Dainik Bhaskar
अमेरिका का अलास्का प्रांत। बहुत खूबसूरत है। ठंडा भी है। यहां का एक शहर है उतकियागविक। 2016 तक इस शहर को बैरो नाम से जाना जाता था। यहां 18 नवंबर को आखिरी बार सूरज दिखाई दिया था। अब यहां 23 जनवरी को ही सूरज दिखेगा। यानी 65 दिन तक यहां लोग अंधेरे में ही रहेंगे। यहां के लोग इसे ’65 डेज ऑफ डार्कनेस’ कहते हैं। इस शहर की ये भी खासियत है कि यहां गर्मी के मौसम में 2 महीने तक सूरज निकला रहता है। लेकिन, ये सब होता कैसे है? आइए इसे समझते हैं...
पहले बात दिन और रात होती कैसे है?
हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं कि पृथ्वी अपनी धूरी पर घूमती है। पृथ्वी का एक चक्कर 24 घंटे में पूरा होता है। क्योंकि, पृथ्वी गोल है और सूरज का चक्कर लगा रही है, इसलिए इसका एक हिस्सा 12 घंटे तक ही सूरज के सामने रहता है। इसलिए, जिस हिस्से पर सूरज की रोशनी पड़ती है, वहां दिन होता है और जहां रोशनी नहीं पड़ती, वहां रात होती है। पृथ्वी को सूरज का एक चक्कर पूरा करने में 365 दिन, 6 घंटे और 48 मिनट लगता है। इसलिए 365 दिन में हमारा साल बदल जाता है।
अब समझते हैं कुछ जगहों पर दिन और रात लंबे क्यों होते हैं?
भूगोल में हमने पढ़ा है कि पृथ्वी अपने अक्ष(एक्सिस) पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है। यानी, पृथ्वी गोल तो है, लेकिन वो सीधी नहीं है, थोड़ी तिरछी है। इसके दो ध्रुव हैं, उत्तरी और दक्षिणी। क्योंकि पृथ्वी झुकी हुई है, इसलिए जब वो सूरज का चक्कर लगाती है, तो एक ही ध्रुव में उसकी रोशनी पड़ती है। वहीं, 6 महीने बाद दूसरे ध्रुव में रोशनी पड़ती है। इसी कारण ध्रुवों पर 6 महीने दिन और 6 महीने रात होती है।
इसको ऐसे समझिए, अगर पृथ्वी सीधी होती, तो चक्कर लगाते समय इसके हर हिस्से पर 12 घंटे के दिन और 12 घंटे की रात होती। लेकिन, क्योंकि ये झुकी हुई है इसलिए चक्कर लगाते समय कुछ हिस्से में दिन और रात लंबी हो जाती है। पृथ्वी के 23.5 डिग्री झुकी होने के कारण ही उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर सूरज साल में एक बार उगता है और एक बार डूबता है।
तो उतकियागविक में 65 दिन की रात क्यों?
इसके लिए उतकियागविक शहर का भूगोल समझते हैं। ये शहर उत्तरी ध्रुव से 2 हजार 92 किमी दूर है। यानी, दिल्ली और गोवा के बीच जितनी दूरी है। उत्तरी ध्रुव पर आर्कटिक सर्कल होता है और दक्षिणी ध्रुव पर अंटार्कटिका सर्कल। उतकियागविक शहर आर्कटिक सर्कल की ऊंचाई पर स्थित है। क्योंकि आर्कटिक सर्कल के ऊंचाई पर होने की वजह से सूरज यहां क्षितिज से ऊपर नहीं आ पाता। इसे ‘पोलर नाइट्स’ कहा जाता है। जो शहर या देश उत्तरी ध्रुव के जितना ज्यादा नजदीक होगा, वहां उतनी ज्यादा लंबे दिन और रात होंगे।
तो क्या पूरा अंधेरा ही अंधेरा रहेगा?
नहीं, ऐसा नहीं है। नवंबर से जनवरी तक यहां जमकर ठंड पड़ती है। सर्दियों में यहां का तापमान माइनस 23 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। 65 दिन तक सूरज नहीं निकलेगा का मतलब ये नहीं है कि यहां अंधेरा ही अंधेरा ही रहेगा। बल्कि, मतलब तो ये है कि सूरज तो निकलेगा, लेकिन उसकी रोशनी यहां तक अच्छे से नहीं पहुंचेगी।
इसको ऐसे भी समझ सकते हैं, जैसे जब हमारे घर में एक कमरे में लाइट जलती है, तो उसकी कुछ रोशनी दूसरे कमरे में भी जाती है। अंग्रेजी में इसे ‘Civic Twilight’ कहते हैं। जैसे-जैसे पोलर नाइट्स शुरू होती है, वैसे-वैसे यहां दिन में 6 घंटे तक विजिबिलिटी रहती है, लेकिन जैसे-जैसे ये गुजरती जाती हैं, विजिबिलिटी घटकर 3 घंटे तक की हो जाती है। ये ठीक वैसा ही होता है, जैसे हमारे देश में सर्दियों के मौसम में जब कोहरा छाता है, तो विजिबिलिटी कम हो जाती है।
क्या यहां दिन भी 65 दिनों तक ही रहता है?
नहीं, बल्कि यहां दिन तो और भी ज्यादा लंबे समय तक रहता है। इस शहर में गर्मियों के मौसम में 82 दिन तक उजाला रहता है। इसे 'मिडनाइट सन' कहा जाता है। यहां 12 मई से लेकर 2 अगस्त तक उजाला रहता है। यहां भी ‘Civic Twilight’ लागू होता है। यानी, सूरज ढल तो जाता है, लेकिन उसकी रोशनी फिर भी यहां आती रहती है। यही वजह है कि गर्मी के दिनों में यहां 24 घंटे यहां रोशनी रहती है।
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