Dainik Bhaskar
मेरी दो आंखें थीं, एक चली गई अब बस एक ही रह गई है, ये कहते-कहते हरचरण सिंह की आंखों में ठहरे आंसू उनके गालों तक चले आए। दिसंबर की सर्द रात ...
मेरी दो आंखें थीं, एक चली गई अब बस एक ही रह गई है, ये कहते-कहते हरचरण सिंह की आंखों में ठहरे आंसू उनके गालों तक चले आए। दिसंबर की सर्द रात ...