Dainik Bhaskar
बारिश शुरू होते ही इंदौर नगर निगम दिखावे के मेंटेनेंस की फाइल तैयार कर लेता है, जून में ठेकेदारों का टेंडर निकाल दिया जाता है। शहर की 332 किलोमीटर डामर की सड़कों के मेंटेनेंस के लिए निगम हर साल 10 करोड़ रुपए खर्च करता है। एक तगारी में धूला चूरी और सीमेंट के मिश्रण को गड्ढे में भरकर मेंटेनेंस कर दिया जाता है। फोटो जूनी इंदौर मुक्तिधाम मार्ग की है
जब ठेकेदार के कर्मचारी से पूछा कि गड्ढे भरने के लिए क्या डाल रहे हो तो एक ने कहा चूरी की धूल है। थोड़ी सीमेंट मिलाई है। इससे गड्ढा भर जाएगा क्या? पूछने पर कर्मचारी कोई जवाब नहीं दे सका। बैरिकेड्स लगाकर मेंटेनेंस किए गए गड्ढे पर उसने बोरा जरूर डाल दिया। ऐसा ही पैचवर्क पूरे एमआर-10 पर दिखा। एक ही बारिश में फिर वहां गड्ढे उभरने लगे हैं।
यह बाढ़ नहीं बारिश का जमा पानी है
फोटो बिहार के मुजफ्फरपुर की है। यह घर बाढ़ के पानी से नहीं बल्कि बारिश के पानी से चारों तरफ से घिरा है। आने-जाने का कोई रास्ता नहीं बचा है। चारों तरफ से 3 से 4 फीट पानी जमा है। मजबूरी में आने-जाने के लिए लोगों को बांस का पुल (चचरी) का सहारा लेना पड़ रहा है। घर से हाईवे तक चचरी बनाई है। फोटो छपरा एनएच किनारे स्थित सरैया प्रखंड के जगतपुर दकरिया की है।
बधाई उज्जैन
बधाई हो... उज्जैन, जिले के बाद अब शहर की औसत बारिश का कोटा भी पूरा हो चुका है। मानसून की आधिकारिक रूप से विदाई होने के 18 दिन पहले ही औसत बारिश की पूर्ति हो गई है। जबकि एक दिन पहले ही जिले की औसत बारिश का कोटा भी पूरा हो चुका है। शनिवार को भी शहर में दिनभर तेज धूप निकली लेकिन शाम को मौसम बदला और एक घंटे में ही एक इंच से अधिक बारिश हो गई।
डेढ़ घंटे यातायात थमा रहा
शुक्रवार रात से शनिवार तक मध्य प्रदेश के 32 जिलों के 75 शहरों व कस्बों में बारिश हुई। बुरहानपुर में 50 मिनट में साढ़े तीन इंच पानी बरस गया। अधिकांश सड़कें कमर तक जलमग्न हो गईं। हाईवे पर डेढ़ घंटे यातायात थमा रहा। फोटो शनिवारा चौक की है।
कलेक्शन सेंटर के बाहर अंतिम वक्त तक कॉपी लिखते रहे विद्यार्थी
कोरोना संकट के कारण इंदौर की देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी की यूजी की फाइनल एग्जाम की कॉपियां जमा करने अंतिम दिन कॉलेजों में छात्रों की खासी भीड़ उमड़ी। कई कॉलेजों में सुबह से लंबी कतारें लगी। ओल्ड जीडीसी, होलकर साइंस एवं अन्य कॉलेजों में सोशल डिस्टेंसिंग के लिए प्रोफेसर की टीम लगी थी, लेकिन कई कॉलेजों में ऐसा नहीं हो पाया।
संक्रमण से बचाने के लिए छात्रों को घर बैठे एग्जाम दिलवाई गई। फोटो इंदौर के ओल्ड जीडीसी की है। घर से परीक्षा देने के बाद छात्राएं सेंटर पर कॉपी जमा करने पहुंची। अंतिम दिन होने के कारण भीड़ काफी थी ऐसे में कुछ छात्राएं समय का फायदा उठाकर सेंटर के बाहर ही कॉपियां लिखने लगीं।
पांच दिन बाद नवजात को मिला मां का आंचल
छत्तीसगढ़ के बांका जिले के कसबा गांव में ससुराल वालों के दहेज की खातिर महिला के साथ मारपीट कर नवजात शिशु को छीनने के मामले में आखिरकार डीआईजी की पहल पर पांच दिन बाद शिशु को मां की ममता के आंचल का छांव मिला। पुलिसिया दबाव के बाद कोमल के ससुर रामरतन सिंह, सास रीता देवी ने शिशु को थाना लाकर सुपुर्द किया।
पुलिस के कहने पर कोमल के हाथों में नवजात को सौंपा गया। अपने बच्चे को गोद में लेते ही कोमल की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। मां अपने कलेजे के टुकड़े को सीने से लगाकर चूमती रही। कोमल ने बताया कि आज दुनिया की सभी खुशियां मिल गई हैं।
2500 सहायक पुलिसकर्मी मोरहाबादी मैदान में जुटे
वर्दीधारी खुद वर्दीवालों से इंसाफ मांग रहे हैं। पुलिस की तर्ज पर स्थाई रूप से बहाल करने की मांग को लेकर शनिवार को झारखंड के 2500 सहायक पुलिस कर्मियों ने रांची के मोरहाबादी मैदान में प्रदर्शन किया। इनका कहना था कि उन्हें जिले में ड्यूटी लेने की बात कहकर बहाल किया गया था। लेकिन उन्हें सिर्फ 10 हजार रुपए वेतन दिया जा रहा है। पुलिस अधिकारी दिनभर उन्हें मनाने में जुटे रहे। प्रदर्शनकारी रात में भी मैदान में डटे थे।
ये गलत बात है
राजस्थान के पाली जिले का लूनी बांध 2 दिनों से ओवरफ्लो है। इसे देखने के लिए ग्रामीण परिवार के साथ पहुंच रहे हैं। पर छोटे-छोटे बच्चों की उनके माता-पिता को बांध पर फोटो लेना कहीं भारी ना पड़ जाए। बांध पर काई जमी है। जिससे हादसा होने का खतरा बना रहता है तथा जान भी जा सकती है। शनिवार को एक परिवार के सदस्यों ने ढाई साल के अपने ही बेटे को एक हाथ से पकड़ कर फोटो खिंचवा रहा था। इस दौरान उसी के भाई का लड़का दो महिलाओं के बीच बिना हाथ पकड़े ही खड़ा था।
कैंटीन में हो रहा सब्जी का इस्तेमाल
केरल में त्रिशूर जिले की पुलिस जब्त किए गए वाहनों में सब्जियां उगा रही है। इन सब्जियों का इस्तेमाल पुलिस कैंटीन में हो रहा है। चेरुतुरुती पुलिस स्टेशन के अधिकारी रंगराज ने बताया कि हमें पहली फसल पिछले हफ्ते मिली। जिसे हमने अपनी पुलिस कैंटीन में भेज दिया था। पुलिस स्टेशन के कंपाउंड में कई वाहन खड़े हैं, जो जंग खा रहे हैं। उनमें अब भिंडी, पालक, बरबटी समेत कई अन्य सब्जियां उगाने की योजना है।
174 दिन बाद चली बुंदेलखंड एक्सप्रेस
23 मार्च से बंद बुंदेलखंड एक्सप्रेस शनिवार को फिर से पटरी पर दौड़ी। मंडुआडीह (बनारस) के लिए रवाना हुई इस ट्रेन में पहले दिन ग्वालियर से 380 यात्री सवार हुए। पहली पसंद स्लीपर कोच रहा। इसमें 252 यात्री सवार हुए। शेष यात्रियों ने एसी के विभिन्न कोचों में आरक्षण कराया था। यह ट्रेन मंडुआहीड से रविवार को ग्वालियर के लिए रवाना होगी।
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