Dainik Bhaskar
लॉकडाउन में कई लोगों की नौकरी चली गई। उन्हीं में से एक मुंबई के अक्षय पारकर भी हैं। कोरोनावायरस के पहले तक वो इंटरनेशनल क्रूज में बतौर शेफ नौकरी कर रहे थे। उनकी सैलरी 66 हजार रुपए महीना थी। एकदम से जॉब जाने पर वो परेशान हो गए थे, लेकिन अब खुद का स्टार्टअप '5 स्टार बिरयानी' शुरू कर चुके हैं। उन्होंने खुद अपनी कहानी शेयर की।
कभी ताज होटल में काम करते थे
अक्षय ने बताया, मेरे करियर की शुरुआत होटल ताज से हुई। वहां मैने चार साल नौकरी की। फिर मुझे इंटरनेशनल क्रूज में जॉब मिल गई। पिछले सात साल से क्रूज में बतौर शेफ जॉब कर रहा था। सैलरी भी अच्छी थी। मुझे महीने के 900 डॉलर (करीब 66 हजार रुपए) मिल रहे थे। सबकुछ ठीक-ठाक ही चल रहा था कि कोरोनावायरस आ गया और मेरे साथ ही कई एम्प्लॉयज को जॉब पर आने से मना कर दिया गया। एकदम से जब अर्निंग बंद हुई तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करूं?
मेरी कमाई का अधिकांश हिस्सा मां-पापा के मेडिकल खर्चे में जाता रहा है क्योंकि दोनों बीमार रहते हैं। मां का घुटना दो बार फ्रैक्चर हो चुका है। पिताजी भी बीमार रहते हैं। सैलरी जब तक आ रही थी, तब तक सब मैनेज हो रहा था, लेकिन सैलरी बंद होने के बाद दिक्कतें शुरू हो गईं। जो सेविंग थी उससे दो-महीने तक घर का खर्च निकल गया और मां-पापा का मेडिकल खर्चा भी पूरा हो गया, लेकिन अगस्त तक स्थिति बहुत खराब हो चुकी थी। सेविंग के नाम पर सिर्फ बीस हजार रुपए ही बचे थे। परिवार में मां-बाप के अलावा सिर्फ मैं ही हूं। उन्हें संभालने के लिए मुझे कुछ न कुछ करना ही था।
दोस्तों ने दिया बिरयानी का आइडिया
क्रूज पर जो मेरे साथी शेफ थे, उन्होंने ही मुझे सलाह दी कि 'तुम बिरयानी बहुत अच्छी बनाते हो, इसलिए उसका ही स्टॉल लगाओ, लोगों को जब सड़क किनारे फाइव स्टार वाला टेस्ट मिलेगा, वो भी कम दाम में तो वो जरूर आएंगे'। ये आइडिया मुझे भी अच्छा लगा क्योंकि कुकिंग का मेरा दस साल से भी ज्यादा का एक्सपीरियंस है। बिरयानी के काम में कोई बहुत बड़ा खर्चा भी नहीं था। बिरयानी तैयार करने के लिए बर्तन और इंग्रीडिएंट्स ही खरीदने थे। मन में ये चल रहा था कि बिरयानी तो बन जाएगी लेकिन सेल कहां करूंगा?
इसमें पड़ोसी ने मेरी मदद की। वो जहां वड़ा पाव का ठेला लगाता था, वहीं उसने मुझे भी जगह दे दी। जगह फाइनल होने के बाद मैंने अगस्त से बिरयानी का काम शुरू किया। मैं घर से ही बिरयानी तैयार करके ले जाता हूं और बेचता नुक्कड़ पर हूं। इस काम को शुरू करने में सब मिलाकर दस से पंद्रह हजार रुपए का खर्चा आया।
मैंने शुरुआत वेज और चिकन बिरयानी से की। ऑर्डर पर घर से ही मटन बिरयानी भी तैयार करता हूं। जब काम शुरू किया तो शुरुआत में दो-चार ग्राहक ही आ रहे थे। दस दिनों तक दस-पंद्रह ग्राहक ही आते रहे, लेकिन फिर सोशल मीडिया पर कस्टमर ही फोटो डालने लगे। कुछ लोगों ने मेरे बारे में लिखा भी। फिर भीड़ बढ़ने लगी। आज कंडीशन ये है कि हर रोज कम से कम 70 पैकेट सेल कर देता हूं।
फाइव स्टार वाली क्वालिटी मेंटेन कर रहे
जो कस्टमर मेरी बिरयानी एक बार खाकर गया, वो भी दोबारा आ रहा है क्योंकि उन्हें टेस्ट पसंद आ रहा है। अभी मुझे प्रॉफिट ज्यादा नहीं हो रहा क्योंकि मैं क्वालिटी फाइव-स्टार वाली ही मेंटेन कर रहा हूं। फिर 10-12 हजार रुपए बचने लगे। अब मैं दोबारा नौकरी पर नहीं जाना चाहता। मुझे रिस्पॉन्स इतना अच्छा मिला है कि अब इसी काम को आगे बढ़ाऊंगा।
कोई नया स्पेस ढूंढ रहा हूं जहां से अपने काम को और ज्यादा व्यवस्थित कर सकूं। ऑनलाइन फूड ऐप पर भी रजिस्ट्रेशन की प्रॉसेस चल रही है, जल्द ही ऑनलाइन ऑर्डर पर लेना शुरू कर दूंगा। मैंने अपनी जिंदगी से यही सीखा है कि आपके पास जो हुनर है, वो आपसे कोई नहीं छीन सकता। यदि कोशिश करो तो कामयाबी जरूर मिलती है। अक्षय अभी दादर वेस्ट में शिवाजी मंदिर के सामने 'पारकर बिरयानी हाउस' के नाम से स्टॉल चला रहे हैं।
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