Dainik Bhaskar
अमेरिकी चुनावों में तस्वीर लगभग साफ है। जो बाइडेन और कमला हैरिस क्लियर विनर के तौर पर सामने हैं। विजयी भाषण भी दे चुके हैं। तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार राष्ट्रपति चुनने की औपचारिक प्रक्रिया भी आगे बढ़ रही है। लेकिन, प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प ने अब तक हार नहीं स्वीकारी है। वे अदालतों में केस लड़ने की बात कर रहे हैं।
इन हालात में अमेरिका में इन बातों पर चर्चा शुरू हो गई है कि यदि ट्रम्प ने पॉवर ट्रांसफर नहीं की और व्हाइट हाउस नहीं छोड़ा तो क्या होगा? इस बात की आशंका कुछ एक्सपर्ट्स ने अगस्त में ही जता दी थी। कुछ सैन्य अधिकारियों ने सेना को पत्र लिखकर व्हाइट हाउस से ट्रम्प को बाहर निकालने तक की मांग कर दी थी। आइए जानते हैं कि अमेरिका में व्यवस्था क्या है? आगे क्या होगा?
बाइडेन और हैरिस ने विजयी भाषण दे दिए हैं, जीते नहीं हैं क्या?
- नहीं। अभी बाइडेन और हैरिस को अलग-अलग स्टेट्स में हुई काउंटी से मिले परिणामों के आधार पर मीडिया ने विजयी घोषित किया है। अब तक अमेरिका के संविधान में तय प्रक्रिया के अनुसार उन्हें विजयी घोषित नहीं किया गया है। यह एक लंबी प्रक्रिया है और उसके बाद ही औपचारिक रूप से कहा जाएगा कि बाइडेन जीते।
- अमेरिका में परंपरा कुछ ऐसी है कि मीडिया ही चुनावों के नतीजे घोषित करता रहा है। किसी कैंडिडेट के पक्ष में 270 से ज्यादा इलेक्टर होने पर नतीजे घोषित किया जाता है। साथ-साथ औपचारिक प्रक्रिया भी चलती रहती है और उसके आधार पर नतीजे तय होते हैं।
ट्रम्प अमेरिकी परंपरा का पालन करते हुए हार स्वीकार क्यों नहीं कर रहे?
- एसोसिएटेड प्रेस (AP) ने पेनसिल्वेनिया में बाइडेन की जीत की घोषणा की। यहां जीतने पर ही बाइडेन को जरूरी 270 इलेक्टोरल कॉलेज वोट्स मिल गए थे। ट्रम्प कैम्पेन को मीडिया हाउसेस के एनालिसिस पर भरोसा नहीं है। इसी वजह से ट्रम्प और उनके कैम्पेन के अधिकारी मीडिया के दावों पर सवाल उठा रहे हैं।
- ट्रम्प कैम्पेन के वकील का आरोप है कि फिलाडेल्फिया में अबसेंटी बैलेट्स की काउंटिंग और प्रोसेसिंग में गड़बड़ी है। ट्रम्प बार-बार वोट्स को कानूनी और गैरकानूनी कह रहे हैं। वे अबसेंटी बैलेट्स को गैरकानूनी कह रहे हैं। उनका दावा है कि इन वोट्स के बारे में कोई प्रूफ नहीं है और यह इलेक्शन-डे (3 नवंबर) के बाद भेजे गए हैं।
- ट्रम्प कैम्पेन ने प्रमुख बैटलग्राउंड स्टेट्स में नतीजों को लेकर मुकदमे दाखिल किए हैं। खासकर ऐसे स्टेट्स में जहां जीत की मार्जिन बहुत कम है। ज्यादातर केस पेनसिल्वेनिया, जॉर्जिया, नेवादा और मिशिगन में हैं, जहां ट्रम्प कैम्पेन ने काउंटिंग रोकने की मांग भी की है। वहीं, लीगल एक्सपर्ट्स का कहना है कि बाइडेन की लीड पर इन मुकदमों का कोई असर नहीं होगा।
क्या कुछ जगहों पर रीकाउंट हो सकता है?
- हां। अमेरिका के कुछ स्टेट्स में रीकाउंट का प्रावधान है। यदि कैंडिडेट्स की जीत-हार का अंतर निर्धारित प्रतिशत से कम रहता है तो वहां रीकाउंट होता है। विसकॉन्सिन में जीत-हार की मार्जिन 1% कम होने पर रीकाउंट होता है। यहां बाइडेन की लीड 0.7% है। इसी तरह जॉर्जिया में मार्जिन 0.5% से कम होने पर रीकाउंट होता है, यहां बाइडेन 0.2% से आगे हैं। लेकिन, वोटिंग रिफॉर्म ग्रुप फेयरवोट (FairVote) के डेटा के मुताबिक 2000 से 2019 तक 5,778 इलेक्शन हुए। इनमें 31 में रीकाउंट हुआ, लेकिन सिर्फ तीन चुनावों में ही नतीजा बदलने की नौबत आई।
क्या डोनाल्ड ट्रम्प को व्हाइट हाउस छोड़ने के लिए डेडलाइन मिलेगी?
- हां। ट्रम्प सिर्फ बाइडेन के राष्ट्रपति बनने की प्रक्रिया को स्लो कर सकते हैं। प्रेसिडेंशियल ट्रांजिशन एक्ट 1963 के तहत अधिकारियों के लिए पॉवर ट्रांसफर की डेडलाइन फिक्स की गई है। इस कानून के अनुसार यूएस जनरल सर्विस एडमिनिस्ट्रेशन (GSA) जब चुनावों में विजेता का नाम घोषित कर देगा, तब ट्रांजिशन प्रक्रिया में तेजी आएगी।
- कुछ विशेषज्ञों ने रविवार को GSA प्रशासक एमिली मरफी को पत्र लिखा और अनुरोध किया कि बाइडेन को जीता हुआ घोषित करें। सेंटर फॉर प्रेसिडेंशियल ट्रांजिशन का पत्र कहता है कि नतीजों को लेकर कानूनी विवाद हो सकता है लेकिन तस्वीर साफ हो चुकी है और ट्रांजिशन प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए।
यदि ट्रम्प ने व्हाइट हाउस छोड़ने को मना किया तो क्या मिलिट्री उन्हें निकालेगी?
- अमेरिकी सेना के दो पूर्व अधिकारियों जॉन नागल और पॉल यिंगलिंग ने अगस्त में यूएस जनरल को ओपन लेटर लिखा था। उन्होंने कहा था कि कार्यकाल खत्म होने पर ट्रम्प को बाहर निकलना होगा। यदि व्हाइट हाउस नहीं छोड़ा तो यूएस मिलिट्री को उन्हें जबरदस्ती बाहर करना चाहिए।
- हालांकि, अन्य लोगों का कहना है कि यह मामला यूएस सीक्रेट सर्विस पर छोड़ देना चाहिए। मिलिट्री जवान घरेलू मामलों में दखल नहीं देते। एक्सपर्ट कहते हैं कि यदि ट्रम्प व्हाइट हाउस छोड़ने से मना करते हैं तो 20 जनवरी को वे ट्रेसपासर (घुसपैठिए) बन जाएंगे। सीक्रेट सर्विस आएगी और उन्हें बाहर करेगी।
- जब अमेरिका में यह बहस छिड़ ही गई है तो बाइडेन के प्रवक्ता ने यह कहने में परहेज नहीं किया कि जरूरत पड़ने पर व्हाइट हाउस से ट्रेसपासर्स को बाहर निकालने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी। वे सक्षम हैं और वे ऐसा कर सकते हैं। वहीं, ट्रम्प को भी कानूनी जवाबदेही पूरी करनी होगी। उन्हें बाइडेन की टीम को टेक ओवर के लिए लॉजिस्टिक्स उपलब्ध कराने होंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया के तहत आगे क्या होगा?
- सभी स्टेट्स ने नतीजों को सर्टिफाई करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। नतीजे सर्टिफाई होने की डेडलाइन 10 दिसंबर है। इसके बाद 14 दिसंबर को इलेक्टर अलग-अलग राज्यों की राजधानियों में प्रेसिडेंट के लिए वोटिंग करेंगे।
- 23 दिसंबर को सर्टिफाइड इलेक्टोरल वोट्स कैपिटल हिल पहुंचेंगे। नई कॉन्ग्रेस 3 जनवरी को शपथ लेगी। 6 जनवरी को हाउस और सीनेट के जॉइंट सेशन में इलेक्टोरल वोट्स गिने जाएंगे। सीनेट प्रेसिडेंट यानी वाइस प्रेसिडेंट ही 270 से ज्यादा इलेक्टोरल वोट्स जीतने वाले को अगला राष्ट्रपति घोषित करेंगे। 20 जनवरी को नया राष्ट्रपति शपथ लेगा, जिसे इनॉगरेशन भी कहते हैं।
- कॉन्ग्रेस में गिनती तक ही कैंडिडेट नतीजों को चुनौती दे सकता है। हाउस और सीनेट के एक-एक सदस्य को लिखित शिकायत देनी होगी। जॉइंट सेशन में दो घंटे तक आपत्ति पर चर्चा होती है। दोनों सदनों की मंजूरी के बाद ही आपत्ति स्वीकार होती है। हाउस में डेमोक्रेट्स और सीनेट में रिपब्लिकन का कब्जा है, ऐसे में दोनों में सहमति बनना मुश्किल ही है।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2GKPuMB
No comments
If any suggestion about my Blog and Blog contented then Please message me..... I want to improve my Blog contented . Jay Hind ....