Dainik Bhaskar
1. पहला सुख-निरोगी काया
कोरोना ने लोगों को स्वस्थ शरीर का महत्व नए सिरे से सिखा दिया। खुद को सिर्फ स्वस्थ ही नहीं, शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह फिट बनाना लोगों की प्राथमिकता बन गई। जो कसरत या योग को बोझ समझते थे, उन्होंने भी फिटनेस को रूटीन बना लिया।
2. बचत ही पूंजी है
मुश्किल आर्थिक दौर ने लोगों को एक बार फिर बचत की अहमियत बता दी। जिन्हें बचत की आदत पहले से थी, उन्हें इस दौर में राहत मिली। जिन्हें यह आदत नहीं थी, उन्हें सीख जरूर मिली।
3. ज्यादा पाओ तो ज्यादा बांटो
कोरोनाकाल में दानवीरों की संख्या बढ़ गई। अरबपतियों ने खुलकर रिसर्च और इलाज के लिए फंड दिया। संकट का यह समय आपसी सहयोग का भी श्रेष्ठ काल रहा।
4. जैसा अन्न...वैसा तन-मन
कोरोनाकाल में संभवत: पहली बार लोगों ने अपने खान-पान पर इतना ध्यान दिया। खाने में स्वाद के बजाय इम्युनिटी प्राथमिकता बन गई। लोगों ने घर के ताजा और सेहतमंद खाने को प्राथमिकता दी।
5. सीखने की कोई उम्र नहीं होती
इस साल हर किसी ने कुछ न कुछ जरूर सीखा। बच्चों ने ऑनलाइन पढ़ना, तो टीचरों ने ऑनलाइन पढ़ाना सीखा। कई लोगों ने पहली बार डिजिटल पेमेंट किया।
6. संकट अवसर भी लाता है
कोरोना ने कई उद्योगों के लिए संकट खड़ा किया, तो कई उद्योगों के लिए नए अवसर बन गए। सिनेमा हॉल तो बंद हुए, लेकिन ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की बाढ़ आ गई। रेस्टोरेंट बंद हुए, तो फूड डिलीवरी एप्स चल पड़े।
7. घर में ही है स्वर्ग
संकट के दौर में लाखों लोग अपने घरों को लौटे। कुछ बीमारी के डर से, तो कुछ रोजगार की मजबूरी के चलते वापस आए। इस विस्थापन ने नई बहस खड़ी कर दी कि रोजगार के अवसर घर के पास ही पैदा क्यों नहीं होते?
8. वक्त से कीमती तोहफा कोई नहीं
लॉकडाउन के दौरान शायद पहली बार लोगों ने अपने परिवार के साथ इतना वक्त बिताया। कमाई की अंधाधुंध दौड़ से ब्रेक मिला, तो पता चला कि परिवार के साथ बिताया समय ही सबसे कीमती है।
9. हर मुश्किल का हल है
लॉकडाउन के समय दफ्तरों और खेल के मैदानों के लिए दिक्कत आई। वक्त ने सिखाया कि हर संकट का हल है। दफ्तर, घरों में शिफ्ट हुए। खेल भी ऑनलाइन हो गए।
10. सुपरहीरो सचमुच होते हैं
इस संकट के समय में लोगों ने असली सुपरहीरो देखे। डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मी हों या फिर पुलिसकर्मी... बिना थके इन लोगों ने जिस तरह लगातार काम किया, वह किसी सुपरहीरो से भी बढ़कर था।
11. साथ चलो तो हल जल्दी मिलता है
इससे पहले किसी भी बीमारी की वैक्सीन इतनी जल्दी नहीं बनी। वजह थी- रिसर्च में जुटे सभी देशों और संस्थानों ने जानकारियां साझा कीं। संकट में साथ चलने से ही जल्दी हल मिला।
12. मन में ईश्वर हो तो घर भी मंदिर
लॉकडाउन में मंदिरों के दरवाजे जरूर बंद हो गए, लेकिन लोगों ने यह बात समझी कि ईश्वर का वास मन में होता है। लोगों ने घर में ही भगवान के दर्शन किए और पूजा की।
13. सही जानकारी सबसे जरूरी है
कोरोना के आंकड़े हों या चीन सीमा विवाद, इस साल ने हमें सिखाया कि सही जानकारी बहुत जरूरी है। सोशल मीडिया पर वायरल झूठ से हम पूरे साल परेशान रहे।
14. कोई काम छोटा नहीं होता
पहले मोहल्लों में सफाईकर्मी आते-चले जाते थे, उन्हें कोई जानता भी नहीं था। कोरोना ने जब सफाई का महत्व बताया, तो सफाईकर्मियों पर फूल बरसाए गए।
15. बूंद-बूंद से घड़ा भरता है
लॉकडाउन में अर्थव्यवस्था चरमरा गई। GDP ग्रोथ निगेटिव हो गई। लेकिन, कारोबार दोबारा शुरू हुए तो छोटे-छोटे कदमों ने आर्थिक रिकवरी को गति दे दी। हमारी छोटी कोशिश भी बड़ा कदम होती है।
16. स्वच्छता में वाकई ईश्वर बसता है
बचपन में हम सिर्फ पढ़ते थे, कोरोना ने हमें दिखा दिया कि स्वच्छता में ईश्वर का वास है। सफाई इस मुश्किल वक्त में पहले हमारी जरूरत बनी और अब आदत बन चुकी है।
17. संयम सबसे बड़ी ताकत है
कोरोना ने लोगों का संयम बढ़ा दिया। चाहे सोशल डिस्टेंसिंग का संयम हो या मास्क का... यही महामारी से लड़ने में लोगों की सबसे बड़ी ताकत बना। जिसने इस संयम का पालन किया, वही जीता।
18. संकट अमीर-गरीब में भेद नहीं करता
कोरोनावायरस ने ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स से लेकर कई राष्ट्राध्यक्षों को चपेट में लिया। कई बड़े नाम कोरोना के काल में समा गए। महामारी ने अमीर-गरीब के बीच का भेद मिटा दिया।
19. मन में साहस हो तो हर संकट बौना
कोई भी बीमारी तन से पहले मन को हराती है। कोरोना को हराने वालों में 70 की उम्र पार कर चुके ऐसे बुजुर्ग भी रहें, जिन्हें पहले से गंभीर बीमारियां थीं। अपने साहस से उन्होंने बीमारी को हरा दिया।
20. जीवन निरंतर चलता रहता है
यह इस दौर की सबसे बड़ी सीख है। मुश्किलें आती हैं, कई बार अपने भी दूर हो जाते हैं। लगता है कि कुछ ठीक नहीं हो रहा... लेकिन जीवन चलता रहता है। अंधेरी रात के बाद उम्मीद का सूरज जरूर उगता है।
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