Dainik Bhaskar
करीब 11-12 बजे की बात है। घर पर चार-पांच लोग आए हैं। उनमें से कुछ परिचित भी हैं। हालचाल पूछने के बाद चाय-पानी के लिए बोला तो उन्होंने कहा- 'नहीं, अभी फलाने के यहां से पीकर ही आए हैं।' थोड़ी देर बाद उन्होंने क्षेत्र के विधायकजी के कामों को गिनाना शुरू किया। फिर कहा कि विधायकजी आपसे जुड़ना चाहते हैं। चूंकि लोग परिचित थे, इसलिए हम मना कैसे करते, बोले ठीक है।
इसके बाद उन्होंने वोटर आईडी कार्ड और मोबाइल नंबर मांगा। हमने भी दे दिया। उन्होंने अपना फोन निकाला और वोटर आईडी का और हमारा फोटो लिया। फिर मोबाइल नंबर पर कुछ मैसेज आया, जो उन्होंने अपने मोबाइल में दर्ज कर लिया। कुछ ही देर बाद हमारे मोबाइल पर एक संदेशा आया- 'आप फलां पार्टी के सदस्य बन गए हैं।'
यह कहानी किसी एक घर की नहीं है, बल्कि बिहार के घर-घर की है। कोरोनाकाल में मेहमानों का आना भले न हो रहा हो, लेकिन नेताजी के नुमाइंदों का आना शुरू हो गया है। पांच साल बाद आने वाले भी हालचाल भले न पूछे,लेकिन मोबाइल नंबर जरूर पूछ रहे हैं। क्योंकि मौसम चुनाव का है और अब इसकी बानगी भी देखने को मिलने लगी है। कोरोना के चलते रैली तो हो नहीं रही, इसलिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को मोबाइल पर ही जोड़ा जा रहा। कोई वॉट्सऐप ग्रुप में जोड़ रहा है, कोई फेसबुक ग्रुप में तो कोई लोगों को डिजिटल मेंबर बना रहा है। हर पार्टी अपने-अपने तरीके से वोटरों को साधने में जुटी है।
बिहार में बहार है नीतीशे कुमार है... ये गाना और नारा पिछले चुनाव में खूब चला था। इस बार के चुनाव के लिए जदयू और नीतीश का क्या नारा है और वे लोगों तक कैसे पहुंच रहे हैं, यह भी जान लीजिए...
जदयू का चुनावी रथ सजधज कर तैयार है, उसके चारों तरफ पोस्टर लगे हैं। सामने नीतीश की तस्वीर लगी है, सिर्फ नीतीश की। जिस पर बिहार की पुकार फिर से नीतीश कुमार, नीतीश सबके हैं, जैसे स्लोगन लिखे गए हैं। इस हाईटेक रथ में दो बड़ी एलईडी स्क्रीन लगी हैं, साथ ही साउंड सिस्टम और जनरेटर भी। पार्टी ने कार्यकर्ताओं को सीडी और पेन ड्राइव दिए हैं। जिसमें नेताओं के भाषण और हिंदी-भोजपुरी में बने गाने हैं।
ऐसे एक दो रथ नहीं, बल्कि 150 से ज्यादा रथ जदयू तैयार कर रही है, जो हर विधानसभा में घुमेंगे। एक रथ को बनाने में करीब डेढ़ लाख का खर्च आया है। जिन गलियों में रथ नहीं जा पाएगा वहां पार्टी के कार्यकर्ता डोर टू डोर कैंपेन करेंगे।
चूंकि कोरोना का समय है तो ऐसे में मैदानी रैली के बजाए अब पार्टी वर्चुअल मोड में चली गई है। इसके लिए बाकायदा हर जिले में टीमें भी बनाई गई हैं। इतना ही नहीं गांवों में भी चौपाल लगाकर कार्यकर्ताओं को सोशल मीडिया की ट्रेनिंग दी जा रही है। मंगलवार को जदयू ने चुनाव प्रचार के लिए एक नई वेबसाइट भी लॉन्च की। जेडीयू लाइव डॉटकॉम। सीएम नीतीश कुमार 7 सितंबर को वर्चुअल रैली करेंगे। पार्टी ने इसे निश्चय संवाद नाम दिया है।
भाजपा: हर वार्ड के लिए एक वॉट्सऐप प्रमुख बनाया
भाजपा हर चुनाव में पन्ना प्रमुख पर फोकस करती थी, लेकिन इस बार इनकी जगह वॉट्सऐप एडमिन ने ले ली है। पार्टी ने ऊपर से लेकर नीचे तक हर एक वार्ड के लेवल पर वॉट्सऐप एडमिन और सोशल मीडिया प्रमुख बनाया है। जिन्हें ऑडियो, वीडियो और पार्टी के संदेश भेजे जा रहे हैं। इसके अलावा अलग-अलग लेवल पर ऑनलाइन ऐप के माध्यम से लोगों से पार्टी वर्चुअल संवाद कर रही है। इस मामले में भाजपा बाकी पार्टियों से बहुत आगे है। सोशल मीडिया पर भाजपा के सबसे ज्यादा फॉलोअर हैं, चाहे फेसबुक हो या ट्विटर या फिर यूट्यूब। और वो इसका फायदा भी उठा रही है।
इसके अलावा भाजपा ने अपना एक हाईटेक और एडवांस रथ भी तैयार किया। जिस पर लिखा है 'भाजपा है तैयार, आत्मनिर्भर बिहार'। ऊपर पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा की तस्वीर लगी है। नीचे बिहार के स्थानीय नेताओं की। रथ पर माइक के साथ मंच की भी व्यवस्था है, यानी नेताजी के भाषण के लिए मंच और स्टेज अलग से नहीं बनाना पड़ेगा।
कोरोना और प्रवासी मजदूरों का पलायन चुनाव में कहीं भारी न पड़े, इसलिए भाजपा गांवों पर फोकस कर रही है। आलाकमान ने पार्टी के बड़े नेताओं को गांव में ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताने को कहा है। भाजपा पंचायती राज के प्रदेश संयोजक ओमप्रकाश भुवन कहते हैं, 'हमने हर पंचायत के स्तर पर एक शक्ति प्रमुख, उप शक्ति प्रमुख और आईटी प्रमुख को बनाया है। इसके अलावा, हर बूथ स्तर पर हमने एक सात लोगों की टीम बनाई है, उसे सप्तर्षि नाम दिया है। इसमें हर वर्ग के लोग हैं, महिलाएं भी शामिल हैं। इनका काम एक-एक बूथ तक जाकर लोगों से मिलने का है। अभी तक हमारे कार्यकर्ता 62 हजार बूथों तक पहुंच चुके हैं।
भाजपा ने बिहार से आने वाले हर राज्यसभा-लोकसभा सांसद से हर रोज अपने क्षेत्र की दो पंचायत में जाने को कहा है। साथ ही सितंबर में हर सांसद के लिए कम से कम 60 पंचायतों के दौरे का लक्ष्य रखा गया है।
राजद: सोशल मीडिया पर फोकस
राजद चाहती थी कि चुनाव टल जाए, क्योंकि वह भाजपा के मुकाबले डिजिटल मीडिया के मामले में काफी पीछे है। राजद के लिए रैली और घर-घर जाकर मिलना ही आमतौर पर कैंपेनिंग का जरिया रहा है। लेकिन इस बार कोरोना प्रोटोकॉल के चलते रैली और भीड़ जुटाने की इजाजत नहीं है। इस बार लालू यादव भी जेल में हैं,जिसका असर चुनाव कैंपेन पर हो रहा है।
राजद जमीनी स्तर पर पहले से कमजोर हो गई है। तेजस्वी यादव कोशिश जरूर कर रहे हैं, लेकिन वह लोगों से उस तरह कनेक्ट नहीं हो पा रहे हैं जिस अंदाज में लालू होते थे। इसलिए लोगों तक पहुंचने के लिए राजद तेजी से सोशल मीडिया को अपना रही है। उसने हर जिले के नाम से ट्विटर पर पेज बनाया है, जिससे हर घंटे पोस्ट किए जा रहे हैं। इनमें से ज्यादातर अकाउंट इस साल मार्च या उससे बाद के बने हैं। लालू यादव जेल से ही सोशल मीडिया पर नीतीश और भाजपा पर पलटवार कर रहे हैं। राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव और पार्टी के दूसरे नेता लगातार ट्वीट कर रहे हैं।
हालांकि, ब्रह्मपुर से राजद विधायक शंभूनाथ यादव कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि हम सिर्फ सोशल मीडिया पर ही प्रचार कर रहे हैं। हम लोग अपने क्षेत्र में जाकर लोगों से मिल रहे हैं और अपने पक्ष में वोट करने की अपील कर रहे हैं। ये काम हमारे लिए नया नहीं है, हम तो साल भर यह काम करते हैं। कोरोना की वजह से जरूर मूवमेंट कम हुआ है। यहां कोरोना का बहुत असर नहीं है।
कांग्रेस: घर- घर जाकर लोगों को बना रही डिजिटल मेंबर
कोरोनाकाल में हाथ भले नहीं मिला सकते, लेकिन साथ तो मिला ही सकते हैं। इसी तर्ज पर कांग्रेस कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को सदस्य बना रहे हैं। वे लोगों से वोटर आईडी कार्ड और उनकी फोटो लेते हैं। फिर उस व्यक्ति के मोबाइल पर एक ओटीपी आता है जिसे वे अपने पोर्टल में दर्ज कर देते है। इसके बाद वह व्यक्ति कांग्रेस का मेंबर हो जाता है। थोड़ी देर बाद उसके नंबर पर कन्फर्मेशन मैसेज भी आ जाता है। इसके अलावा, कांग्रेस वॉट्सऐप ग्रुप में भी लोगों को मेंबर बनने की अपील कर रही है और लिंक भेज रही है।
जब हमने इसे लेकर कांग्रेस प्रदेश प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल से बात की तो बोल, 'हमें आलाकमान से कोई टारगेट तो नहीं मिला है, लेकिन हमारी कोशिश ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने की है। अभी तक डेढ़ लाख नए सदस्य बन चुके हैं। हर दिन करीब 10 हजार नए सदस्य बन रहे हैं। इसके साथ ही अब हम अलग- अलग लेवल पर वर्चुअल मीटिंग भी कर रहे हैं और लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे है।'
वहीं, बक्सर से कांग्रेस विधायक संजय तिवारी कहते हैं, 'हमारी डिजिटल मेंबरशिप भाजपा के मिस्ड कॉल की तरह नहीं है। हमारे कार्यकर्ता लोगों तक पहुंचते हैं, उन्हें कांग्रेस की नीतियों के बारे में बताते हैं, मोदी सरकार और बिहार सरकार की नाकामियों के बारे में बताते हैं। जब वे कांग्रेस से जुड़ने में दिलचस्पी दिखाते हैं तो हम उन्हें सदस्य बनाते हैं। इसके लिए बाकायदा हम उस व्यक्ति की फोटो और वोटर कार्ड लेते हैं, तब सदस्य बनाते हैं।'
कई भाजपा वाले भी हो गए कांग्रेसी
कांग्रेस की डिजिटल मेंबरशिप के दौरान कुछ दिलचस्प जानकारियां सामने आई हैं। हमने जब लोगों से इस बारे में जानने की कोशिश की तो कुछ लोग ऐसे मिले जो थे तो भाजपाई लेकिन इस बार कांग्रेस के मेंबर बन गए हैं। इसमें भी दो तरह के लोग हैं। एक जो भाजपा से नाराजगी की वजह से कांग्रेस की सदस्यता ले रहे हैं और दूसरे वो जो घर पर आने वाले कार्यकर्ताओं के साथ व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर सदस्य बन रहे है।
हमने बक्सर के मझरियां गांव के लोगों से इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि हमारे क्षेत्र में काम नहीं हो रहा है, इसलिए हम भाजपा छोड़ रहे हैं। गांव के ही एक बुजुर्ग श्रीनिवास उपाध्याय ने बताया, 'मैं शुरुआत में कांग्रेसी था, फिर कांग्रेस कमजोर हुई तो भाजपा का सदस्य बन गया। सालों तक भाजपा के लिए काम किया। लेकिन अब फिर से कांग्रेस ज्वाइन कर रहा हूं, क्योंकि हमारे सांसद हमारा काम नहीं करते हैं। मिलने पर सिर्फ आश्वासन देते हैं।
जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस 4 सितंबर से बिहार में वर्चुअल रैली की शुरुआत करेगी। कांग्रेस ने पहले चरण में 100 रैली का टारगेट रखा है। हर चरण में 8-10 हजार लोगों को जोड़ने की कोशिश है।
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