Dainik Bhaskar
केरल में अब सांप पकड़ने के लिए लाइसेंस लेना कंपल्सरी कर दिया गया है। केरल के वन और वन्यजीव विभाग की ओर से ट्रेनिंग और लाइसेंस प्राप्त किए बिना सांपों को पकड़ने पर सात साल तक जेल और जुर्माना हो सकता है। ये देश में अपनी तरह का पहला प्रयास है।
वन विभाग ने एक सांप पकड़ने वाले की मौत, कोबरा का इस्तेमाल करके एक महिला की हत्या और एक स्कूल में सांप के डसने से एक बच्चे की मौत की घटनाओं के बाद ये कदम उठाया है। ट्रेनिंग दो चरणों में पूरी की गई है। पहले चरण में वन विभाग के कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया, जिनमें वॉचर से लेकर एसीएफ रैंक तक के कर्मचारी शामिल थे।
दूसरे चरण में उन लोगों को प्रशिक्षित किया गया है, जिनकी सांप पकड़ने में रूचि थी। पहले चरण में 538 लोग इस ट्रेनिंग में शामिल हुए, जिनमें से 318 को लाइसेंस दिया गया। दूसरे चरण में 620 लोग ट्रेनिंग में शामिल हुए और 502 को लाइसेंस दिया गया।
जिन लोगों को लाइसेंस दिया गया है, उनमें से 35 महिलाएं भी हैं। इनमें 23 वन विभाग के कर्मचारी हैं जबकि 12 आमजन हैं। पूरे राज्य में 23 जगहों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस ट्रेनिंग प्रोग्राम के नोडल अधिकारी और असिस्टेंट कंजरवेटर फॉरेस्ट (एसीएफ) मोहम्मद अनवर ने बताया, 'ये सिर्फ ट्रेनिंग कार्यक्रम नहीं है बल्कि ये सर्पदंश को रोकने का प्रोजेक्ट है, जिसे हमारे विभाग ने शुरू किया है। हम उन लोगों की लिस्ट बनाएंगे जिन्हें लाइसेंस दिया जा रहा है और हमारी मोबाइल एप सर्प के जरिए लोग सांप पकड़ने के लिए इनकी सेवाएं ले सकेंगे। इमरजेंसी में एप सबसे नजदीकी अस्पताल और सांप पकड़ने वाले के बारे में जानकारी देगी। इस एप में उन अस्पतालों की सूची भी होगी, जहां सांप काटने पर दी जाने वाली दवाएं उपलब्ध होंगी।'
सांप के डसने के रोकने वाले कार्यक्रम इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत में बारह लाख लोगों की मौत सांप के काटने से हुई है। भारत में सर्पदंश का शिकार चार में से दो लोगों की मौत हो जाती है जबकि एक पूरी तरह अपंग हो जाता है। भारत के औसत के मुकाबले केरल में सर्पदंश से मौतों की संख्या की काफी कम है।
बीते तीन सालों में केरल में 334 लोगों की मौत सांप काटने की वजह से हुई है जबकि इलाज देकर 1860 लोगों की जान बचाई गई है। इस प्रोजेक्ट का मकसद इस संख्या को और कम करना है। मोहम्मद अनवर कहते हैं कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मकसद सांप पकड़ने वालों और सांपों दोनों की सुरक्षा करना है।
ये पता चला है कि सांपों को गलत तरीके से पकड़ने की वजह से उन्हें भी नुकसान हो रहा है। जिन सांपों को सिर से पकड़ा जाता है या मुंह दबाया जाता है, वो घायल हो जाते हैं। बचाकर जंगलों में छोड़े जाने वाले ये घायल सांप बहुत ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रह पाते हैं।
इसी तरह असुरक्षित तरीके से सांप को पकड़ना, पकड़ने वालों के लिए भी खतरनाक होता है। मोहम्मद अनवर बताते हैं कि इन्हीं कारणों की वजह से विभाग नियम बनाने पर विचार कर रहा था। वो बताते हैं कि एक कत्ल के मामले में सांप के इस्तेमाल ने भी विभाग के इस फैसले को प्रभावित किया है।
अब केंद्र सराकर का पर्यावरण विभाग इस कदम को बाकी राज्यों में भी लागू करने पर विचार कर रहा है। इसी बीच केरल के चर्चित स्नेक हैंडलर बाबा सुरेश ने सांप पकड़ने के लिए लाइसेंस जरूरी करने का विरोध किया है। वो कहते हैं कि वन विभाग का ये कदम उन्हें निशाना बनाने के लिए उठाया गया है।
वो कहते हैं, 'ना ही मैं सांप पकड़ने की ट्रेनिंग लूंगा और ना ही लाइसेंस के लिए आवेदन करूंगा। अगर कोई मुझे सांप पकड़ने के लिए बुलाएगा तो मैं निश्चित तौर पर जाउंगा।' सुरेश ने स्वयं ही सांप पकड़ने में महारथ हासिल की है और वो अब तक साठ हज़ार से अधिक सांपों की जान बचा चुके हैं। इनमें 201 किंग कोबरा हैं। उन्होंने अब तक दस हजार से अधिक लोगों को सांप पकड़ने के बारे में जागरूक किया है।
वो कहते हैं, 'मैंने कई बार वन विभाग के कर्मचारियों को भी प्रशिक्षित किया है। मैं वन विभाग से समन्वय बनाकर ही अपनी फ्री सेवा लोगों को देता हूं। लेकिन अब विभाग के भीतर और बाहर एक समूह है जो मेरे खिलाफ हो गया है।'
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