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Dainik Bhaskar

कोरोना काल में मेहमानों की सीमित संख्या के कारण शादियां लोग शादियों में कम खर्च कर रहे हैं। टेंट और केटरिंग का खर्च भी बच रहा है। देश में शादियों का बाजार 4.5 लाख करोड़ से पांच लाख करोड़ रुपए के बीच होने का अनुमान हैं।

देश के शीर्ष वेडिंग प्लानर कंपनियों में शामिल शीयर मैनेजमेंट ग्रुप ऑफ कंपनी के प्रमुख अजय प्रजापति ने बताया कि पहले जो इंटरनेशनल वेडिंग डेस्टिनेशन पर शादियां होती थीं, वह अभी देश में ही शादियां कर रहे हैं। जबकि जो पहले देश में डेस्टिनेशन वेडिंग को प्राथमिकता देते थे वह लोकल स्तर पर शादियां कर रहे हैं। प्रजापति बताते हैं कि अभी बड़ी शादियों में स्टार्स, गायक नहीं आ रहे हैं।

मेहमानों की संख्या कम होने के कारण छोटे-छोटे स्थानों पर होटल-रिसॉर्ट में भी शादियां हो रही है। पहले बड़ी-खर्चीली शादियों में 500 मेहमानों में व्यक्ति डेढ़ से दो करोड़ रुपए खर्च करता था, लेकिन अब 50 मेहमानों के कारण खर्च करीब 80 फीसदी तक घट गया है।

वेडिंग इंडस्ट्री से बीते दो दशक से जुड़े सत्यपाल कुश्वाह बताते हैं कि मध्यमवर्गीय परिवारों की सीमित खर्च वाली शादियों का खर्च भी अब 30 फीसदी से 50 फीसदी तक कम हो गया है। देश में एक मध्यम वर्गीय परिवार की शादियों में पांच से 25 लाख रुपए तक का खर्च आता है। फिलहाल शादी के लिए लोग मंदिरों को भी प्राथमिकता दे रहे हैं।

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट के पास स्थित आर्य समाज मंदिर के पुजारी बीके शास्त्री ने बताया कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार उनके मंदिर में शादियों के रजिस्ट्रेशन करीब डेढ़ गुना बढ़ गए हैं। देश में शूटिंग और अपने विशेष फिल्मी सेट्स के लिए जानी जाने वाली हैदराबाद की रामोजी फिल्म सिटी के सीईओ राजीव जालनापुरकर भी कहते हैं कि कम गेस्ट के कारण अफोर्डेबिलिटी बढ़ गई।

ज्यादातर लोग फिल्म विशेष पर फिल्माए गए गीत या सेट्स पर शादी करना पसंद करते हैं। चूंकि फिल्म सिटी में हर प्रकार के सेट्स हैं इसलिए हमें समस्या नहीं आती। हमने पिछले वर्ष करीब 25 शादियों की बुकिंग की थी लेकिन दिसंबर 2020 तक 45 शादियां हम करेंगे, हमारे पास इतनी बुकिंग है।

खजुराहो के पर्यटन विशेषज्ञ और वेडिंग सलाहकार सुधीर शर्मा ने कहा कि कोरोना फ्री होने और होटलों के द्वारा रेट सस्ते करने के कारण यहां बीते वर्ष की तुलना में दोगुनी डेस्टिनेशन वेडिंग हो रही हैं।

देश में 3 लाख से ज्यादा वेडिंग प्लानर

  • देश में हर साल करीब 90 लाख से एक करोड़ शादियां होती हैं।
  • अपनी बचत का 30% हिस्सा शादियों पर खर्च करते हैं भारतीय।
  • वर्ष 2020 के अंत तक देश में ऑनलाइन मैट्रीमोनियल सर्च का बाजार करीब छह हजार करोड़ रुपए होने की उम्मीद है।
  • हर वर्ष 20 फीसदी के कारोबार की बढ़ोतरी वेडिंग इंडस्ट्री में हो रही है। करीब 3 लाख से ज्यादा वेडिंग प्लानर्स हैं।

50% शादियों में जेवर पुरानी ज्वेलरी से
रिद्दी-सिद्दी बुलियन के एमडी और इंडियन बुलियन एण्ड ज्वैलर्स एसोसिएशन के नेशनल प्रेसीडेंट पृथ्वीराज कोठारी ने कहा कि लॉकडाउन के बाद अब अच्छी डिमांड है। इस बार बदलाव यह है कि एक्सचेंज ज्वैलरी का रोल सबसे बड़ा हो गया है। करीब 50% शादियों के जेवर पुरानी ज्वेलरी के बन रहे हैं। फिर भी शादियों में करीब 350-400 टन सोना की नई ज्वेलरी बनाई जाती है।



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फाइल फोटो


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