Dainik Bhaskar
बीती रात पीड़िता के भाई ने पुलिस से छिपकर हमें कॉल किया। उनकी आवाज दबी हुई थी। मानो वह कुछ कहना तो चाह रहे हों, लेकिन कह नहीं पा रहे हों। अचानक फोन कट गया। कुछ देर बाद हमने फिर से दूसरे नंबर पर कॉल किया तो बोले, 'हमारा परिवार नजरबंद है। हम घर से नहीं निकल सकते। बाथरूम तक नहीं जा सकते। किसी से बात नहीं कर सकते। प्रशासन हम पर दबाव बना रहा है।’
पीड़िता के गांव को अब सील कर दिया गया है और एसआईटी के अलावा किसी को भी यहां जाने की अनुमति नहीं है। मीडिया को भी गांव से दूर कर दिया गया है।
फोन पर बात करते हुए पीड़िता की भाभी ने बताया, 'डीएम साहब घंटा दो घंटा यहां बैठे और डराते धमकाते रहे। वो हमें इतना डरा रहे थे कि अब हमें उनसे डर लग रहा है। वे ऊटपटांग बातें कर रहे थे। हम अपनी कुछ बात कहना चाह रहे थे तो डांट दे रहे थे। कल पापा को यहां से उठवा कर ले गए थे और उनसे कहा कि मीडिया के सामने ऐसे बोल देना कि अब सब सही है और कोई दबाव नहीं है।' पीड़िता की भाभी का कहना था कि डीएम ये धमकी भी देकर गए हैं कि ये मुकदमा परिवार पर उल्टा भी पड़ सकता है।
पीड़िता की भाभी ने डीएम से शव को रात में जला दिए जाने को लेकर बहस भी की। वो बताती हैं, 'हमने पूछा कि आपने हमारी बेटी की बॉडी को रात में ही जला क्यों दिया, हमें दिखाया क्यों नहीं तो उन्होंने बोला कि बॉडी का पोस्टमार्टम हुआ था, बॉडी इतनी बेकार हो चुकी थी कि तुम लोग देख नहीं सकते थे।'
वो बताती हैं, 'जब मैंने उनसे कहा कि हम कैसे नहीं देख सकते थे तो उन्होंने कहा कि तुम लोग पोस्टमार्टम का मतलब भी समझते हो? वो हमें मतलब समझा रहे थे कि पोस्टमार्टम कैसे होता है। बोले सर में हथोड़ा मारते हैं, सर फोड़ देते हैं, ये-वो निकाल लेते हैं। गले से लेकर पेट तक पूरा चाकू से काट देते हैं। बॉडी पन्नी में पैक थी, उसे खोलकर दिखाते तो कितनी दिक्कत होती।
वो बताती हैं, 'डीएम कह रहे थे कि पहली बात तो रेप हुआ ही नहीं और अगर वो कोरोना से मर जाती तो तुम्हें मिलता मुआवजा? वो ऐसी बातें बोल रहे थे जैस हम किसी इंसान के मरने का इंतजार कर रहे थे। ऐसे हादसे के बाद हमें उनके मुआवजे की जरूरत है? अगर उनकी अपनी बेटी होती और उसके साथ ऐसा होता तो क्या वो मुआवजा लेते? जब मैंने उनसे ये बात कही तो एकदम चिल्लाने लगे, हमें डांटने लगे।'
मुआवजा नहीं इंसाफ चाहिए
पीड़िता की भाभी कहती हैं, 'आज दो लोगों को भेजा था हमारे घर, समझाने के लिए। वो कह रहे थे कि हम तुम्हारी कास्ट के ही हैं, अभी जो हो रहा है, सही हो रहा है। जो अभी मिल रहा है ले लो, फिर नहीं मिलेगा। आगे कुछ होगा या नहीं होगा इसका भी भरोसा नहीं है।'
जब मैंने उनसे पूछा कि क्या सरकार की ओर से घोषित किया गया पच्चीस लाख रुपए का मुआवजा परिवार को मिल गया है तो उनका कहना था, 'हमारे घर से कोई बाहर आ जा ही नहीं रहा है तो हमें क्या पता आए या नहीं आए, हमने तो सरकार से पैसे मांगे नहीं थे। हमारी तो बस ये ही डिमांड थी कि इन लोगों को फांसी की सजा हो और अच्छा न्याय मिले। इसके अलावा, पैसे, मकान या ये सब हमने कभी नहीं मांगा। उन्होंने ये सब पापा के सामने रख दिया और पापा से साइन करवा लिए हैं। बहुत सारे लोगों के बीच में खड़ा करके पापा पर दबाव देकर ये सब करवाया गया।'
मेडिकल रिपोर्ट पर सवाल
यूपी पुलिस के एडीजी प्रशांत कुमार ने एक बयान में कहा है कि मेडिकल रिपोर्ट में रेप या यौन हिंसा की पुष्टि नहीं हुई है। परिवार का कहना है कि उन्हें मेडिकल रिपोर्ट पर भरोसा नहीं है। पीड़िता की भाभी कहती हैं, 'पोस्टमार्टम रिपोर्ट, अस्पताल की रिपोर्टें, सब बदल दी गईं। हमें एक रिपोर्ट तक नहीं दी गई है। ना मेडिकल रिपोर्ट ना ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट। हमसे कहा गया कि कोई रिपोर्ट आएगी तो तुम लोग तो पढ़ भी नहीं पाओगे, हमारे परिवार वालों को तो पागल ही समझ रहे हैं।'
पीड़िता के भाई कहते हैं, 'सफदरजंग अस्पताल में हमारे सामने पोस्टमार्टम होता और हमारी आंखों के सामने जो रिपोर्ट मिलती हम उसे असली मानते। लेकिन हमें तो शामिल ही नहीं किया गया। अब रिपोर्ट पर कैसे विश्वास कर लें? हमसे कहा गया था कि हमें रिपोर्ट मिलेगी, लेकिन हमें रिपोर्ट नहीं दी गई सीधे मीडिया में बता दिया गया कि रेप नहीं हुआ। मतलब जो बयान दिए गए वो झूठे थे। मरता हुआ इंसान झूठ बोल रहा था?
भारी पुलिस की मौजूदगी से परेशान हो गया है परिवार
पीड़िता की भाभी कहती हैं, 'सुबह से लेकर मेरी तीनों लड़कियां रोए जा रही थीं। एक-एक बार में दस-दस पुलिस वाले आ रहे थे। बरामदे में बैठ रहे थे, पूरे आंगन में पुलिस ही पुलिस, छत पर पुलिस ही पुलिस। बाहर गेट के बाहर पुलिस लगा रखी है। वो कह रहे थे, 'घर से वीडियो बनकर बाहर जा रही है। हम क्यों वीडियो बनाएंगे। हमसे बोलकर गए हैं कि जो वीडियो बनाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।'
इतने दिन से हम हादसे की वजह से खाना-पीना नहीं कर पा रहे थे। अब जो रिश्तेदार आए हुए हैं उन्हें भी सुबह का खाना शाम को तीन बजे मिल रहा है। वो भी तो इंसान है। हम लोग नहीं खा पी पा रहे हैं कोई बात नहीं लेकिन उन्हें तो करके देना पड़ेगा, कैसे भी करके। रात का खाना बारह बजे मिल रहा है। तो कैसे होगा?
गांव छोड़कर जाना चाहता है परिवार
पीड़िता की भाभी कहती हैं, 'हमें गांव छोड़ कर अब जाना ही पड़ेगा। बहुत बड़ी दुनिया है, कहीं भी रह लेंगे। भीख मांगकर भी रहना पड़ेगा तो रह लेंगे। अपनी मौत को दोबारा कोई दावत देगा। वैसे भी लोग धमकियां दे रहे हैं। छोटे वाले देवर के लिए बोल रहे हैं कि एक घर से लड़का जाएगा तो दूसरे घर से भी जाएगा।'
पूरे परिवार का कोरोना टेस्ट कराना चाहता है प्रशासन
प्रशासन ने तीन पुलिसकर्मियों में कोरोना के लक्षण दिखने के बाद गांव को क्वारैंटाइन कर दिया है। वहीं पीड़िता के परिवार का कहना है कि प्रशासन पूरे परिवार का कोरोना टेस्ट कराने पर जोर दे रहा है। पीड़िता की भाभी कहती हैं, 'कोरोना जांच वाले लोग कल भी आए थे, आज भी आए थे और अब कल भी आएंगे। कह रहे थे तुम्हारा पूरा घर सैनिटाइज होगा, सभी की कोरोना टेस्ट करा लो। हमने कहा किसी को कोरोना नहीं हुआ है। उनका मकसद है कि किसी को भी कोरोना घोषित कर दें और फिर तो घर पर हमारा ही राज हैा
हाथरस गैंगरेप से जुड़ी आप ये खबरें भी पढ़ सकते हैं...
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/30p3Skj
No comments
If any suggestion about my Blog and Blog contented then Please message me..... I want to improve my Blog contented . Jay Hind ....