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Dainik Bhaskar

कोरोना पॉजिटिव होने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को मेरीलैंड के वॉल्टर रीड हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है। उन्हें हल्का बुखार, सर्दी और सांस लेने में कुछ परेशानी बताई गई है। डॉक्टर्स ट्रम्प का इलाज ऐसी एंटीबॉडी ड्रग से कर रहे हैं जो फिलहाल दूसरे कोरोना मरीजों के लिए उपलब्ध नहीं है। यह एंटीबॉडी कॉकटेल ड्रग है। इसका नाम REGN-COV2 है। ट्रम्प को इस दवा के 8 ग्राम का एक डोज दिया गया है।

ट्रम्प के ट्रीटमेंट से जुड़ी 4 खास बातें

1. अमेरिकी कम्पनी ने तैयार की दवा REGN-COV2
REGN-COV2 दवा को अमेरिकी कम्पनी रीजेनेरन ने तैयार किया है। जिसका ट्रायल लंदन में चल रहा है। कम्पनी का दावा है कि ट्रायल के रिजल्ट बेहतर दिख रहे हैं। इस दवा में चूहे और कोरोना से रिकवर हुए मरीज की एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया गया है। कम्पनी का दावा है, दोनों एंटीबॉडी मिलकर कोरोना को न्यूट्रिलाइज करने में मदद करेंगी। यह दवा कितनी असरदार है, आधिकारिक तौर पर इसकी ट्रायल रिपोर्ट आनी बाकी है।

2. एंटीबॉडी ड्रग पर सवाल भी उठे
डेलीमेल की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन दो मरीजों का ट्रीटमेंट इस एंटीबॉडी ड्रग से हुआ है, उनमें साइडइफेक्ट दिखे हैं। लेकिन, अमेरिकी कम्पनी रीजेनेरन ने यह जानकारी सार्वजनिक नहीं की। दोनों ही मरीजों को इस दवा की लो डोज दी गई थी। ट्रम्प के फिजिशियन डॉ. सिएन कॉन्ले के आधिकारिक बयान के मुताबिक, ट्रीटमेंट के दौरान ट्रम्प को 8 ग्राम REGN-COV2 दवा की सिंगल डोज दी गई है।

3. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर का दावा, दवा सुरक्षित है
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पीटर हॉर्बी का कहना है, यह ड्रग सुरक्षित है। इसकी एक डोज से मरीज को 6 हफ्तों तक की सुरक्षा मिल जाती है। यह एक तरह से आर्टिफिशियल एंटीबॉडी है। जिनमें दो तरह की एंटीबॉडीज हैं। इसका काम कोरोना को इंसान में घुसने से रोकना है और संख्या बढ़ाने पर भी रोक लगाना है। यह वायरस को खत्म करने में इम्यून सिस्टम की मदद करती है।

प्रो. पीटर के मुताबिक, ट्रायल में यह ड्रग कोरोना के हल्के और गंभीर लक्षण वाले करीब 500 मरीजों को दिया गया है। अभी तक सुरक्षा को लेकर कोई भी दिक्कत सामने नहीं आई हैं। यह काफी असरदार दवा है और लैब में इसकी पुष्टि भी हुई है।

4. ट्रीटमेंट में शामिल की गईं 6 अन्य दवाएं क्या करती है, इसे समझिए
इसके अलावा ट्रम्प को ट्रीटमेंट में रेमडेसेविर, जिंक, विटामिन-डी, फेमोटिडिन, मेलाटोनिन और एस्प्रिन दी जा रही है। डॉक्टर्स को उम्मीद है, दवाओं का कॉम्बिनेशन उनकी रिकवरी को तेज करेगा। लेकिन ये सभी दवाएं क्या काम करती हैं, इसे समझिए-

  • रेमडेसेविर : यह एंटी-वायरल ड्रग है, जिसे इबोला का ट्रीटमेंट करने के लिए तैयार किया गया था। महामारी की शुरुआत से ही इसे कोरोना के मरीजों को दिया जा रहा है। यह ड्रग शरीर में मेर्स, इबोला और कोरोनावायरस की संख्या बढ़ने से रोकता है।
  • जिंक : यह ऐसे मरीजों को दी जाती है जिनके गले में समस्या होती है। कोरोना के मामलों में जिंक कितना कारगर, इस पर रिसर्च जारी है। एक्सपर्ट का कहना है, यह नुकसान नहीं पहुंचाता, इसलिए कोरोना के मरीजों को दिया जा सकता है।
  • विटामिन-डी : कई रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि विटामिन-डी की कमी होने पर संक्रमण का खतरा बढ़ता है। ब्रिटेन के हेल्थ सेक्रेटरी का कहना है, विटामिन-डी के सप्लिमेंट्स सुरक्षित और किफायती हैं, इसे लिए जा सकते हैं।
  • फेमोटिडिन : यह ड्रग पेप्सिड के नाम से बाजार में मिलता है। सीने में जलन होने पर इसे मरीज को दिया जाता है। न्यूयॉर्क में कोरोना के मरीजों पर इसका ट्रायल चल रहा है। शुरुआती दौर के ट्रायल में यह दवा मददगार साबित हुई है।
  • मेलाटोनिन : यह दवा नींद न आने पर मरीजों को दी जाती है। टेक्सास के डॉक्टर्स का कहना है, कोरोना के 400 मरीजों को यह दवा दी गई। उनमें से कुछ ही मरीजों की हालत नाजुक हुई। साउथ फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी में इस दवा पर रिसर्च चल रहा है। लेकिन, अब तक कोई सटीक परिणाम सामने नहीं आए हैं।
  • एस्प्रिन : यह जानी-मानी पेनकिलर दवा है जो शरीर में वायरस को उसकी संख्या बढ़ाने से रोकती है। विशेषज्ञों का कहना है, यह दवा कोरोना के मामले को गंभीर होने से रोकने में मदद करती है। इसके अलावा कोरोना के मरीजों में हृदय रोगों के कारण होने वाले कॉम्पलिकेशन को भी रोकती है।


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