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Dainik Bhaskar

वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (WEF) पहली बार वर्चुअल ग्लोबल जॉब री-सेट समिट कर रहा है। 20 अक्टूबर से शुरू हुई ये समिट 23 तक चलेगी। इन चार दिनों में दुनियाभर की बड़ी कंपनियों के सीईओ, अलग-अलग सेक्टर के एक्सपर्ट्स अपनी बात रखेंगे। कोरोना के कारण दुनियाभर के सर्विस सेक्टर में क्या बदलाव आए हैं? कितनी नौकरियां गई हैं? कौन से नए सेक्टर हैं, जिनमें नई नौकरियों के अवसर आने वाले हैं? इन सब पर इस समिट में बात हो रही है।

समिट के पहले दिन ये बात सामने आई कि कोरोना ने जॉब का लैंडस्केप बदल दिया है। यानी, अब आपको नौकरी के लिए खुद को री-स्किल्ड करना होगा। क्योंकि, कई ऐसे सेक्टर सामने आने वाले हैं, जिनके लिए अलग-अलग स्किल वाले लोगों की जरूरत होगी। कंपनियां डिजिटलाइज होंगी। ऑफिस से काम करने का कल्चर कम होगा। अगर आपने इन नई जरूरतों के हिसाब से खुद को ढाल लिया, तो आपके लिए नौकरियां ही नौकरियां हैं।

  • मशीन VS मैनपॉवर की डिबेट बहुत पुरानी है। यह औद्योगिकीकरण के साथ ही शुरू हो गई थी। मशीन मास प्रोडक्शन के लिए जरूरी है, लेकिन ये मैनपावर का विकल्प कभी नहीं बन सकी। कोरोना के बाद मैनपावर वर्किंग और घटेगी। उनकी जगह मशीनें लेंगी। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक, कोरोनावायरस में ऑटोमेशन बहुत तेजी से बढ़ा है, जिससे 2025 तक भारत, अमेरिका, चीन जैसे 26 देशों में 8 करोड़ से ज्यादा नौकरियां बुरी तरह से प्रभावित होंगी।

  • ये तो रही बैड न्यूज, अब सुनें गुड न्यूज। इसी ऑटोमेशन के चलते 2025 तक 97 मिलियन यानी लगभग 10 करोड़ नौकरियों के अवसर बनेंगे। इसी ऑटोमेशन के चलते मैनपावर तीन हिस्सों में बंट जाएगी। लेबर, स्किल्ड लेबर और एल्गोरिद्म (algorithm)। बिना एल्गोरिद्म के दुनिया में कुछ भी ऑटोमैटिक हो ही नहीं सकता। इसलिए अगर आप नौकरियों की तलाश में हैं तो वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक, आपको डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजिटल मार्केटिंग और इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी के क्षेत्र में अपने करियर को प्लान करना चाहिए।

डाटा एंट्री पर नहीं अब डाटा एनालिसिस पर फोकस करिए

  • कोरोना के चलते कुछ नौकरियां तो बिल्कुल ट्रेंड से बाहर हो जाएंगी। डाटा एंट्री से जुड़ा सारा काम आटोमैटिक हो रहा है। लेकिन, जितनी ज्यादा डाटा एंट्री से जुड़ी नौकरियां जा रहीं हैं, उससे कहीं ज्यादा डाटा एनालिसिस में नए मौके आ रहे हैं।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने से एडमिनिस्ट्रेटिव सेक्रेट्री और अकाउंटिंग क्लर्क जैसी नौकरियों का स्कोप कम होगा और 2025 तक पूरी तरह से ट्रेंड से जाने का अनुमान है। इसलिए नए लोगों के लिए एआई यानी आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस में काफी मौके होंगे। ऑटोमेशन से जुड़ीं बहुत सी ऐसी नौकरियां हैं, जहां आप खुद को फिट कर सकते हैं।

री-स्किल्ड हो जाइए, अर्जेंट है

  • समिट के मुताबिक 84% एम्प्लॉयर अपनी वर्किंग को डिजिटलाइज करने जा रहे हैं। ग्लोबल इंडस्ट्री में 44% वर्कफोर्स ऐसा होगा जो बगैर ऑफिस आए काम करेगा।

  • कोरोना के चलते कंपनियों को मजबूरी में वर्क फ्रॉम होम करना पड़ा, वो एक सक्सेस एक्सपेरिमेंट साबित हुआ है। यानी, आप भी अपनी स्किल्स को ऐसे डेवलप कर सकते हैं कि आप घर से ही दुनिया की किसी भी कंपनी के लिए काम कर सकें।

  • जॉब री-सेट समिट के मुताबिक, कोरोनावायरस के बाद अगले पांच साल में इंडस्ट्री पूरी तरह से ट्रांसफार्म हो जाएगी, यानी इंडस्ट्री का स्वरूप बदल जाएगा। इसके चलते आने वाली नई वर्किंग भी बदल जाएगी। जाहिर है इसी हिसाब से आपको स्किल्ड होना होगा।अगर आप नए युग की नई नौकरियां चाहते हैं तो अपने आपको री-स्किल्ड कर लीजिए।



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WEF summit regarding jobs scope; Due to automation, 8 crore jobs are going, then 9 crore are coming, if re-skilled, the next five years are yours.


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