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Dainik Bhaskar

टीवी अभिनेत्री गौहर खान और उनके प्रेमी जैद दरबार ने हफ्तेभर पहले शादी कर ली। उनकी कुछ बेहद खूबसूरत तस्वीरें सोशल मीडिया पर आईं। लेकिन ये क्या! बधाइयों की जगह उन्हें ट्रोल किया जाने लगा। खासकर गौहर को। वजह! वे अपने शौहर से लगभग 12 साल बड़ी हैं। सोशल मीडिया आतंकियों ने गौहर को जैद की अम्मी तक कह डाला।

विज्ञान की मामूली समझ रखने वाला भी बता सकता है कि अम्मी और औलाद के बीच 12 साल से जरा-ज्यादा ही फासला होता है। चलिए, विज्ञान को गोली मारिए। ये बताएं कि अगर जैद की उम्र गौहर से 12 साल ज्यादा होती तो क्या आप रिश्ते को बाप-बेटी जैसा नाम देते! नहीं देते, क्योंकि ये तो होता आया है। और यही सही भी है।

इस सही के पीछे बारहों कारण गिनाए जा सकते हैं। गिनती करते जाइए और कारण सिर के छिपे हुए ट्यूमर की तरह बढ़ता जाएगा। पहला कारण तो ये कि लड़कियां लड़कों से जल्दी मैच्योर हो जाती हैं। ऐसे में अगर हमउम्रों का ब्याह हो तो पति समझदारी में बीवी से काफी पीछे रह जाएगा। अब पति किसी भी मामले में पत्नी से कम कैसे हो सकता है। बात चाहे समझदारी की हो या फिर ताकत की। तो मान लिया गया कि 18 बरस की लड़की के साथ 40 का मर्द चलेगा लेकिन 21 का लड़का और 30 की लड़की नहीं होनी चाहिए।

युवा औरत-अधेड़ मर्द के फलसफे को सहारा देने के लिए विज्ञान का सहारा लिया गया। विज्ञान भी बड़ी जालिम चीज है। एक ओर चांद और मंगल पर जाने के लिए हम इसकी मदद लेते हैं, तो दूसरी तरफ अपनी पाताल में धंसी सोच के लिए भी इसी का इस्तेमाल करते हैं। विज्ञान की दुनिया मर्दानी है, जहां जनानेपन की कोई जगह नहीं। तो बस, मर्द-औरत के रिश्ते में क्यों मर्द को बड़ा, ऊंचा या कद्दावर होना चाहिए- इसके लिए तमाम तरकीबें पुरुष वैज्ञानिक जुटा लाए। डेमोग्राफी (Demography) नामक विज्ञान पत्रिका में स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर Sven Drefahl और उनकी टीम ने उम्र को लेकर कई तयशुदा खुलासे किए। उन्होंने बताया कि बड़ी उम्र की औरत से शादी करने पर मर्द की औसत आयु कम हो जाती है। और यही हाल बड़ी उम्र की उन महिलाओं का होता है, जो अपने से उम्र में छोटा साथी खोजती हैं।

प्रोफेसर अपनी स्टडी के बारे में विस्तार से भी बताते हैं। उनके मुताबिक शायद औरतें खुद को पति के मुताबिक युवा बनाए रखने में बेमौत मरती हैं। ठीक भी है, जब मर्द एग्जॉटिक हॉलीडे के बारे में सोच रहा होगा, तब बुढ़ाती हुई औरत मेनोपॉज के इशारों को अनदेखा करते हुई उससे कदमताल मिला रही होगी। आंखों के नीचे उभर आए घेरे छिपा रही होगी। या फिर बुढ़ापे की गंध को जवान खुशबू के नीचे दबा रही होगी।

वहीं मर्द अगर औरत से 10-15 साल बड़े भी हो जाएं, तो बढ़िया है। क्या है कि उम्र जितनी बढ़ती है, मर्द उतना जवान होता है। इस बात को पक्का करने के लिए हमने कहावतें तक बना डालीं, जैसे साठा तो पाठा। अब साठ में कोई पुरुष जवान घोड़े की तरह हिनहिनाए, तो लड़कियों को उसके साथ से भला क्यों एतराज हो। यहां लड़कियों के तो तमाम चोंचले हैं। 30 की होते-होते चेहरा नूर हो खो देता है। 40 की होते-होते पेट में गांठें पड़ जाती हैं। और 50 में तो जवानी चल बसती है। जब खुद कुदरत ने लड़कियों के यौवन की मियाद तय कर दी, तो बेचारे मर्द का क्या दोष। लिहाजा दस्तूर बन गया कि शादी में उम्र का फासला होना ही चाहिए। फासला भी ऐसा कि औरत पति से आप, ये, वो के अलावा कुछ न कह सके। और नाम तो कतई न ले सके।

इस बारे में एक किस्सा याद आता है। बचपन मंझोले शहर में बीता। पिता आर्मी से और काफी सख्त। घर पर अनुशासन ऐसा था कि रसोई में चींटियां भी कतार में चला करतीं। पापा का खौफ आस-पड़ोस, घर-बाहर से लेकर मां तक पर था। बाद में राज खुला कि जिसे हम खौफ मानते थे, वो दरअसल लिहाज था। बहरहाल, एक रोज मैं अपनी एक दोस्त के घर गई। पुराने कपड़ों की तरह खूब खुला-खुला माहौल। पिता बच्चों के साथ मजाक कर रहे थे। मां-पिता बेतकल्लुफी से बतिया रहे थे। मैंने गौर किया कि दोस्त की मां, पिता को 'तुम' कह रही है। मेरे लिए ये किसी अजूबे से कम नहीं था। घर लौटकर दादी को बताया। दादी ने फड़कते हुए एलान कर दिया कि मेरी दोस्त कु-संस्कारी है और मुझे आइंदा से वहां नहीं जाना होगा।

काफी बाद में जाना कि जिसे दादी ने कुसंस्कार बताया था, वो दरअसल बराबरी है। बराबरी की ये हवा कोरोनावायरस से भी तेजी से फैलती है। और इस लाइलाज मर्ज से बचने का कोई तरीका नहीं, सिवाय इसके कि ऐसे लोगों को कुसंस्कारी बता उनसे दूरी बरती जाए। उम्र के अलावा कद को लेकर भी हमारा आग्रह जबर्दस्त है। शादीशुदा या प्रेम में पड़े जोड़े में लड़की का कद कम ही हो। शादी-ब्याह के तमाम विज्ञापन देख लीजिए, सब के सब दुबली-नाजुक, कमसिन लड़की मांगते हैं।

वो हर पैमाने पर लड़के से उन्नीस ही हो। खूब पढ़ी-लिखी हो, लेकिन लड़के से जरा कम। शानदार नौकरी हो, लेकिन तनख्वाह लड़के से कम। निकलता हुआ कद हो, लेकिन लड़के से वो भी कम ही रहे। फुरसत या जरूरत में मैट्रिमोनी साइट के चक्कर लगें तो देखिएगा कि ऑस्ट्रेलिया में महीने के एक करोड़ कमाने वाली को भी लड़का अपने से ऊंचा ही चाहिए। लड़की और लड़के के कद में खास फर्क न हो, तो लड़की की शामत ही आ जाती है। ऊंची एड़ी का शौक भूल वो ऐसी चप्पलें खरीदती है जो जमीन में एक इंच धंसकर रहे। सतर कंधों वाली लड़की को चाहे-अनचाहे कंधे झुकाकर चलने की आदत हो जाती है।

दुनियाभर के तमाम मर्द इस मामले में एक-से है। प्रिंस चा‌र्ल्स और प्रिंसेज डायना की ऊंचाई बराबर थी लेकिन पोस्टकार्ड्स में चा‌र्ल्स डायना से ऊंचे नजर आते हैं। पता है क्यों? क्योंकि फोटोशूट के दौरान वे मोढ़े पर चढ़ जाते ताकि पत्नी उनके बराबर न दिखे। क्या फर्क पड़ता अगर डायना और चार्ल्स बराबर आ जाते! या फिर ऊंची हील्स के साथ डायना अपने पति से कुछ ऊंची ही दिखतीं! कश्मीर की चिनाब नदी अपनी चाल भूलकर झारखंड आ जाती! या फिर खाना पचाने का काम आंतों की जगह दिल को मिल जाता! कहीं कोई जलजला नहीं आता। कुदरत की सारी नियामतें वही रहतीं, बस हमारी सोच की ईंटें यहां से वहां सरक जातीं।

यही हो रहा है। भुरभुरी ईंटें टूट रही हैं तो मालिक-ए-मकानों का गुस्सा भी उबल रहा है। यही लोग कभी ट्रोल करते हैं तो कभी अपनी बीवी-बेटी को पीटते हैं। मर्द को ऊंचा, मर्द को मजबूत, मर्द को ओहदेदार बनाने में जुटे मर्द ये भूल गए कि ये शर्तें खुद उनके साथ भी नाइंसाफी कर जाएंगी। पता नहीं, कितने मर्द होंगे, जो बेहतर इंसान और बेहतरीन साथी हो सकते थे लेकिन किसी कमतरी ने उन्हें रोक डाला। कितने पिता होंगे, जो PPT बनाने की बजाए घर पर बिटिया की चोटियां गूंथना चाहते होंगे। लेकिन इसी सोच ने उनका मन मार दिया।

प्यारी सोसायटी! आज मौका भी है, दस्तूर भी। तो क्यों न बराबरी की शुरुआत आज ही से करें। गौहर-जैद सा कोई रिश्ता आपके आसपास हो, तो बजाए ट्रोलिंग के उसे वैसे ही अपनाएं, जैसे बाकी सारे रिश्तें। यकीन जानिए, ऊंची, उम्रदराज या ज्यादा कामयाब औरतें अपने साथी के साथ उतनी ही सहज होती हैं, जितना रंगों के साथ ब्रश। अब बारी आपकी है।



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A man of 40 will work with an 18-year-old girl, but should not be a boy of 21 and a girl of 30


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