Dainik Bhaskar
अमेरिका में लोकतंत्र रक्तरंजित हो गया। वही हुआ जिसका डर था। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उकसावे पर उनके समर्थक अमेरिकी संसद में घुस गए। इसके बाद कई सांसद प्रेसिडेंट-इलेक्ट जो बाइडेन के 20 जनवरी को इनॉगरेशन से पहले ही ट्रम्प को हटाने की मांग कर रहे हैं। औपचारिक रूप से ट्रम्प का कार्यकाल 20 जनवरी तक रहेगा। आइए, जानते हैं कि अमेरिका में हुआ क्या और आगे क्या हो सकता है-
अमेरिका में विवाद क्या है?
- अमेरिका में 3 नवंबर को वोटिंग हुई। बाइडेन ने 306 और ट्रम्प ने 232 इलेक्टोरल वोट्स जीते। लग रहा था कि ट्रम्प हार नहीं मानेंगे। हुआ भी कुछ ऐसा ही। ट्रम्प ने वोटिंग और काउंटिंग में धांधली के आरोप लगाए। अदालतों में कई मुकदमे दाखिल किए। ज्यादातर केस में ट्रम्प समर्थकों की अपील खारिज हो गई। सुप्रीम कोर्ट भी दो मामलों में ट्रम्प समर्थकों की याचिकाएं खारिज कर चुका है।
- वोटिंग के 64 दिन बाद अमेरिकी संसद बाइडेन की जीत पर मुहर लगाने जुटी तो ट्रम्प के समर्थक संसद में घुस गए। वहां तोड़फोड़ और हिंसा की। हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई। रिपब्लिकन ट्रम्प का दावा है कि चुनावों में धांधली की वजह से वे हारे हैं।
अमेरिकी संसद में हमला हुआ क्यों?
- यह सबको पता था कि संसद में जो बाइडेन की जीत की औपचारिक घोषणा होनी है। इसके लिए इलेक्टोरल कॉलेज के वोट्स को सर्टिफाई किया जाएगा। इसी दिन ट्रम्प ने सेव अमेरिका रैली का आयोजन किया। इसमें सैकड़ों ट्रम्प समर्थकों ने भाग लिया।
- एलिप्स पार्क में रैली के दौरान ट्रम्प ने समर्थकों को संसद तक मार्च करने की अपील की थी। इससे पहले ट्रम्प ने करीब एक घंटे भाषण दिया, जिसके बाद हजारों लोगों ने संसद की ओर मार्च किया। इस बीच, सांसद भी जॉइंट सेशन में इलेक्टोरल वोट्स गिनने पहुंचे थे। प्रदर्शनकारियों से झड़प हुई तो संसद की लाइब्रेरी, मेडिसन बिल्डिंग और कैनन हाउस ऑफिस बिल्डिंग खाली करवा ली गई।
- ट्रम्प ने कहा था कि हम संसद तक चलकर जाएंगे। मैं भी आपसे वहीं पर मिलूंगा। आप लोगों को ताकत दिखानी होगी। आपको मजबूती दिखानी होगी। आप नहीं चाहेंगे कि हमारा देश एक बार फिर कमजोर हो जाए। ट्रम्प ने रैली में बार-बार दोहराया कि वे चुनावों में हारे नहीं हैं। उन्हें रेडिकल डेमोक्रेट्स और फेक न्यूज मीडिया ने हराया है।
- ट्रम्प अपने समर्थकों से बार-बार रिजल्ट्स स्वीकार न करने की अपील करते दिखे। हम हार नहीं मानेंगे। यह नहीं होने वाला। इसके बाद ट्रम्प समर्थक संसद की ओर बढ़ गए। न केवल ऐतिहासिक इमारत में घुसे बल्कि चुनाव के नतीजों के सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया को भी रोकने की कोशिश की। सुरक्षाकर्मियों को दंगाइयों को बाहर निकालने में करीब चार घंटे लग गए।
संसद पर हमले के बाद क्या हुआ?
- संसद से दंगाइयों को बाहर करने के बाद सांसद फिर जुटे। जॉइंट सेशन में राष्ट्रपति चुनावों में मिले इलेक्टोरल वोट्स की गिनती हुई और जो बाइडेन की जीत की औपचारिक तौर पर पुष्टि की गई। संसद में जो कुछ हुआ, उसके बाद रिपब्लिकन और डेमोक्रेट सांसद मांग कर रहे हैं कि इनॉगरेशन डे (20 जनवरी) से पहले ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग लाया जाए। उन्हें पद से हटा दिया जाए।
क्या ट्रम्प को 20 जनवरी से पहले हटाया जा सकता है?
- हां। प्रेसिडेंट ट्रम्प को पद से हटाने के दो ही तरीके हैं- 1. अमेरिकी संविधान के 25वें संशोधन को लागू करना होगा, और 2. महाभियोग। दोनों ही स्थितियों में वाइस प्रेसिडेंट माइक पेंस की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। वे ही बाइडेन के इनॉगरेशन (पदभार ग्रहण करने) तक राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से दावा किया कि कुछ कैबिनेट सदस्यों और ट्रम्प के समर्थकों में 25वें संशोधन पर अमल करने पर बातचीत भी शुरू हो गई है।
अमेरिकी संविधान का 25वां संशोधन क्या कहता है?
- अमेरिकी संविधान का 25वां संशोधन 1967 में स्वीकार किया गया था। 1963 में राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी की हत्या के बाद राष्ट्रपति के उत्तराधिकारी पर सवाल उठे थे। इस संकट को दूर करने के लिए संशोधन लाया गया था। इसका सेक्शन 4 बताता है कि अगर राष्ट्रपति काम करने योग्य नहीं रहता और खुद पद नहीं छोड़ता है तो क्या होगा?
- विशेषज्ञों का कहना है कि 25वें संशोधन में स्पष्ट है कि अगर राष्ट्रपति शारीरिक या मानसिक रूप से अपनी जिम्मेदारी को निभाने में अक्षम होता है तो क्या प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए? कुछ स्कॉलर्स की यह भी दलील है कि उस राष्ट्रपति को भी हटाया जा सकता है, जो अपने पद पर रहते हुए देश के लिए गंभीर खतरा बन जाए।
- 25वें संशोधन को लागू करने के लिए पेंस और ट्रम्प कैबिनेट के अधिकांश सदस्यों को घोषित करना होगा कि ट्रम्प अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम नहीं है और उन्हें हटाया जाना चाहिए। उस परिस्थिति में पेंस जिम्मेदारी संभाल लेंगे।
- ट्रम्प तब यह दावा भी कर सकते हैं कि वह काम करने में सक्षम हैं। पेंस और कैबिनेट के ज्यादातर सदस्य विरोध नहीं करते तो ट्रम्प राष्ट्रपति बने रहेंगे। अगर उन्होंने ट्रम्प का विरोध जारी रखा तो मामला संसद में जाएगा। तब तक पेंस ही राष्ट्रपति की जिम्मेदारी निभाएंगे।
क्या ट्रम्प को महाभियोग लाकर हटाया जा सकता है?
- हां। हकीकत यह है कि महाभियोग की कार्यवाही संसद के निचले सदन यानी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स से शुरू होती है। इसके लिए राष्ट्रपति पर आपराधिक मामले में दोषी होने जैसे आरोप लगाने होंगे।
- 435 सदस्यों वाले हाउस में बहुमत से आरोप तय हो सकते हैं। इसे आर्टिकल्स ऑफ इम्पीचमेंट कहते हैं। प्रक्रिया ऊपरी सदन यानी सीनेट जाती है। वहां प्रेसिडेंट के खिलाफ सुनवाई होगी। वहां ही साबित होगा कि प्रेसिडेंट दोषी है या नहीं। संविधान के तहत सीनेट में ट्रम्प को दोषी ठहराने और हटाने के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी।
- ट्रम्प के खिलाफ डेमोक्रेट्स के नेतृत्व वाले हाउस में दिसंबर 2019 में महाभियोग के आरोप लगे थे। उनके खिलाफ अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए बाइडेन और उनके बेटे के खिलाफ जांच के लिए यूक्रेन पर दबाव डालने का आरोप था। लेकिन, फरवरी 2020 में रिपब्लिकन नेतृत्व वाले सीनेट में उन्हें दोषमुक्त करार दिया गया था।
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