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Dainik Bhaskar

मैं देश भर से ऐसे लोगों की कहानियां ढूंढती हूं, जिन्होंने जीवन में कोई बड़ा काम किया हो। एक नई सोच से नई कंपनी शुरू की हो या फिर सोसायटी में बदलाव लाने की ठान ली हो। मतलब सीधा रास्ता सामने होते हुए भी उन्होंने टेढ़ा रास्ता चुना। क्या ऐसे लोग एकदम अलग हैं? अब एक सिम्पल-सा सीन देख लीजिए। आपके घर खाने में अक्सर प्याज डलती है। प्याज काटते हुए आपकी मम्मी के आंसू बहते हैं। फिर प्याज फ्राइ करने में उनका खून-पसीना लगता है। ये देखकर आप परेशान होते हैं। भुने हुए प्याज के बिना खाने में मजा नहीं, मगर कोई बेहतर तरीका नहीं हो सकता?

आपने इंटरनेट पर सर्च किया और पता चला कि ‘फ्राइड अनियन’ नाम का एक प्रोडक्ट है, पर अपने इंडिया के सुपरमार्केट में नहीं मिलता। तो फिर दिमाग में आया कि मेरी मम्मी की तरह हजारों औरतें प्याज भून-भूनकर परेशान हैं। क्यों ना इंडिया में ऐसा प्रोडक्ट इंट्रोड्यूस किया जाए? और वो भी अपने टेस्ट के हिसाब से।

तो बस, शुरू हो गए अपने ही किचन में एक बड़ी कड़ाही और खूब सारे तेल के साथ। काफी ट्रायल और एरर के बाद एक अच्छा प्रोडक्ट डेवलप हुआ। एक दुकान ने ट्रायल बेसिस पर बेचा, लोगों को पसंद आया। मगर शहर के कोने-कोने में पहुंचाने के लिए स्टाफ और केपिटल की जरूरत होती है। और वो क्षमता हमारे छोटे से बिजनेस में थी नहीं।

लेकिन हार नहीं मानी। सबसे ज्यादा तादाद में भुना प्याज कौन इस्तेमाल करता है? जनाब, ये तो रेस्तरां वालों का रोज का स्टैंडर्ड है। तो हमने सोचा, ऐसे एक रेस्तरां को अपने प्याज का कमाल दिखाएं। मुंबई में कैफे ब्रिटानिया धनसाक और बैरी पुलाव जैसी पारसी डिशेस के लिए फेमस है। तो बस, हमने अपने बेस्ट प्रोडक्ट उन्हें भिजवा दिए ट्राय करने के लिए।

कैफे ब्रिटानिया के मालिक मि. कोहिनूर ने एक नजर मारी और कहा, ऐसा प्याज हमें नहीं चलेगा। सोचिए, कितनी निराशा होगी सुनकर। मगर कोहिनूर साहब अच्छे इंसान थे। उन्होंने कहा, आओ हम बताते हैं इसको सही तरीके से कैसा करना है। शिष्य तैयार और एक बेहतर प्रोडक्ट के साथ उसे रेस्तरां से बल्क ऑर्डर मिलने लगे।

ये कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं हैं, एक रियल लाइफ स्टोरी है। जिसके किरदार हैं सत्यजीत रॉय और उनकी कंपनी का नाम है ईजीके फूड्स। आज वो एक बड़े स्केल की फैक्ट्री चला रहे हैं, जिसकी मासिक क्षमता सौ टन की है। नामी शेफ हरपाल सिंह सोखी आज उनके ब्रांड एम्बेसडर हैं। उनकी कंपनी को इन्वेस्टमेंट भी मिला है और आगे और भी प्लान हैं।

आइडिया एकदम सिम्पल। अपने घर में एक प्रॉब्लम का अहसास हुआ और उसी को अवसर में बदल दिया। क्या आपकी लाइफ में भी कोई प्रॉब्लम है? शायद वही आपके लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। हां, ये रास्ता कोई आसान नहीं। सत्यजीत खुद कहते हैं कि उन्होंने एक नहीं, दो नहीं, पांच आइडियाज ट्राय किए। तब जाकर उन्हें छठवीं बार में सक्सेस मिली।

कहते हैं हाथी की चमड़ी मोटी होती है, इसी तरह जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमें भी होना पड़ेगा। जब आप किसी काम में फेल होते हैं, तो सबसे ज्यादा चोट लगती है लोगों की बातों से। अब दूसरों को आपकी असफलता से क्या लेना-देना, मगर छोटी सोच के इंसान सिर्फ बातों का मजा लेते हैं। करने और मरने का जोश तो उनमें है नहीं। तो उनको बोलने दीजिए।

अगर आपका मन आत्मविश्वास से भरा हुआ है, तो कई असर नहीं पड़ेगा। सक्सेस के लिए किस्मत का भी साथ होना चाहिए। इसका ये मतलब नहीं कि आप मेहनत न करें और किस्मत के भरोसे बैठ जाएं। किस्मत सिर्फ उनकी खुलती है, जो जोश से, दिल से और दिमाग से अपने काम में लगे रहते हैं। समस्या की कमी नहीं, कोई भी चुन लें। अवसर शायद आपके दरवाजे पर खटखटा रहा हो। दुनिया की चिल्लम-चिल्ली से दूर रहें, नहीं तो सुनाई नहीं देगा। (ये लेखिका के अपने विचार हैं)



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रश्मि बंसल, लेखिका और स्पीकर


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