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Dainik Bhaskar

दार्जिलिंग की पहाड़ियों से कंचनजंगा की सफेद बर्फ को देखने के लिए लोग देश के कोने-कोने से आते हैं। यहां की खूबसूरत घाटियां, पहाड़ी झरने, घास के मैदान, पहाड़ी ढलान और दूर तक दिखते चाय के बागान पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं। लेकिन कोरोना ने दार्जिलिंग की दिलकश वादियों और आंखों में बस जाने वाले नजारों से पर्यटकों को दूर कर दिया है। टी, टिंबर और टूरिज्म के लिए मशहूर दार्जिलिंग में चाय के नए बागान लग नहीं रहे हैं। टिंबर उद्योग दम तोड़ चुका है। टूरिज्म को कोरोना ने करीब-करीब खत्म ही कर दिया है।

दार्जिलिंग में हालात बेहद मुश्किल हो गए हैं। जंगलों में सैलानियों को घुमाने वाले लोग घर चलाने के लिए अवैध शिकार की तरफ भी मुड़ सकते हैं। गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन के असिस्टेंट डायरेक्टर टूरिज्म सूरज शर्मा कहते हैं, 'पहले के मुकाबले अभी 15-20% पर्यटक ही आ रहे हैं। अभी दशहरे के दौरान चार दिन कुछ टूरिस्ट आए, लेकिन ज्यादातर पश्चिम बंगाल के ही थे। बाहर के पर्यटक अभी नहीं आ रहे हैं।' शर्मा कहते हैं, 'कई महीने तो सबकुछ बंद रहा। अब होटल खुले हैं लेकिन 15-20% से ज्यादा बुकिंग नहीं है। जिन होटलों में 40 कमरे हैं, वहां 10 भी बुक नहीं हो पा रहे हैं।'

कनेक्टिविटी न होने से घटा टूरिज्म

ईस्टर्न हिमालयन ट्रेवल एंड टूरिज्म नेटवर्क के महासचिव सम्राट सान्याल कहते हैं कि पर्यटकों के नहीं आने की एक बड़ी वजह कनेक्टिविटी का पूरी तरह बहाल ना हो पाना भी है। सान्याल कहते हैं, 'ट्रेन और फ्लाइट पूरी तरह ऑपरेशनल नहीं हैं। जो पर्यटक अभी आ रहे हैं, वे पश्चिम बंगाल से ही हैं। 2019 के मुकाबले हमारा बिजनेस 80-90% तक डाउन है।'

दार्जिलिंग की पहाड़ियों से कंचनजंगा की सफेद बर्फ को देखने के लिए देश के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं।

एसोसिएशन फॉर कंजर्वेशन एंड टूरिज्म के कन्वेनर और पश्चिम बंगाल और सिक्किम के पर्यटन सलाहकार राज बासू कहते हैं कि बीते साल के मुकाबले पर्यटन 80% तक कम है। बासू कहते हैं, 'उत्तर बंगाल और सिक्किम में सीधे तौर पर 10 लाख लोग पर्यटन उद्योग से जुड़े हैं। पर्यटन के सीजन के दौरान होने वाले टर्नओवर का एक फीसदी भी हम हासिल नहीं कर पाए हैं। हम नहीं जानते कि अब हम सर्वाइव कर पाएंगे या नहीं।'

सूरज शर्मा बताते हैं, 'दार्जिलिंग में ही सीधे तौर पर 8 से 10 हजार कर्मचारी प्रभावित हुए हैं। बहुत लोगों की नौकरी चली गई है। जो नौकरी पर हैं, उन्हें भी तीस फीसदी तक ही सेलरी मिल रही है। जिसे पहले 10 हजार मिलते थे, उसे 3 हजार रुपए ही मिल रहे हैं।' सम्राट सान्याल कहते हैं, 'अभी तक किसी तरह 25-30% सेलरी दी जा रही है। अगर चीजें ठीक नहीं हुईं, तो 50% लोगों को पूरी तरह नौकरी से निकाला जा सकता है।'

छोटे काम-धंधे वाले सबसे ज्यादा परेशान

बासू कहते हैं, 'लोग अपने टैक्स नहीं भर पा रहे हैं। बिजली के बिल नहीं भर पा रहे हैं। यहां तक की रोजमर्रा के खर्च पूरे नहीं कर पा रहे हैं। जो स्थानीय लोग गाड़ी चलाते थे या छोटे-छोटे लॉज चलाते थे, वे सबसे ज्यादा परेशान हैं। बड़े होटल किसी तरह अपना काम चला पा रहे हैं। छोटे काम-धंधों वालों के हालात ऐसे हो गए हैं कि लोग गाड़ियां और लॉज बेच रहे हैं या इस बारे में सोचने लगे हैं।'

गोरूमरा नेशनल पार्क में अधिकारियों से चर्चा करने आए राज बासू कहते हैं, 'जंगल में पर्यटन से जुड़े अधिकतर लोग सेलरी पर काम नहीं करते हैं। गाइड या जीप सफारी कराने वालों की इनकम टूरिस्ट से ही जुड़ी है। फॉरेस्ट अधिकारियों का कहना है कि इन लोगों के बेरोजगार होने से जंगल पर दबाव बढ़ेगा। ऐसे लोग अवैध शिकार और जंगल की कटाई की तरफ भी रुख कर सकते हैं। कंजर्वेशन के लिहाज से ये बड़ा खतरा है, जो हमें दिखाई दे रहा है। '

अब गांवों की तरफ जा रहे हैं पर्यटक

पहले के मुकाबले 15-20% पर्यटक ही आ रहे हैं। ज्यादातर होटलों में कमरे खाली पड़े हैं।

सूरज शर्मा कहते हैं, 'पर्यटक अभी शहर छोड़कर गांवों की ओर जा रहे हैं। विलेज टूरिज्म बढ़ रहा है। लोग होम स्टे में रहना पसंद कर रहे हैं। टूरिस्ट ऐसी जगह जाना चाह रहे हैं, जहां भीड़-भाड़ ना हो। गांवों में अभी पर्यटक हैं, लेकिन शहरों में बड़े होटलों से टूरिस्ट गायब हैं।'

सम्राट सान्याल कहते हैं, 'पिछले एक महीने में नया ट्रेंड देखने को मिला है। पर्यटक ऑफबीट डेस्टिनेशन ज्यादा पसंद कर रहे हैं। होम स्टे में 90% तक कमरे बुक हुए हैं। लेकिन, पॉपुलर डेस्टिनेशन से पर्यटक अभी दूर ही हैं।' राज बासू कहते हैं, 'भारत में सबसे ज्यादा होम स्टे उत्तर बंगाल के पहाड़ी इलाकों में ही हैं। कैलिमपोंग के रूरल एरिया में होम स्टे की तादाद बहुत ज्यादा है। दशहरा दीवाली के दौरान होम स्टे 70% तक बुक थे।'

टूरिज्म इंडस्ट्री को वैक्सीन से उम्मीद

सूरज शर्मा कहते हैं कि पर्यटन से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि अगर वैक्सीन जल्द आ गई तो कारोबार पटरी पर लौट सकता है। सम्राट सान्याल भी कहते हैं कि जब तक लोगों का डर नहीं निकलेगा, तब तक लोग बाहर नहीं निकलेंगे। वे कहते हैं, 'जहां प्रोटोकॉल फॉलो किए जा रहे हैं, वहां केस कम हैं। वैक्सीन आएगी तो लोगों का डर खत्म हो जाएगा।'

इधर, राज बासू का मानना है कि वैक्सीन आने के बाद भी पर्यटन को पटरी पर लौटने में समय लगेगा। बासू कहते हैं, 'वैक्सीन के भी बाजार में जाने के बाद पर्यटन उद्योग को पटरी पर आने में साल डेढ़ साल लग ही जाएगा। हमें लगता है कि अप्रैल 2022 से पहले हम पूरी तरह रिवाइव नहीं कर पाएंगे।'

बासू कहते हैं, 'हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है पर्यटन उद्योग को जिंदा रखना। इस काम से छोटे-छोटे लोग जुड़े होते हैं, जैसे ड्राइवर, चाय बेचने वाले, मोमोज बेचने वाले या छोटे-छोटे सामान बेचने वाले। ऐसे चालीस फीसदी लोग अब धंधे से दूर हो चुके हैं। जो बाकी 60% बचे हैं, उन्हें बेहतरी की उम्मीद है। हमें डर है कि मार्च तक पर्यटन से जुड़े 60% लोग यह कारोबार छोड़ देंगे।

टी, टिंबर और टूरिज्म के लिए मशहूर दार्जिलिंग में चाय के नए बागान लग नहीं रहे, टिंबर उद्योग भी दम तोड़ चुका है।

पर्यटन पश्चिम बंगाल का सबसे तेजी से बढ़ता उद्योग था। दार्जिलिंग में चाय के बागानों की चमक फीकी पड़ने के बाद लोग बड़ी तादाद में पर्यटन से जुड़े थे। ये होमग्रोन इंडस्ट्री है, जो लोगों ने अपने दम पर खड़ी की है। यहां पर्यटन उद्योग गांव-गांव तक पहुंच गया है। इसकी आमदनी से लोगों का जीवन स्तर सुधरा है। बासू कहते हैं, 'टूरिज्म से जुड़े लोग अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पा रहे थे। दार्जलिंग और कैलिंपोंग के आसपास गांव-गांव में लोग इस इंडस्ट्री से जुड़े हैं।'

सरकार से कोई मदद नहीं मिली

राज बासू बताते हैं कि अभी तक राज्य या केंद्र सरकार ने पर्यटन उद्योग को राहत देने के लिए कुछ भी नहीं किया है। वे कहते हैं, 'हमें नहीं पता कि आगे क्या होगा। राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने अभी तक हमें कोई भरोसा नहीं दिया है। हमें हमारे हाल पर छोड़ दिया गया है। हम सरकार से पैसों की मदद की उम्मीद नहीं करते, लेकिन कम से कम नैतिक तौर पर तो हमारा समर्थन किया ही जा सकता है। अगले दो साल तक हमसे टैक्स न लिए जाएं, ये ही हमारी बड़ी मदद होगी।'

सम्राट सान्याल कहते हैं कि सरकार और कंपनियां कर्मचारियों को लीव एंड ट्रैवल अलाउंस कैश देने के बजाए उन्हें यात्रा करने को प्रोत्साहित करें। टूरिज्म इंडस्ट्री को जिंदा रखने के लिए यात्राओं को बढ़ावा देना जरूरी है।



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80% loss to tourism as compared to last year, ten hotels are not able to book in hotels which have 40 rooms.


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