Dainik Bhaskar
आप जानते हैं कि फैट क्या है? नहीं तो जरूर जानिए। फैट मोटापा, हाइपरटेंशन, डाइबिटीज और अर्थराइटिस जैसी बीमारियों की वजह है। जब हम शरीर की जरूरत से ज्यादा मात्रा में फैट खाते-पीते हैं, तो इस तरह की बीमारियों को न्योता देते हैं।
फैट दो तरह के होते हैं। पहला- गुड फैट, दूसरा- बैड फैट। आमतौर पर हम समझते हैं कि गुड फैट लेने से हमें कोई दिक्कत नहीं होगी। ऐसा बिल्कुल नहीं है। रायपुर में डायटीशियन डॉक्टर निधि पांडे कहती हैं कि फैट कोई भी हो, अगर हम उसे गलत ढंग से खा-पी रहे हैं तो वो सेहत के लिए अच्छा नहीं है।
इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) के मुताबिक, हम खाने में ज्यादा फैट ले रहे हैं। ग्रामीण भारत में 22% और शहरी भारत में 27% कैलोरी ऊर्जा लोग ऐसी चीजों से ले रहे हैं, जिनमें फैट की मात्रा ज्यादा होती है। देश की ग्रामीण आबादी एनर्जी के लिए फैट वाले फूड प्रोडक्ट पर 12% और शहरी लोग 17% ज्यादा निर्भर हैं। ICMR की गाइडलाइन के मुताबिक, हमें फैट वाले फूड प्रोडक्ट से 10% से ज्यादा एनर्जी नहीं लेनी चाहिए।
स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन की 2019 की रिपोर्ट मुताबिक, भारत में 2012 में मोटापे की दर 3% थी, यह 2016 में बढ़कर 3.8% हो गई।
क्या फैट मोटापे की वजह है?
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के मुताबिक, हम जरूरत से ज्यादा फैट ले रहे हैं तो इससे शरीर का वेट बढ़ना तय है। यहां तक किसी भी एक न्यूट्रिशन पर जरूरत से ज्यादा निर्भर होने का मतलब है कि हम अपनी सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। फैट के अलावा कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और अल्कोहल का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल भी हमारे वेट को बढ़ा सकता है।
हमें किस चीज से कितनी कैलोरी एनर्जी मिलती है
प्रति ग्राम | कैलोरी |
फैट |
9% |
अल्कोहल |
7% |
कार्बोहाइड्रेट |
4% |
प्रोटीन |
4% |
सोर्स- हार्वर्ड मेडिकल स्कूल
किन चीजों से फैट ज्यादा मिलता है?
हम रोजमर्रा की जिंदगी में कई बार फैट लते हैं। फ्रेंच फ्राइज, प्रोसेस्ड फूड, केक, कुकीज, चॉकलेट, चीज और आइसक्रीम जैसी चीजों में फैट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। इनको ज्यादा खाने से मोटापे के अलावा टाइप-2 डाइबिटीज, कैंसर और हार्ट की बीमारियां हो सकती हैं।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के रिसर्च पेपर के मुताबिक, अगर हम गुड फैट लेते हैं तो रिस्क फैक्टर कम हो जाता है। कुछ भी खाने से पहले आप यह तय कर लें कि उसमें किस तरह का फैट है।
गुड फैट और बैड फैट में अंतर कैसे करें?
फैट 2 तरह के हैं, सेचुरेटेड और अनसेचुरेटेड। अनसेचुरेटेड फैट को ही गुड फैट कहा जाता है। आप इससे बैड फैट को रिप्लेस करते हैं तो मोटापे, हार्ट डिजीज, हाइपरटेंशन और डाइबिटीज जैसी बीमारियों का रिस्क कम हो जाता है।
सेचुरेटेड यानी बैड फैट। यदि आप बैड फैट खा-पी रहे हैं तो आप ब्लड कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ा रहे हैं। इससे ट्राईग्लिसराइड भी बढ़ जाता है। यही चीजें मोटापे और हार्ट डिजीज की वजह बनती हैं। बैड फैट थोड़े सस्ते भी होते हैं, इसलिए लोग इसका इस्तेमाल ज्यादा करते हैं।
4 तरीकों से ले सकते हैं गुड फैट
गुड फैट लेने से कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लिसराइड लेवल कम होता है। इससे बॉडी को जरूरी न्यूट्रिशन भी मिलता है।
- मछली- यह गुड फैट का सबसे अच्छा जरिया है।
- सरसों का तेल- स्नैक्स और तली-भुनी चीजें खाना पसंद करते हैं तो सरसों का तेल इस्तेमाल करें।
- नट्स और ड्राई फ्रूट- इनमें गुड फैट, विटामिन, प्रोटीन और फाइबर पाए जाते हैं।
- तेल को चेक करें- खाने का तेल खरीदते वक्त उसका लेबल जरूर चेक करें। वही खरीदें, जिसमें सेचुरेटेड फैट कम हो।
सोर्स- heart.org
गुड फैट भी बैड फैट हो सकता है
डॉक्टर निधि पांडेय कहती हैं फैट कैसा भी हो, अगर हम खाने के बाद एक्सरसाइज या वर्कआउट नहीं करेंगे तो सेहत बिगड़नी तय है। जब हम गुड फैट वाले आयल को हाई टेंपरेचर पर पकाते हैं तो वह बैड फैट में बदल जाता है। इसके अलावा जब हम घी जैसे गुड फैट से पूड़ी-पराठा बनाते हैं, तो वह भी बैड फैट में बदल जाता है, क्योंकि इसमें धुआं निकलता है।
किन चीजों का ध्यान रखना जरूरी
- तेल खरीदते बोतल पर लेबल चेक जरूर करें।
- यदि तेल का जरिया बैड फैट है तो न खरीदें।
- तेल में सेचुरेटेड फैट की मात्रा 5% से ज्यादा हो तो न खरीदें।
- एक ही तेल में बार-बार कुकिंग न करें।
- बाहर की तली-भुनी चीजें ज्यादा न खाएं।
- घी और बटर को अलग से खाएं।
- वर्कआउट या एक्सरसाइज जरूर करें।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3mx7Boz
No comments
If any suggestion about my Blog and Blog contented then Please message me..... I want to improve my Blog contented . Jay Hind ....