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Dainik Bhaskar

संसार का सबसे बड़ा अनसुलझा मुद्दा है जम्मू-कश्मीर का। 1947 में जिस विलय संधि के आधार पर जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा बना, वह महज दो पेज का है और उसने विवाद का समाधान नहीं दिया बल्कि और उलझा दिया।

उस समय साढ़े पांच सौ से अधिक रियासतों के शासकों को तय करना था कि वे भारत में रहें या पाकिस्तान में जाएं। दिल्ली में गृह मंत्रालय ने एक फॉर्म तैयार किया था। उसमें भी खाली जगह छोड़ी गई थी, जिसमें रियासतों और शासकों के नाम व तारीख लिखी जानी थी।

अ मिशन इन कश्मीर किताब के लेखक एंड्रयू ह्वाइटहेड ने लिखा है कि कश्मीर के अंतिम महाराजा हरि सिंह स्वतंत्र रहना चाहते थे लेकिन वह तो विकल्प था ही नहीं। वहां मुस्लिम आबादी ज्यादा थी, लेकिन शासक हिंदू थे। हरि सिंह ने फैसला लेने में काफी देर कर दी थी। भारत-पाकिस्तान आजाद हो चुके थे।

जब अक्टूबर 1947 में इस बात के संकेत निकले कि जम्मू-कश्मीर भारत में विलय कर सकता है तो कबायली लड़ाकों ने आक्रमण कर दिया। पाकिस्तान की नई सरकार ने उन्हें हथियार दिए। कबायलियों की फौज गैर-मुस्लिमों की हत्या और लूटपाट करते आगे बढ़ी।

तब हरिसिंह 25 अक्टूबर 1947 को श्रीनगर से जम्मू आ गए। आधिकारिक रूप से कहा जाता है कि गृह सचिव वीपी मेनन 26 अक्टूबर को जम्मू गए और उन्होंने ही विलय के कागजात पर महाराजा से दस्तखत करवाए। भारतीय फौज ने पाकिस्तानियों को श्रीनगर में घुसने से रोक दिया।

लेकिन पूरी रियासत से बाहर नहीं निकाल पाए। 1948 में फिर लड़ाई छिड़ी और पाकिस्तान ने खुलेआम भाग लिया। आजाद होने के कुछ महीनों के अंदर ही भारत और पाकिस्तान कश्मीर में एक-दूसरे से लड़ रहे थे। हरि सिंह ने विलय संधि पर साइन कर विवाद के निपटारे की उम्मीद जताई थी, लेकिन उस विवाद का कोई हल अब तक नहीं निकला है।

26 अक्टूबर के साइन का महत्वः कबाइलियों से निपटने के लिए 27 अक्टूबर को तड़के भारतीय सेना कश्मीर की ओर बढ़ी। उसे हवाई जहाज से श्रीनगर की हवाई पट्टी पर उतारा गया। भारत ने हमेशा यह ही कहा है कि विलय संधि पर साइन के बाद ही सैन्य अभियान शुरू किया।

क्या थी नेहरू की भूल: लॉर्ड माउंटबेटन ने कहा था कि हमलावरों को खदेड़ने के बाद जनता की राय पर राज्य के विलय के मुद्दे को निपटाएं। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने तो संयुक्त राष्ट्र या अंतरराष्ट्रीय पक्ष की मौजूदगी में जनमत संग्रह की बात कह दी।

1984 में पहली बार छोटे बच्चे को जानवर के अंग लगाए

14 अक्टूबर 1984 को जन्मे बेबी फेई को दिल की दुर्लभ बीमारी थी। तब उसे बबून का दिल लगाया गया था। यह सर्जरी कैलिफोर्निया में लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में डॉ. लियोनार्ड एल बैली ने की थी। यह बात अलग है कि बेबी फेई के शरीर ने बबून का दिल स्वीकार नहीं किया था। कुछ ही दिनों में फेई की मौत हो गई थी। इसके बाद भी यह पहला केस था, जिसमें जानवर के अंग का इस्तेमाल मनुष्यों में किया गया था।

आज की तारीख को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता हैः

  • 1858ः एच.ई. स्मिथ ने वॉशिंग मशीन का पेटेंट कराया।
  • 1905ः नॉर्वे ने स्वीडन से स्वतंत्रता प्राप्त की।
  • 1934ः महात्मा गांधी के संरक्षण में अखिल भारतीय ग्रामीण उद्योग संघ की स्थापना।
  • 1943ः कलकत्ता (तत्कालीन कोलकाता) में हैजे की महामारी से अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में 2155 लोगों की मौत।
  • 1951ः विंस्टन चर्चिल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने।
  • 1969ः चांद पर कदम रखने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन मुंबई आए।
  • 1975ः मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात अमेरिका की आधिकारिक यात्रा करने वाले देश के पहले राष्ट्रपति बने।
  • 1976ः त्रिनिदाद एंड टोबैगो गणराज्य को ब्रिटेन से आजादी मिली।
  • 2001ः जापान ने भारत और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ लगे प्रतिबंधों को हटाने की घोषणा की।
  • 2005ः वर्ष 2006 को भारत-चीन मैत्री वर्ष के रूप में मनाने का फैसला।
  • 2006ः इजरायल में एक मंत्री ने भारत से बराक सौदे पर जांच की मांग की।
  • 2007ः अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का महत्वपूर्ण यान डिस्कवरी अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर सफलतापूर्वक उतरा।
  • 2015ः उत्तर पूर्वी अफगानिस्तान के हिंदूकुश पर्वत शृंखला में 7.5 तीव्रता वाले भूकंप से 398 लोगों की मौत, 2536 घायल।


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