Dainik Bhaskar
संदीप सिन्हा दिल्ली में एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करते थे। अच्छी-खासी सैलरी थी, सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन कोरोना के चलते लॉकडाउन लगा तो उनकी नौकरी चली गई। उनके बॉस ने आर्थिक तंगी का हवाला देकर नौकरी से निकाल दिया। वे 15 दिनों तक सदमे में रहे, 400 से ज्यादा जगहों पर उन्होंने नौकरी के लिए अप्लाई भी किया, लेकिन कहीं से कोई पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने खुद का बिजनेस शुरू किया। पहले ही महीने में 1.5 लाख की कमाई की।
35 साल के संदीप ने 2007 में इंजीनियरिंग करने के बाद एक साल तक एक आईटी कंपनी में जॉब किया। इसके बाद उन्होंने एमबीए किया। 2011 में अदानी ग्रुप में उनका प्लेसमेंट हो गया। दो साल तक यहां उन्होंने नौकरी की इसके बाद एक एमएनसी कंपनी में छह साल तक काम किया। इस साल सितंबर में उन्होंने एक नई कंपनी जॉइन की थी।
संदीप कहते हैं कि जब लॉकडाउन लगा तो काम का बोझ बढ़ गया था, सैलरी भी घट गई थी, फिर भी रात-दिन हम काम कर रहे थे। लगता था कि कुछ दिन बाद चीजें ठीक हो जाएंगी। लेकिन, चीजें दिन पर दिन बिगड़ती जा रही थीं। जून में मुझे कंपनी से ड्रॉप करने का नोटिस दे दिया गया। जुलाई में मुझे नौकरी से निकाल दिया गया। दिल्ली जैसे शहर में बिना नौकरी के रहना मुमकिन नहीं था, कई जगहों पर नौकरी के लिए अप्लाई किया, 4-5 जगहों से कॉल भी आए, लेकिन कहीं काम नहीं मिला। कोरोना के चलते कोई नई भर्ती करना नहीं चाहता था। मेरे लिए वह दौर सबसे मुश्किल रहा।
संदीप कहते हैं कि कोरोना के दौर में सबसे ज्यादा दिक्कत उन्हें हुई, जिनका एक्सपीरियंस 5 साल से ज्यादा और 15 साल से कम था। 1-2 साल एक्सपीरियंस वालों को नौकरी ढूंढने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।
वो कहते हैं कि आखिर कब तक हम बैठकर शोक मनाते, जीने के लिए कुछ तो करना ही था। जब कहीं से कुछ ऑफर नहीं मिला तो सोचा कि क्यों ना कुछ अपना ही काम किया जाए। वैसे भी मैं पहले से मैं अपना बिजनेस शुरू करना चाहता था, लेकिन जॉब के चलते नहीं कर पाया था तो कोरोना को ही अपॉरच्युनिटी समझकर खुद का काम शुरू करने का फैसला लिया। इस काम में मेरी पत्नी ने बहुत सपोर्ट किया।
चूंकि फाइनांस सेक्टर में मैंने काम किया था, नंबर गेम की मुझे अच्छी समझ थी तो इसी सेक्टर में काम करने का निर्णय लिया। मैंने थोड़ा-बहुत मार्केट रिसर्च किया, जिन लोगों को मैं जानता था या जो मेरे संपर्क में थे, उनसे बात की और लोगों का डेटा इकट्ठा शुरू करना किया। कुछ दिनों में 14-15 हजार लोगों का डेटा मैंने कलेक्ट कर लिया। सबको फोन करके अप्रोच करना शुरू कर दिया। कुछ लोगों ने दिलचस्पी दिखाई। इसके बाद अगस्त के अंत में एएनएस फिनसर्व नाम से एक कंपनी बनाई, जिसमें हम लोन और इंश्योरेंस देने का काम करते हैं।
संदीप कहते हैं कि कंपनी सेटअप के बाद हम-अलग अलग कंपनियों और बैंकों के पास गए। उनसे बातचीत की, सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर किए, वॉट्सऐप ग्रुप का सहारा लिया। शुरुआत में ही हमें अच्छा रिस्पॉन्स मिला। अब तक हमने दो हजार लोगों तक अप्रोच किया है, 20 लोग हमारे कस्टमर बने हैं, 200 से ज्यादा लोगों से फाइनल दौर में बातचीत चल रही है।
संदीप बताते हैं कि बजाज फिनसर्व, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक सहित एक दर्जन से ज्यादा कंपनियों से हमारा टाइअप हो गया है। कई कंपनियों से अंतिम दौर में बातचीत चल रही है, जल्द ही उनसे भी टाइअप कर लिया जाएगा। बीते एक महीना में हमें काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला है, लोग बीमा के लिए दिलचस्पी दिखा रहे हैं, खासकर के हेल्थ सेक्टर में जहां कोरोना के चलते लोग थोड़ा असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उनकी कंपनी हर तरह के लोन, हेल्थ इंश्योरेंस, गाड़ियों के लिए इंश्योरेंस जैसे काम कर रही है।
संदीप के साथ अभी 8 लोग काम करते हैं। वे कहते हैं कि अगले साल हमारा टारगेट 200 से अधिक लोगों की टीम तैयार करने का है। चूंकि अभी एक महीना ही हुआ है हमारे काम को और इतना बेहतर रिस्पॉन्स मिला है तो अगले साल तक हम 7-8 करोड़ रु टर्नओवर की उम्मीद कर रहे हैं। अभी कोरोना के चलते कई लोगों की नौकरियां गईं हैं, लोगों के सामने आर्थिक संकट है, इसलिए अभी लोन या इंश्योरेंस पर खर्च करने वालों की संख्या कम है। लेकिन, जैसे ही सबकुछ ठीक होगा, हमारी रफ्तार और तेजी से बढ़ेगी।
वो बताते हैं कि इस फिल्ड में बेहतर काम करने के लिए तीन चीजों का होना जरूरी है। कम्युनिकेशन स्किल्स, मैथेमेटिकल स्किल्स और ट्रस्ट। अगर आप किसी से बेहतर संवाद कर सकते हैं, अपनी बातचीत से उसका भरोसा जीत सकते हैं और मार्केट के उतार चढ़ाव की आपको समझ है तो आप इस सेक्टर में सफल हो सकते हैं। इसके साथ ही मार्केट रिसर्च और अलग- अलग सेक्टर्स के लोगों से कॉन्टैक्ट होना भी जरूरी है।
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