Dainik Bhaskar
कोरोना युवाओं और स्वस्थ लोगों के ऑर्गन्स को भी डैमेज कर रहा है। हाल ही में हुई एक स्टडी में इसके सबूत मिले हैं। स्टडी के मुताबिक, लो-रिस्क ग्रुप वाले मरीजों में संक्रमण के 4 महीने बाद उनके कई ऑर्गन्स डैमेज पाए गए। स्टडी से उन लक्षणों के बारे में भी पता चला, जो कोरोना से ठीक हुए मरीजों में काफी समय तक बने रहते हैं। इसे ही लॉन्ग कोविड कहते हैं।
स्टडी में क्या पता चला?
स्टडी में शामिल पहले 200 लोगों की शुरुआती रिपोर्ट से पता चला कि 70% मरीजों में एक या एक से ज्यादा ऑर्गन्स को कोरोना से नुकसान हुआ है। इनमें हार्ट, लंग, लीवर और पैंक्रियाज जैसे अंग शामिल हैं।
कैसे की गई स्टडी?
यह स्टडी कवर-स्कैन ने की है। इसमें कोरोना के कम रिस्क वाले ग्रुप (युवा और स्वस्थ लोग) से 500 लोगों की ऑर्गन हेल्थ की जांच की गई, जिनमें कोरोना के लक्षण दिख रहे थे। इसके लिए MRI स्कैन, ब्लड टेस्ट जैसे कई तरीकों का इस्तेमाल किया गया।
25% लोगों में कोरोना ने दो या ज्यादा ऑर्गन्स को प्रभावित किया
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में क्लीनिकल डेटा साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमिताव बनर्जी का कहना है कि स्टडी में एक अच्छी खबर यह है कि ऑर्गन्स में डैमेज हल्के हैं। करीब 25% लोगों में कोरोना ने दो या ज्यादा ऑर्गन्स को प्रभावित किया है। अभी ये जानना जरूरी होगा कि क्या ऑर्गन डैमेज आगे भी जारी रहता है या इसमें सुधार होता है।
कुछ मामलों में लक्षणों और डैमेज साइट के बीच एक कोरिलेशन पाया गया। इसे ऐसे समझें कि पैंक्रियाज और सांस की तकलीफ के साथ गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल के लक्षण और दिल या फेफड़ों के डैमेज के साथ जुड़ा हुआ है। हालांकि, इस स्टडी का पीयर रिव्यू अभी नहीं हुआ है। इसलिए स्टडी में शामिल लोगों की अभी मॉनिटरिंग जारी रहेगी।
ये भी पढ़ें-
क्या है लॉन्ग कोविड?
लॉन्ग कोविड की कोई मेडिकल परिभाषा या लक्षणों की लिस्ट नहीं है। जो मरीज कोविड-19 निगेटिव हो गए, उन्हें महीनों बाद भी समस्याएं हो रही हैं। कोविड-19 से उबरने के बाद भी लक्षणों का लॉन्ग-टर्म अनुभव ही लॉन्ग कोविड है।
लॉन्ग कोविड से जूझ रहे दो लोगों के लक्षण बिल्कुल अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन, कॉमन लक्षण है थकान। डिप्रेशन, एंग्जाइटी और साफ सोच के लिए संघर्ष जैसी मेंटल हेल्थ समस्याएं भी सामने आ रही हैं। यह मुश्किलें किसी भी व्यक्ति की क्वालिटी ऑफ लाइफ बर्बाद कर सकती हैं।
पहली बार कब हुआ इस शब्द का इस्तेमाल?
लॉन्ग कोविड शब्द का इस्तेमाल पहली बार एलिसा पेरेगो (यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की रिसर्च एसोसिएट) ने मई 2020 में अपने कोविड-19 अनुभवों को शेयर करते हुए किया था।
एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
स्टडी से मिलीं चीजें आगे बढ़ने का तरीका है
इंपीरियल कॉलेज लंदन में इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर डैनी ऑल्टमैन कहते हैं कि लॉन्ग कोविड को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। ऑर्गन्स को बचाने के लिए क्या हो सकता है, इसके बारे में कुछ पता किया जाना चाहिए। इसलिए स्टडी के आधार पर कुछ चीजें इकट्ठा करना शुरू करना ही आगे बढ़ने का तरीका है।
लॉन्ग कोविड से डरने के बजाय केयरफुल रहने की है जरूरत
एम्स दिल्ली में रुमेटोलॉजी डिपार्टमेंट की हेड डॉ. उमा कुमार का कहना है कि कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों को लॉन्ग कोविड से डरने की बजाय केयरफुल रहने की जरूरत है। क्योंकि कई समस्याएं मरीजों को आगे भी परेशान कर सकती हैं। इसलिए कोरोना से बचने के लिए जरूरी सभी सावधानियों का ध्यान रखें। यह कतई न सोचें की कोरोना का आगे कोई असर नहीं होगा।
थकान और एंग्जाइटी जैसी दिक्कतें कई महीनों तक हो रही हैं
उमा कहती हैं कि कोरोना से ठीक होने के बाद मरीजों में हार्ट, लंग, रेस्पिरेटरी, अर्थराइटिस, ज्वाइंटस पेन, स्ट्रोक जैसी समस्याएं आगे भी कंटीन्यू हो रही हैं। कुछ मरीजों में थकान और एंग्जाइटी जैसी दिक्कतें कई महीनों तक बनी रह रही हैं।
कोरोना से उबरने वाले मरीजों को निगेटिविटी से दूर और रीक्रिएशन से जुड़ी एक्टिविटी करनी चाहिए। अच्छी डाइट और अच्छी नींद भी बेहद जरूरी है।
लंबे समय तक कोरोना के लक्षण होने से दिमाग पर पड़ता है असर
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ के मुताबिक, जिन लोगों में लंबे समय तक कोरोना के लक्षण बने हुए हैं, उन पर मानसिक रूप से बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है। उन्हें बेहतर मदद की जरूरत है और हेल्थकेयर स्टाफ को इससे जुड़ी अधिक जानकारी देने की सख्त जरूरत है।
लॉन्ग कोविड एक सिंड्रोम नहीं, बल्कि चार अलग-अलग सिंड्रोम हैं
यूके के वैज्ञानिक और डॉक्टरों ने ग्लोबल कम्युनिटी को आगाह किया है कि लॉन्ग कोविड पर भी फोकस करें। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इस पर विचार करना शुरू कर दिया है। हाल ही में यूके के नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च (NIHR) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लॉन्ग कोविड एक सिंड्रोम नहीं, बल्कि चार अलग-अलग सिंड्रोम हैं।
कितने मरीजों को हो रहा है लॉन्ग कोविड?
ब्रिटेन में कोरोना के 40 हजार मरीजों पर रिसर्च की गई। इनमें से 20% ने कहा कि संक्रमण के 1 माह बाद भी वे पूरी तरह से रिकवर नहीं हो पाए। 190 मरीजों में कोरोना के लक्षण लगातार 8 से 10 हफ्ते तक दिखे। 100 मरीजों ने बताया कि संक्रमण के 10 हफ्ते बाद तक परेशान हुए।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3lPufIE
No comments
If any suggestion about my Blog and Blog contented then Please message me..... I want to improve my Blog contented . Jay Hind ....