Dainik Bhaskar
किसी भी काम में सफलता केवल तभी मिलती है, जब आपके आसपास के लोकल यानी स्थानीय लोग आपके व्यवसाय या गतिविधि को समर्थन देते हैं। निश्चित रूप से स्थानीय लोग आपके व्यवसाय को समर्थन तभी देते हैं, जब आप उनके लिए आजीविका के अवसर खोलते हैं। लेकिन, दिलचस्प रूप से दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए लोकल लोग वोकल बन गए हैं, यानी उन्हें समर्थन दे रहे हैं, बावजूद इसके कि उनकी रोजमर्रा की कमाई में भारी नुकसान हो रहा है।
एनएच-44 के किनारे-किनारे बनीं सैकड़ों दुकानों और मॉल के दुकानदारों के लिए दिल्ली से चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के बीच यात्रा करने वाले ‘हाइवे कस्टमर’ हैं, जो अक्सर उनकी दुकानों पर शॉपिंग के लिए रुकते हैं।
यह एक बहुत ही गुलजार अर्थव्यवस्था थी, जो 14 दिनों से शांत है और इन दुकानों में तब से एक भी ग्राहक नहीं आया है। इन दिनों दुकानदारों ने जो ग्राहक देखे हैं, वे इन्हीं प्रदर्शनकारियों में से हैं, जो कभी कपड़े या जूते खरीदने आ जाते हैं।
उदाहरण के लिए हाइवे से लगे खत्री मार्केट को ही ले लीजिए, जो धरनास्थल के नजदीक है। इस मार्केट में तमाम ब्रांडेड प्रोडक्ट्स के फैक्ट्री आउटलेट हैं। हर शोरूम में रोजाना 30 से 70 हजार का बिजनेस हो जाता था। यही नहीं, रोजाना 7 हजार रुपए तक कमाने वाले टायर पंक्चर और ट्रक रिपेयर मैकेनिक मोहम्मद शफीकुर और ढाबा चलाने वाले सतपाल जैसे लोगों के गल्ले में पिछले दो दिनों से एक पैसा भी नहीं आया है। लेकिन, वे प्रदर्शनकारियों के साथ हैं और कहते हैं, ‘हम सबके साथ हैं, क्योंकि इसमें सभी का फायदा है।’
मल्टी-ब्रांडेड शोरूम मालिक कप्तान सिंह की रोजाना की औसत बिक्री 50 हजार रु.थी, लेकिन अब लगभग बंद है। इनमें से अधिकांश लोगों के मन में प्रदर्शनकारियों के प्रति सहानुभूति है, क्योंकि इनके परिवार का कोई न कोई सदस्य खेती से जुड़ा हुआ है और इनके मन में भी वही चिंताएं हैं। दिलचस्प बात ये है कि पेट्रोल पंप के मालिक भी न केवल कुछ किसानों को मुफ्त में डीजल और पेट्रोल दे रहे हैं, बल्कि उन्होंने अपने पंप पर बने कमरे और वॉशरूम प्रदर्शनकारियों, खासतौर पर महिलाओं के लिए 24 घंटे खुले रखे हैं।
ढाबे वालों ने अपने पार्किंग एरिया में बड़े-बड़े पंडाल लगा रखे हैं ताकि प्रदर्शनकारी रात में आराम कर सकें। हाइवे के आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों ने भी अपने घरों के एक-दो कमरे बुजुर्गों और महिलाओं-बच्चों के लिए खोल रखे हैं। इसके बावजूद कि हाइवे की अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है, सिंघु बॉर्डर के लोकल लोग प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन के लिए वोकल बने हुए हैं।
(मनीषा भल्ला और राहुल कोटियाल के इनपुट के साथ)
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2JPcXxC
No comments
If any suggestion about my Blog and Blog contented then Please message me..... I want to improve my Blog contented . Jay Hind ....