Header Ads



Dainik Bhaskar

हाल ही में बिल गेट्स ने अपने दोस्त वारेन बफे के लिए एक केक बनाया। उसका एक बढ़िया वीडियो भी बना, जो सोशल मीडिया पर पोस्ट हुआ। बिल ने कहा कि ये उनके दोस्त के लिए एक छोटा सा बर्थ-डे गिफ्ट है। कोरोना टाइम में केक भी वर्चुअली खाना पड़ता है, सो बिल ने केक बनाकर, दिखाकर, खुद ही स्लाइस काटकर अपने मुंह में डाल लिया। पते की बात यह है कि वारेन बफे की उम्र है नब्बे वर्ष।

जी हां, आजकल कोई बड़ी बात नहीं, अपने आसपास देखें तो 70 या 75 की उम्र के लोग पार्क में नाइकी के जूते पहनकर ब्रिस्क वॉक करते हुए दिखते हैं। पुराने ज़माने का एड याद आता है, जिसका स्लोगन था, साठ साल के बूढ़े या साठ साल के जवान?

यही सवाल हम सबको अपने से एक ना एक दिन करना पड़ेगा। क्योंकि जिंदगी का मीटर तो नॉन-स्टाप चल रहा है, रुकता नहीं। अगर उसे हिस्सों में बांट दें तो चार खंड हैं : बचपन, जवानी, मिडिल एज और रिटायरमेंट। पहले के दो हिस्सों में पढ़ाई पर ध्यान होता है, फिर काम पर और आखिर में आराम। लेकिन अगर हम 60 या 65 में रिटायर हो गए तो क्या इतने आराम की जरूरत है? आराम का मजा तब आता है जब हम काम से ब्रेक लेते हैं।

अगर जीवन एक एंडलेस ब्रेक बन जाए तो हमारी तमन्ना ये होती है कि ‘कोई मुझे काम दे।’ पर सच ये भी है कि सफेद बाल वालों को रिस्पेक्ट तो मिलती है, मगर नौकरी नहीं। इसका उपाय है कि रिटायरमेंट के बाद आप यूं सोचिए कि एक सेकंड कॅरिअर शुरू हो रहा है। और इस बार आप पैसे के लिए नहीं, सिर्फ सेटिस्फेक्शन के लिए काम कर रहे हैं। अगर आप अपने फील्ड में माहिर हैं, तो टीचिंग एक अच्छा ऑप्शन है। आप अपनी कला या अपना ज्ञान नई पीढ़ी को बांट सकते हैं। ऑनलाइन एजुकेशन के लिए ये एक सोने का खजाना है।

शिक्षा का मतलब ये नहीं कि आपको प्रोफेसर होने की जरूरत है। आजकल यूट्यूब के सबसे पॉपुलर कुकिंग चैनल्स मम्मियों के सहारे चल रहे हैं। आंध्रप्रदेश में सौ साल की उम्र से ऊपर मस्तनम्मा के 20 लाख फॉलोअर बन गए थे। वो थी गांव की औरत, मगर इस काम में उनके पोते ने बड़ी मदद की।

ज़रा सोचिए, क्या आपके घर में भी कोई ऐसा टैलेंट है? दूसरी चीज़ ये कि आप खुद कुछ नया सीखें। हो सकता है बचपन में कोई शौक था, पर वो ज़िंदगी की भागदौड़ में पीछे रह गया। या फिर उस वक्त पैसों की कमी थी, लेकिन अब क्या रुकावट है? बस एक मेंटल ब्लॉक है कि इस उम्र में थोड़ी हो पाएगा। वो हटा दें तो संगीत, भाषा और चित्रकला के द्वार आपके लिए खुल जाएंगे।

आप उस्ताद तो नहीं बनेंगे मगर जिस चीज़ में दिल लगता है, उसमें सुकून मिलता है। दिल की ऊपरी हिफाजत खाने के तेल से हो सकती है, मगर अंदरूनी दिल का ख्याल कौन रखेगा?

बच्चे जैसे जीना चाहें, उन्हें जीने दो। जीएम यानी कि घर के मैनेजर की गद्दी छोड़कर आप अपनी नई पहचान बनाएं। ये एडवाइस खासतौर पर लेडीज़ के लिए है। कहना आसान और करना मुश्किल, मगर एक उपाय है। आजकल एक नया ट्रेंड है- सीनियर सिटीजन कम्युनिटी।

यानी कि ऐसा कॉम्पलेक्स जहां, सारे रिटायर्ड लोग अपने जैसों के साथ रह सकें। पुराने जमाने में इसे ओल्डएज होम के नाम से जाना जाता था। और माना जाता था कि मेरे बच्चों ने मुझे वहां पटक दिया। लेकिन आज 60-65 की उम्र के लोग अपनी मर्जी से सीनियर लिविंग कॉम्प्लेक्स में शिफ्ट हो रहे हैं। क्योंकि उसके कई फायदे हैं। खाना, हाउसकीपिंग, मेडिकल फेसिलिटी, रोज की एक्टिविटीज़। और सबसे जरूरी, दोस्तों का सहारा।

एक दोस्त जिसके साथ आप थोड़ा हंस बोल लें। थोड़ा दुख-दर्द बांट सकें। हम सब उस दोस्त की तलाश में हैं। केक तो बाजार से भी आ सकता है, पर साथ खाने वाले भी तो चाहिए। इसलिए फैमिली के साथ-साथ उन रिश्तों को भी निभाते रहें। अगर 90वें बर्थडे पर एक सच्चे दोस्त का साथ हो, तो वो आपका सबसे बड़ा गिफ्ट है। (ये लेखिका के अपने विचार हैं)



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
रश्मि बंसल, लेखिका और स्पीकर


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2YX8JID

No comments

If any suggestion about my Blog and Blog contented then Please message me..... I want to improve my Blog contented . Jay Hind ....

Powered by Blogger.