Dainik Bhaskar
नशा नस्लें तबाह कर रहा है। राजस्थान में नशे के अड्डे बन चुके गंगानगर, हनुमानगढ़, झुंझुनूं और बीकानेर में भास्कर टीम की 28 दिनों की पड़ताल में कई रोंगटे खड़े कर देने वाली तस्वीरें सामने आईं। इन जिलों में शायद ही कोई गांव होगा, जहां नशे ने किसी की जान न ली हो। कहीं बेबस मांएं हैं, तो कहीं लाचार विधवाएं और अनाथ बच्चे। गौर से देखिए नशे के अंजाम की हकीकत। आनंद चौधरी की ग्राउंड रिपोर्ट...
केस-1; बेटा दर्द से चीखता है तो बेबस मां नशे की गोलियां देती है
ये तस्वीर हनुमानगढ़ के 35 साल विजय की है। 5 साल से नशे का आदी है। पेट का 2 बार ऑपरेशन हो चुका है, 20 से भी ज्यादा टांके लग चुके हैं। वजन 85 से 40 रह गया, पर लत नहीं छूटी। गंगानगर के 35 साल के राजेश का वजन नशे के कारण 3 साल में 80 से 35 किलो रह गया। पेट का दो बार ऑपरेशन हो चुका है। नशा न मिलने पर जब रात में दर्द से कांपता है तो लाचार मां खुद उसे गोलियां देती है।
केस-2; 17 साल की उम्र में नशे की लत लगी, 20 में मौत हो गई
हनुमानगढ़ जिले के विनोद महरिया की नशे की लत के कारण 20 साल की उम्र में मौत हो गई। 17 साल की उम्र में घरवालों ने अपने इकलौते बेटे विनोद को कॉलेज में पढ़ने भेजा था। वहीं से नशीली गोलियाें का आदी हो गया। परिजनों को दो साल पहले तब पता चला जब फेफड़ों में संक्रमण हुआ। 4 लाख रु. इलाज पर खर्च हो गए, पर विनोद नहीं बचा। पिता हर साल अनाज बेचकर कर्ज उतारते हैं। विनोद की मौत के छह माह बाद एक बेटी हुई।
केस-3; नशे ने पति की जान ली पत्नी मजदूरी कर बच्चे पाल रही
हनुमानगढ़ के मटोरियावाली ढाणी के प्रवीण यादव की पिछले साल 3 नवंबर को 30 साल की उम्र में नशीली गोलियां खाने से मौत हो गई। उसकी 6 संतानें हैं जिनकी जिम्मेदारी अकेली मां पर आ पड़ी है। परिजनों को 3 साल पहले तब पता चला जब उनका शरीर बिल्कुल कमजोर हो गया। बीकानेर ले जाकर इलाज भी कराया, लेकिन वह बचे नहीं। पत्नी मजदूरी करके अपने बच्चों का पेट पालती है।
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