Dainik Bhaskar
11 दिसंबर 2019 को यानी आज से एक साल पहले राज्यसभा में एक बिल के पक्ष में 125 और खिलाफ में 99 वोट पड़े थे। यह बिल था नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (Citizen Amendement Act)। अगले दिन 12 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। देशभर में भारी विरोध के बीच बिल दोनों सदनों से पास होने के बाद कानून की शक्ल ले चुका था। इसे गृहमंत्री अमित शाह ने 9 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया था।
2016 में नागरिकता कानून में बदलाव के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 (CAA) पेश किया गया। इसमें 1955 कानून में कुछ बदलाव किया जाना था। बदलाव थे, भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए अवैध गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देना। 12 अगस्त 2016 को इसे संयुक्त संसदीय कमेटी के पास भेजा। कमेटी ने 7 जनवरी 2019 को रिपोर्ट सौंपी। 8 जनवरी 2019 को विधेयक पास हुआ। उस समय राज्यसभा में यह विधेयक पेश नहीं हो पाया।
संसदीय प्रक्रिया का एक नियम है कि अगर कोई विधेयक लोकसभा में पास हो जाता है और राज्यसभा में पास नहीं होता है और इसी बीच अगर लोकसभा कार्यकाल खत्म हो जाता है तो विधेयक प्रभाव में नहीं रहता है। इसे फिर से दोनों सदनों में पास कराना जरूरी होता है। इस वजह से इस कानून को 2019 में फिर से लोकसभा और राज्यसभा में पास कराना पड़ा।
नए कानून में क्या है?
पिछले साल जब देश में CAA कानून बना तो देशभर में विरोध भी जोर पकड़ गया। दिल्ली का शाहीन बाग इस कानून के विरोध से जुड़े आंदोलन का केंद्र बिंदु था। कानून में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के प्रवासियों के लिए नागरिकता कानून के नियम आसान बनाए गए। इससे पहले नागरिकता के लिए 11 साल भारत में रहना जरूरी था, इस अवधि को घटाकर 1 से 6 साल कर दिया गया।
कानून के विरोध में भड़के दंगों में 50 से ज्यादा की जान गई
लोकसभा में आने से पहले ही ये बिल विवाद में था। लेकिन जब ये कानून बन गया, तो उसके बाद इसका विरोध और तेज हो गया। दिल्ली के कई इलाकों में प्रदर्शन हुए। 23 फरवरी 2020 की रात जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर भीड़ के इकट्ठा होने के बाद भड़की हिंसा, दंगों में तब्दील हो गई। दिल्ली के करीब 15 इलाकों में दंगे भड़के। कई लोग जिंदा जला दिए गए, तो कई लोगों को चाकू-तलवार जैसे धारदार हथियारों से हमला कर मार दिया गया। इन दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। सैकड़ों घायल हुए।
देश के मशहूर कवि प्रदीप का निधन हुआ था
6 फरवरी 1915 को मध्यप्रदेश के उज्जैन के बड़नगर कस्बे में एक शख्स का जन्म हुआ था। इसी के 48 साल बाद 27 जनवरी 1963 में दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मौजूदगी में लता मंगेशकर ने एक गीत गया। जिसके बोल थे 'ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंखों में भर लो पानी'। गीत खत्म होते ही स्टेडियम में मौजूद नेहरू समेत सभी लोगों की आंखें नम थीं।
यह गीत 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों की याद में लिखा गया था। गीत लिखने वाले थे कवि प्रदीप। वैसे इनका मूल नाम रामचंद्र नारायण द्विवेदी था। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने उन्हें उपनाम प्रदीप दिया था। उन्हें 1997-1998 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके लेखन के स्तर को इस बात से भी समझा जा सकता है कि उन्होंने हर तरह के गीत लिखे। उनके प्रमुख गीतों मे थे- ऐ मेरे वतन के लोगो, आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं, दे दी हमें आजादी, हम लाए हैं तूफान से, मैं तो आरती उतारूं, पिंजरे के पंछी रे, तेरे द्वार खड़ा भगवान, दूर हटो ऐ दुनिया वालों। 11 दिसंबर 1998 में मुंबई में उनका निधन हो गया।
भारत और दुनिया में 11 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं:
- 1687: ईस्ट इंडिया कंपनी ने मद्रास में नगर निगम बनाया था।
- 1882: तमिल कवि और पत्रकार सुब्रह्मण्यम भारती का जन्म हुआ था।
- 1935: भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का जन्म हुआ था।
- 1922: भारतीय सिनेमा के महान अभिनेता दिलीप कुमार का जन्म हुआ था।
- 1931: ओशो रजनीश का जन्म हुआ था।
- 1941: वर्ल्ड वॉर II में जर्मनी और इटली ने अमेरिका के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था।
- 1946: डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारत की संविधान सभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
- 1946: यूरोपीय देश स्पेन को संयुक्त राष्ट्र से निलंबित किया गया।
- 1964: संयुक्त राष्ट्र के यूनिसेफ की स्थापना हुई।
- 1969: भारत शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद का जन्म।
- 1983: जनरल एचएम इरशाद ने खुद को बांग्लादेश का राष्ट्रपति घोषित किया।
- 2001: चीन को वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन में एंट्री मिली।
- 2002: 11 दिसंबर को इंटरनेशनल माउंटेन डे घोषित किया। इस दिन यूएन जनरल असेंबली ने रिजोल्यूशन 57/245 अपनाया।
- 2012: भारत रत्न सम्मानित प्रसिद्ध सितार वादक पंडित रविशंकर का निधन।
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