीं था। खेती के लिए तो जमीन भी नहीं के बराबर थी, जो कुछ खेत थे उसके बारे में भी मुझे जानकारी नहीं थी। सिर्फ त्योहारों के मौके पर ही गांव जाना होता था।

वो कहते हैं,' 2011 की बात है, मेरा एक दोस्त पॉलीहाउस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था। वो चाहता था कि मैं भी उसके साथ काम करूं, लेकिन मुझे शुरुआत में कोई दिलचस्पी नहीं थी, मैं नौकरी नहीं छोड़ना चाहता था। फिर उसने बहुत जिद की तो उसके साथ पॉलीहाउस देखने के लिए गया। मुझे उसका आइडिया ठीक लगा। इसके बाद नौकरी करते हुए मैं 7-8 महीने तक कई राज्यों में घूमता रहा और पॉलीहाउस और खेती के बारे में जानकारियां जुटाता रहा।

जैमिन के साथ 10 और लोगों को रोजगार मिला है जो खेती में उनका हाथ बंटाते हैं। इसके साथ ही करीब 200 से ज्यादा किसान उनसे सीधे जुड़े हुए हैं।

जैमिन बताते हैं कि 2012 के शुरुआत में खेती के लिए मेंटली तैयार हो गया लेकिन मेरा दोस्त पीछे हट गया। चूंकि मैं रिसर्च कर चुका था, खेती के गुर और टेक्निक्स सीख चुका था तो मैं पीछे नहीं हटना चाहता था। मैंने अपने माता पिता को अपने फैसले के बारे में बताया, उन्होंने मेरे फैसले का स्वागत किया और मुझे हिम्मत दी।

मेरे पास पहले से जो जमीन थी वो और फिर कुछ और जमीन खरीदकर खेती की शुरुआत की। पहली बार मैंने सीडलेस खीरा और कलर कैप्सिकम की खेती की। अच्छा उत्पादन हुआ तो गांव में जो लोकल मार्केट था वहां और फिर बड़े बड़े होटलों के वेंडरों से मिलकर उन्हें अपना प्रोडक्ट दिया। अच्छी कमाई हुई।

इसके बाद अगस्त 2012 में जैमिन ने नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से किसान बन गए। उन्होंने अपने चाचा के साथ मिलकर और भी खेत खरीदे। आज वे 15 एकड़ जमीन पर ऑर्गेनिक और सेमी ऑर्गेनिक फार्मिंग कर रहे हैं, वे गन्ना, तुअर दाल, कपास, मूंग, तरबूज, टमाटर, शिमला मिर्च, हरी प्याज, पालक, धनिया जैसी फसलें उगा रहे हैं। 2012 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं।

जैमिन के साथ 10 और लोगों को रोजगार मिला है जो खेती में उनका हाथ बंटाते हैं। इसके साथ ही करीब 200 से ज्यादा किसान उनसे सीधे जुड़े हुए हैं। वे खेती किसानी के बारे में जानकारी हासिल करते हैं और प्रोडक्ट को खरीदने-बेचने में भी मदद करते हैं। वो कहते हैं कि हमें फसल लगाने से पहले ही एडवांस ऑर्डर मिल जाता है।

जैमिन कहते हैं कि हमें पारंपरिक तरीके से हटकर वैल्यू एडिशन पर जोर देना चाहिए। अपने प्रोडक्ट्स को सीधे मार्केट में बेचने की बजाए उसको प्रोसेसिंग करके बेचेंगे तो ज्यादा मुनाफा होगा।

जैमिन कहते हैं कि खेती एक लगातार सीखने वाली प्रक्रिया है। रोज हमें कुछ न कुछ नया सीखते रहना चाहिए। मैं आज भी साल में 100 दिन भ्रमण पर रहता हूं। गांवों में जाता हूं, अलग अलग एक्सपर्ट्स से मिलता हूं, स्कूल कॉलेजों में भी जाता हूं। वो कहते हैं कि लगातार सीखने और सिखाने का काम चलते रहना चाहिए तो ही आप सर्वाइवर कर पाएंगे।

पॉलीहाउस क्या होता है

पॉलीहाउस का मतलब होता है ‘एक प्रोटेक्टिव किट या चादर से ढका हुआ घर। जिस पर बाहरी मौसम का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके अंदर न बाहर की हवा जा सकती है न पानी। इस कारण कीड़े-मकोड़े का असर नहीं होता। तापमान भी जरूरत के मुताबिक कम-ज्यादा किया जाता है। इस तरह मौसम पर निर्भरता पूरी तरह खत्म हो जाती है। कीटनाशक, खाद, सिंचाई ये सभी काम पॉलीहाउस के अंदर होते हैं।

अगर आप भी पॉली हाउस विधि से खेती करना चाहते है तो इसके लिए इसके लिए सरकार 50 फीसदी सब्सिडी भी देती है। पॉलीहाउस के लिए आपके पास कम से कम 1 एकड़ जमीन होनी चाहिए।

ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत कैसे करें

जैमिन बताते हैं कि अगर कोई खेती करना चाहता है तो उसे शौकिया किसान नहीं बल्कि एक रियल फार्मर बनना होगा। उसे सबसे पहले खेती को समझना चाहिए, गांवों में जाकर जमीन देखनी चाहिए, वहां के मार्केट और डिमांड के बारे में जानकारी हासिल करना चाहिए कि कौन से प्रोडक्ट की डिमांड ज्यादा है और किस फसल की खेती उस जमीन पर हो सकती है। बिना रिसर्च के सही तरीके से खेती करना संभव नहीं है। शुरुआत 2 एकड़ जमीन से की जा सकती है।

जैमिन के उगाए टमाटर गुजरात के साथ ही दूसरे राज्यों में भी पंसद किए जाते हैं। 4-5 राज्यों में वे अपने प्रोडक्ट की सप्लाई करते हैं।

कस्टमर और मार्केट कैसे तैयार करें

जैमिन कहते हैं,' आज तो सोशल मीडिया का जमाना है, प्रोडक्ट तैयार करिए और उसे फेसबुक, ट्विटर पर पोस्ट कर दीजिए। प्रोडक्ट बेहतर होगा तो लोग जरूर अप्रोच करेंगे। इसके साथ ही शुरुआत में खुद लोकल मार्केट और रिटेलर्स के पास जाकर प्रोडक्ट की सप्लाई की जा सकती है। जब आपका प्रोडक्ट जम जाएगा, लोग जानने लगेंगे तो खुद मार्केट आपके पास चलकर आएगा।

खेती को मुनाफे का धंधा कैसे बनाएं

जैमिन कहते हैं कि हमें पारंपरिक तरीके से हटकर वैल्यू एडिशन पर जोर देना चाहिए। अपने प्रोडक्ट्स को सीधे मार्केट में बेचने की बजाए उसको प्रोसेसिंग करके बेचेंगे तो ज्यादा मुनाफा होगा। वो कहते हैं कि मैं तुअर की खेती करता हूं, अगर एमएसपी पर भी उसे बेचूं तो मुझे 60 रु ही एक किलो के मिलेंगे। लेकिन जब उसी दाल को मैं प्रोसेस करूंगा तो मुझे लगभग 70-80 रु की पड़ेगी जिसे मैं मार्केट में 130 रु में बेचूंगा तो मुझे प्रति किलो 50 रुपए का मुनाफा होगा। इसी तरह दूसरे प्रोडक्ट के वैल्यू एडिशन पर हमें जोर देना चाहिए।

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गुजरात के भरूच जिले के कविथा गांव के रहने वाले जैमिन पटेल पिछले सात साल से खेती कर रहे हैं।


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