Dainik Bhaskar
इतिहास में आज का दिन कभी भुलाया नहीं जा सकता। एडोल्फ हिटलर ने आज ही के दिन जर्मन वर्कर्स पार्टी की मीटिंग पहली बार अटेंड की थी। यहीं से उसे राजनीति में आने का शौक लगा और फिर उसने जो किया, उसने इतिहास को शर्मसार कर दिया।
कॉर्पोरल हिटलर को जर्मन वर्कर्स पार्टी की जासूसी का काम मिला था। 12 सितंबर 1919 को सादे कपड़ों में म्यूनिख के बियर हॉल में उसने पहली पार्टी मीटिंग अटेंड की। सभी वक्ताओं के बोलने के बाद हिटलर खड़ा हुआ और उसने सभी के साथ अपनी असहमति जताई।
राष्ट्रवाद के मुद्दे पर उसका भाषण इतना जबरदस्त था कि उसे पार्टी का सदस्य बनने का आमंत्रण दिया गया। हिटलर दो साल में उसी पार्टी का सर्वेसर्वा बन गया। आगे चलकर इस पार्टी का नाम बदलकर नाजी पार्टी किया गया।
हिटलर की पार्टी ने पहले विश्व युद्ध के बाद जर्मनी में बढ़ी बेरोजगारी का मुद्दा उठाया। यहूदी-विरोधी भावनाओं को हवा दी। 1930 तक नाजी पार्टी जर्मनी में एक बड़ी ताकत बन गई और 1933 में हिटलर जर्मनी का चांसलर बन गया। तानाशाही चरम पर थी और कहते हैं कि अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए ही हिटलर ने दुनिया को विश्वयुद्ध की चौखट पर पहुंचाया।
61 साल पहले रूस चाँद पर पहुंचा
लूना-2 चांद की दिशा में लॉन्च किए गए स्पेसक्राफ्ट की सीरीज का दूसरा था। इसे सोवियत संघ ने 12 सितंबर 1959 को लॉन्च किया था। यह चांद ही नहीं बल्कि सौरमंडल के किसी भी दूसरे ग्रह या उपग्रह पर उतरने वाली यह पहली मानवनिर्मित वस्तु थी।
इस स्पेसक्राफ्ट में ऐसी व्यवस्था थी कि वह सोडियम गैस छोड़ता चल रहा था, ताकि उसे स्पेस में ट्रैक किया जा सके। यह भी पता चला कि गैस का स्पेस में बर्ताव क्या होता है। 33.5 घंटे की उड़ान के बाद यह स्पेसक्राफ्ट चांद की सतह पर क्रैश हो गया। इससे पता चला कि चांद पर गुरुत्वाकर्षण बल बहुत कम है। इससे चांद पर रेडिएशन बेल्ट्स नहीं होने के सबूत भी मिले।
76 साल पहले अमेरिकी सेना जर्मनी में दाखिल हुई
आज ही के दिन अमेरिकी सेना ने 1944 में पहली बार जर्मनी में प्रवेश किया। द्वितीय विश्वयुद्ध खत्म होने के बाद से जर्मनी यूरोप में अमेरिका की रक्षा रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। युद्ध खत्म होने के बाद जर्मनी पर 10 साल तक मित्र देशों का कब्जा रहा। अमेरिकी सेना उसका ही हिस्सा थी। हालांकि, सेना की संख्या धीरे-धीरे कम होती गई।
अमेरिका के लिए जर्मनी का रणनीतिक महत्व दक्षिण-पूर्वी शहर स्टटगार्ड में स्थित अमेरिकी यूरोपीय कमांड (ईयूसीओएम) के मुख्यालय से पता चलता है। इस जगह से यूरोप के 51 देशों में अमेरिकी सेना के बीच समन्वय होता है। ईयूसीओएम का मिशन संघर्ष को टालना और नाटो जैसे सहयोगियों से साझेदारी व अंतरराष्ट्रीय खतरों से अमेरिका को बचाना है। हाल ही में अमेरिका ने अपनी सेना वापस बुलाने का निर्णय लिया।
इतिहास के पन्नों में आज का दिन इन घटनाओं की वजह से भी याद किया जाता है...
- 1873: पहला टाइपराइटर ग्राहकों को बेचा गया।
- 1928ः फ्लोरिडा में भीषण तूफान से 6000 लोगों की मौत।
- 1966: भारतीय तैराक मिहिर सेन ने डार्डानेलेस जलडमरूमध्य को तैरकर पार किया।
- 1990ः पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी का विलय करने के लिए अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, सोवियत संघ, पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- 1991: अंतरिक्ष शटल एसटीएस 48 (डिस्कवरी 14) का प्रक्षेपण हुआ।
- 1997ः 43.5 करोड़ मील लंबी यात्रा के बाद ‘मार्स ग्लोबल सर्वेयर’ यान मंगल की कक्षा में पहुंचा।
- 1997: संयुक्त राष्ट्र के कार्यों की वार्षिक रिपोर्ट में 48 वर्ष बाद कश्मीर का जिक्र पहली बार नहीं किया गया।
- 1998: कुआलालंपुर में 16वें राष्ट्रमंडल खेल शुरू।
- 2000: न्यूयार्क में अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन प्रारंभ।
- 2001: अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ जंग का ऐलान किया।
- 2002: नेपाल में माओवादियों ने संघर्ष विराम का प्रस्ताव रखा।
- 2004: उत्तर कोरिया ने अपना परमाणु कार्यक्रम जारी रखने का निर्णय लिया।
- 2006: सीरिया की राजधानी दमिश्क में अमेरिकी दूतावास पर हमला।
- 2007: रूस ने नॉन न्यूक्लियर वैक्यूम बम का परीक्षण किया।
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