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कहानी- 13वीं शताब्दी में ईरान में शेख सादी नाम के बहुत प्रसिद्ध साहित्यकार थे। जब वे विद्यार्थी थे, उस समय भी उनका दिमाग बहुत तेज था। इस कारण वे जो एक बार पढ़ लेते थे, वह हमेशा के लिए उन्हें याद रह जाता था। कम उम्र में भी वे कठिन शब्दों को भी बहुत अच्छी तरह समझा देते थे।

शेख सादी की बुद्धिमानी की वजह से उनके साथ के दूसरे विद्यार्थी उनसे जलते थे। इस कारण काफी बच्चे उनकी बुराई करते थे। शेख सादी कोई जवाब नहीं देते थे। उन्होंने अपने घर के बड़े-बूढ़ों से सुन रखा था कि जो लोग बुराई करते हैं, वे एक दिन नर्क में जाएंगे। बुराई करने वाले खुद परेशान होंगे और अशांत हो जाएंगे, क्योंकि ये अच्छी बात नहीं है।

काफी दिनों तक ऐसा ही चलता रहा। फिर एक दिन वे अपने गुरु के पास पहुंचे और बोले, 'मैं अपनी योग्यता से पढ़ता हूं, लेकिन मैं ये देख रहा हूं कि मेरे साथी मेरी बहुत बुराई करते हैं और कभी-कभी वे सभी आप से भी मेरी चुगली करते हैं तो इनको जरूर नर्क मिलेगा। ये कभी खुश नहीं रहेंगे।'

शेख सादी के गुरु ने कहा, 'शेख तुम जिनकी शिकायत कर रहे हो, अभी तुम भी उनकी तरह ही चुगली कर रहे हो। तुम भी वही गलती और अपराध कर रहे हो, जिसकी शिकायत तुम लेकर आए हो। अब तुम में और उन लोगों में क्या फर्क रह गया है।'

अपने गुरु की बात सुनकर शेख सादी समझ गए। अगर दूसरों की कोई बुरी आदत है तो हमें वह गंदी आदत नहीं अपनानी चाहिए।

सीख- कई बार हम देखते हैं कि दूसरे लोग गलत कर रहे हैं, लेकिन हम ये नहीं समझ पाते हैं कि हम भी वही गलतियां करने लगते हैं। अगर दूसरे लोग हमारी निंदा या चुगली कर रहे हैं तो ये उनका तरीका है। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए।



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