Dainik Bhaskar
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार का कथित 'लव जिहाद' रोकने का कानून कोरोना के चलते अटक गया है। शिवराज सरकार आज से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में इसे लाने की तैयारी में थी। शनिवार को ही कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी दी गई। लेकिन, रविवार को पांच विधायकों और विधानसभा सचिवालय के 61 कर्मचारियों के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद आज से शुरू हो रहा विधानसभा सत्र स्थगित कर दिया गया है। अब देखना होगा कि क्या शिवराज सरकार इसके लिए अध्यादेश लाती है या नहीं।
वैसे ये बिल है तो लव जिहाद को रोकने के लिए, लेकिन बिल में कहीं भी इस शब्द का जिक्र भी नहीं। इसमें शादी के नाम पर जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने का जिक्र है। हालांकि, मध्य प्रदेश में 1968 से ही ऐसा कानून था, लेकिन वो इतना सख्त नहीं था। नया कानून, पुराने से बहुत सख्त है।
नए कानून में क्या है? क्या उसके बाद दूसरे धर्म में शादी नहीं हो सकेगी? पुराने कानून में क्या था? क्या दूसरे राज्यों में जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के कानून हैं? आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब...
सबसे पहले बात नए कानून में क्या है?
नए कानून का नाम 'मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2020' यानी 'मध्य प्रदेश फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट 2020' है। इस कानून के पास होते ही 1968 का कानून 'मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य एक्ट' निरस्त हो जाएगा। इस कानून में कहीं भी 'लव जिहाद' का जिक्र नहीं है। ये कानून बस जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ है। नया कानून लालच देकर, जबरदस्ती से, बहला-फुसलाकर, डरा-धमकाकर, फ्रॉड या झूठ बोलकर शादी करने के खिलाफ है।
नए कानून में कितनी सजा है?
- कानून के खिलाफ जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर एक से पांच साल तक कैद की सजा और 25 हजार रुपए के जुर्माने की सजा।
- नाबालिग और SC-ST के मामले में 2 साल से लेकर 10 साल तक कैद की सजा और 50 हजार रुपए के जुर्माने की सजा।
- अपना धर्म छिपाकर शादी करने और उसे धर्म परिवर्तन के लिए उकसाने पर 3 साल से लेकर 10 साल की कैद और 50 हजार रुपए के जुर्माने की सजा।
- सामूहिक धर्म परिवर्तन (दो या दो से ज्यादा का एक ही समय पर धर्म परिवर्तन) कराने पर 5 साल से लेकर 10 साल की कैद और 1 लाख रुपए के जुर्माने की सजा।
- एक से ज्यादा बार कानून के खिलाफ जाकर अपराध करने पर 5 साल से लेकर 10 साल की कैद की सजा का प्रावधान है।
तो क्या नए कानून के बाद दूसरे धर्म में शादी नहीं हो सकेगी?
नए कानून में शादी करने या धर्म परिवर्तन पर रोक नहीं है। नया कानून लालच देकर, जबर्दस्ती, बहला-फुसलाकर, डरा-धमकाकर, फ्रॉड या झूठ बोलकर शादी करने के खिलाफ है। नए कानून के बाद अगर कोई अपनी मर्जी से दूसरे धर्म में शादी करना चाहता है, तो उसे 60 दिन पहले कलेक्टर को जानकारी देना जरूरी है। अगर कलेक्टर को जानकारी दिए बगैर दूसरे धर्म में शादी करते हैं, तो 3 सेे 5 साल तक की कैद और 50 हजार रुपए का जुर्माना लग सकता है।
अगर शादी के बाद धर्म परिवर्तन के लिए धमकाता है, तो क्या होगा?
शादी होने के बाद अगर कोई धर्म परिवर्तन करने के लिए धमकाता है या जबरदस्ती करता है, तो उस शादी को निरस्त किया जा सकता है। नए कानून में पीड़ित पक्ष के माता-पिता या भाई-बहन को भी FIR करने का अधिकार दिया गया है।
तलाक के बाद क्या मेंटनेंस मिलेगा?
बिल्कुल। नए कानून में इसका प्रावधान भी किया गया है। इस कानून के तहत पीड़ित महिला और उसके बच्चे के भरण-पोषण के लिए मेंटनेंस यानी गुजारा भत्ता पति देगा। इसके अलावा पैदा हुए बच्चे का पिता की संपत्ति पर अधिकार रहेगा।
क्या यह धर्म विशेष पर लागू होगा या सभी दायरे में आएंगे?
नया कानून विशेष रूप से धर्म परिवर्तन के लिए शादी करने वालों पर शिकंजा कसने के लिए लाया गया है। इसमें शादी के लिए जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए प्रावधान हैं। सभी धर्मों लोग इस कानून के दायरे में आएंगे।
पुराना कानून था, तो नए की जरूरत क्यों पड़ी?
- पुराने कानून में अपराध जमानती था। नए कानून में ये गैर-जमानती है। नए कानून में जमानत कोर्ट से ही मिल सकेगी, जबकि पुराने कानून में थाने से ही जमानत मिलने का प्रावधान था।
- पुराने कानून में सजा भी कम थी। इसमें 3 साल की कैद और 20 हजार तक जुर्माने की सजा थी। जबकि SC-ST के मामले में ये सजा 4 साल और जुर्माने की रकम 20 हजार रुपए ही थी।
देश के किन-किन राज्यों में जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कानून हैं?
- अभी 8 राज्यों में जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कानून हैं। पहले तमिलनाडु में भी था, लेकिन 2003 में इसे निरस्त कर दिया गया।
- अभी गुजरात, झारखंड, ओडिशा, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसके लिए कानून हैं।
- इनमें हिमाचल, उत्तराखंड और राजस्थान में 5 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है। SC-ST और नाबालिग के मामले में ये सजा 7 साल की है।
- उत्तर प्रदेश में भी इसके लिए कानून बन चुका है। इसका अध्यादेश पिछले महीने ही कैबिनेट में पास हुआ है। इस कानून में जबरन धर्म परिवर्तन करने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।
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