Dainik Bhaskar
अहमदाबाद के दाणीलीमडा इलाके में शाहीन फाउंडेशन ने एक लाइब्रेरी की शुरुआत की है। इस लाइब्रेरी की खास बात यह है कि इसे बनाने में एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ है। पुराने फर्नीचर और किताबों से इसकी शुरुआत हुई थी। आज यहां 2 हजार से ज्यादा किताबें और 10 कंप्यूटर हैं। कोई भी स्टूडेंट यहां मुफ्त में अपने काम की किताबें पढ़ सकता है। ऑनलाइन पढ़ाई के लिए यहां इंटरनेट की मुफ्त सुविधा भी दी जाती है।
यह लाइब्रेरी पिछले दो सालों से चल रही है। शुरुआत में एक एनजीओ ने स्टूडेंट्स की मदद के लिए लोगों से पुरानी किताबें और फर्नीचर मांगा था। लोगों ने भी दान देना शुरु किया। किसी ने अपनी पुरानी किताबें दान में दीं, तो किसी ने घर का पुराना फर्नीचर। लाइब्रेरी में आर्किटेक्चर, साइंस, नीट, एलएलबी, कॉमर्स सहित कांप्टीटिव एग्जाम्स की 2 हजार से ज्यादा किताबें हैं।
कंप्यूटर भी दान में मिले
शाहीन फाउंडेशन के ट्रस्टी हमीद मेमण ने भास्कर से बातचीत में कहा- मैं फ्री क्लासेज चलाता हूं। जरूरतमंद स्टूडेंट्स की मदद के लिए ही यह लाइब्रेरी शुरू की थी। हायर एजुकेशन की किताबें महंगी होती हैं। कई बच्चों के लिए इन्हें खरीदना मुश्किल होता है। स्टूडेंट्स की यह मुश्किल आसान करने के लिए आसपास के लोगों से किताबें मांगी। लाइब्रेरी के लिए कुछ फर्नीचर भी लोगों ने ही दिया। यहां मौजूद 10 कंप्यूटर भी दान में ही मिले हैं। इसमें किसी ने सीपीयू दिया, तो किसी ने मॉनिटर। इन्हीं कंप्यूटर से अब स्टूडेंट्स ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं।
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लायब्रेरी से पढ़ाई कर कई स्टूडेंट्स ग्रेजुएट हुए
स्टूडेंट्स चाहें, तो यहां बैठकर आराम से किताबें पढ़ सकते हैं। जरूरत होने पर किताबें घर भी ले जा सकते हैं। यहां साइंस, इंजीनियरिंग, मेडिकल, नीट, एलएलबी की अच्छी और महंगी किताबें मौजूद हैं। अभी तक 50 से ज्यादा बच्चे यहां से पढ़कर ग्रेजुएट हो चुके हैं। रेगुलर पढ़ाई के लिए आने वाली दो लड़कियां कांस्टेबल भी बन चुकी हैं। यहां से ग्रेजुएट होने वाले स्टूडेंट और यहां आने वाले लोग लाइब्रेरी के लिए मदद करते हैं। वे अब कई लेखकों की किताबें दान कर रहे हैं। अभी कोरोना के चलते बच्चों को इकट्ठा होने की इजाजत नहीं है। स्टूडेंट्स यहां से किताबें घर ले जा सकते हैं।
स्टूडेंट्स के लिए फ्री इंटरनेट
किताबों के साथ शाहीन फाउंडेशन स्टूडेंट्स को फ्री इंटरनेट भी दिया जा रहा है। इंटरनेट से स्टूडेंट्स ऑनलाइन पढ़ाई कर सकते हैं। लोग अब की-बोर्ड, माउस, स्पीकर, यूपीएस जैसी चीजें भी दान कर रहे हैं। इससे कई गरीब और मिडिल क्लास के स्टूडेंट्स को फायदा मिल रहा है, जो अपने दम पर इन चीजों को खरीद नहीं सकते।
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