Dainik Bhaskar
सुप्रीम कोर्ट ने 1975 के आपातकाल को असंवैधानिक घोषित करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को केंद्र को नोटिस जारी किया है। कोर्ट इस पर भी विचार करेगी कि क्या 45 साल बाद इसकी वैधानिकता पर विचार किया जा सकता है या नहीं। इस मामले में कोर्ट में सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने दलील पेश की।
आखिर इतने समय बाद इस आपातकाल की संवैधानिकता को क्यों चुनौती दी गई? याचिका लगाने वाली महिला कौन है? कोर्ट का याचिका पर पहले क्या रुख था? अगर सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुना देता है तो उसका भविष्य पर क्या असर होगा? आइये जानते हैं...
सबसे पहले मामला क्या है?
94 साल की वीरा सरीन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। वीरा चाहती हैं कि 1975 में जो आपातकाल लगाया गया, उसे सुप्रीम कोर्ट असंवैधानिक घोषित कर दे। इसके साथ ही वो अपने और अपने पति के साथ आपातकाल के दौरान हुए अत्याचार के बदले 25 करोड़ का हर्जाना भी चाहती हैं।
याचिका लगाने वाली महिला कौन हैं?
याचिका में कहा गया है कि वीरा सरीन और उनके पति को जेल में डाल दिए जाने के डर से देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। क्योंकि आपातकाल में उनके पति पर स्मगलिंग के झूठे आरोप लगाकर उनको हिरासत में लेने के गलत आदेश मनमाने तरीके से जारी किए गए थे। उनके पति का आपातकाल के पहले दिल्ली के करोल बाग और केजी मार्ग पर बहुमूल्य रत्नों का बिजनेस था। उनकी करोड़ों की अचल और चल संपत्ति जब्त कर ली गई। इसमें बहुमूल्य रत्न, कालीन, पेंटिंग, स्टैच्यू शामिल थे।
महिला ने पहले याचिका क्यों नहीं लगाई?
महिला का दावा है कि इन संपत्तियों को अब तक वापस नहीं किया गया। सन 2000 में पति की इन मामलों के चलते ही मौत हो गई। उसके बाद महिला अकेले ही आपातकाल के दौरान पति पर दर्ज हुए मामलों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही है। 2014 में दिल्ली हाई कोर्ट उसके पति पर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया था। इसी साल जुलाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार को सरीन की केजी, मार्ग की संपत्ति पर 1999 के रेट पर किराए का एरियर देने का भी आदेश दिया था। इसके बाद अब महिला सुप्रीम कोर्ट में आपातकाल को असंवैधानिक करने की मांग लेकर पहुंची है।
कोर्ट ने याचिका पर पहले क्या कहा था?
सोमवार से पहले इस मामले में सात दिसंबर को भी सुनवाई हुई थी। उस वक्त इस याचिका पर टिप्पणी करते हुए जस्टिस संजय कृष्ण कौल ने कहा था, ‘इतने सालों के बाद ये किस तरह की याचिका है। इस याचिका का क्या मतलब है।’ याचिका लगाने वाली महिला की ओर से पेश हुईं वकील नीला गोखले ने ये कहते सुनवाई स्थगित करने की अपील की थी कि अगली सुनवाई में उनकी ओर से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे बहस करेंगे। इसके बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की डेट 14 दिसंबर दे दी थी।
हरीश साल्वे ने कोर्ट के सामने क्या कहा?
इस मामले में वीरा सरीन की एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड अनन्या घोष ने भास्कर को बताया कि हरीश साल्वे ने अपनी दलील में कहा, 'हमें इतिहास में दोबारा देखना होगा और देखना होगा कि उस वक्त चीजें सही थीं या नहीं। अगर इतिहास को सही नहीं किया गया तो यह खुद को दोहराता है इसलिए इस मामले पर गौर किया जाए।'
कोर्ट ने दलील सुनने के बाद क्या कहा?
अनन्या घोष ने बताया कि हमने कोर्ट से अपनी याचिका में कुछ बदलाव की अपील की थी। कोर्ट ने हमारी अपील मानते हुए 18 दिसंबर तक याचिका में बदलाव करके उसे लगाने की मंजूरी दे दी। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर उन्हें अपना पक्ष रखने को कहा है।
कोर्ट ने आपातकाल को असंवैधानिक बता दिया तो इसका भविष्य पर क्या असर होगा?
इस सवाल के जवाब में अनन्या कहती हैं कि संविधान में आपातकाल बेहद गंभीर स्थिति में लगाया जाता है। भविष्य में क्या होगा ये तो नहीं कहा जा सकता। लेकिन, अगर कभी भी कोई सरकार इस बारे में सोचती है तो उसके सामने ये फैसला होगा।
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