Dainik Bhaskar
हमारे देश में कई बार VIP कल्चर खत्म होने की बातें होती हैं, लेकिन ऐसा होता नहीं है। गृह मंत्रालय के अधीन एक विंग काम करती है। नाम है ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट यानी BPRD। इसका एक डेटा आया है। ये बताता है कि देश में 19 हजार 467 VIP हैं, जिनकी सुरक्षा में 66 हजार 43 पुलिसवाले तैनात हैं। यानी एक VIP की सुरक्षा पर तीन से ज्यादा पुलिसवाले। जबकि, 135 करोड़ आबादी वाले देश में आम आदमी की सुरक्षा की बात करें तो देश में 20.91 लाख पुलिसवाले हैं। यानी 642 लोगों पर एक जवान। ये आंकड़े 2019 के हैं। 2018 में 632 लोगों पर एक जवान था।
देश में इतनी आबादी पर एक पुलिस जवान की संख्या शायद थोड़ी कम होती, अगर पद खाली न पड़े होते। BPRD के मुताबिक, देश में 26.23 लाख पद हैं, जिनमें से 20.91 लाख पद ही भरे हैं। मतलब, 5.31 लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। जितने पद हैं, अगर वो सब भरे होते तो हमारे यहां 512 लोगों पर एक पुलिस जवान होता।
बिहार में सबसे ज्यादा 1312 लोगों पर एक पुलिस जवान
बिहार की आबादी 12 करोड़ से ज्यादा है। यहां 91 हजार 862 पुलिसवाले हैं। इस हिसाब से यहां के 1 हजार 312 लोगों पर एक पुलिसवाला है। ये देश में सबसे ज्यादा है। दूसरे नंबर पर दमन दीव है। यहां की 4.30 लाख आबादी पर 424 पुलिसवाले हैं। यानी, 1 हजार 14 लोगों पर एक जवान।
और इधर VIP तो घटे, लेकिन उनकी सुरक्षा में लगे पुलिसवालों की संख्या बढ़ी
4 साल पहले 2016 में देश में VIP की संख्या 20 हजार 828 थी। उस समय उनकी सुरक्षा में 56 हजार 944 पुलिसवाले लगे थे। 2019 में ऐसे लोगों की संख्या घटकर 19 हजार 467 हो गई, लेकिन इनकी सुरक्षा में लगने वाले जवानों की संख्या बढ़कर 66 हजार 43 हो गई।
450 VIP ऐसे, जिन्हें केंद्र सरकार से सुरक्षा मिली है
हमारे देश में प्रधानमंत्री को मिलने वाली SPG सुरक्षा के अलावा सुरक्षा व्यवस्था को चार कैटेगरी में बांटा गया है। Z+, Z, Y और X। खतरे के आधार पर VIP सुरक्षा पाने वालों में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक, पार्षद, ब्यूरोक्रेट्स, पूर्व ब्यूरोक्रेट्स, जज, पूर्व जज, बिजनेसमैन, क्रिकेटर, फिल्मी कलाकार या साधु-संत होते हैं। साथ ही आम आदमी भी को भी ऐसी सुरक्षा मिल सकती है।
Z+ में 55 सुरक्षाकर्मी होते हैं। इनमें 10 से ज्यादा एनएसजी कमांडो होते हैं। इसमें हर व्यक्ति की सुरक्षा पर हर महीने 10 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। वहीं, Z कैटेगरी की सुरक्षा में CRPF और ITBP के 22 जवानों के अलावा लोकल पुलिस रहती है।
दो सवालों के जवाब सरकार ने कभी नहीं दिए
किसको दी सुरक्षाः ये सवाल पूछने पर सरकार एक ही जवाब देती है- सुरक्षा और गोपनीयता की वजह से जानकारी नहीं दे सकते।
सुरक्षा पर कितना खर्चाः इस पर सरकार का जवाब होता है- सुरक्षा पर होने वाले खर्च को सही-सही बताना कठिन है, क्योंकि इसमें सुरक्षाबलों की सैलरी-भत्ते, कम्युनिकेशन और वाहन का खर्च भी होता है।
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