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Dainik Bhaskar

आपको याद होगा, पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब "परीक्षा पे चर्चा" कर रहे थे तो एक महिला ने अपने नौवीं में पढ़ने वाले लड़की की शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि मेरा बेटा पहले अच्छा पढ़ता था। लेकिन पिछले कुछ दिन से ऑनलाइन गेम्स पर ज्यादा वक्त देता है। इस पर मोदी ने तुरंत कहा था, "पबजी वाला है क्या?"

यहीं, पबजी वालों को अब मोदी सरकार से नाराजी है। उनका लोकप्रिय गेम पबजी 118 प्रतिबंधित ऐप्स की सूची में आ गया है। इधर बैन की घोषणा हुई और उधर यह मैसेज वायरल हो गया कि पबजी में चीनी कंपनी टेन्सेंट की हिस्सेदारी सिर्फ 10% है। पबजी वह 10% हिस्सेदारी बेच देगा और एक हफ्ते में लौट आएगा।

खैर, यह गेमर्स का दावा है, हकीकत तो कुछ और ही है। खैर, इस तरह की कई बातें हो रही हैं पबजी के बारे में। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि आप इस लोकप्रिय गेम के बारे में जाने, जिसने भारतीयों को इस कदर दीवाना बना रखा था।

सबसे पहले, यह पबजी आखिर है क्या?

  • पबजी असल में प्लेयर्स अननोन्स बैटलग्राउंड्स (Player Unknown's Battlegrounds) है। यह जापानी थ्रिलर फिल्म बैटल रोयाल से प्रभावित है, जिसमें सरकार छात्रों के एक ग्रुप को खतरनाक मिशन पर भेज देती है।
  • पबजी में करीब 100 खिलाड़ी एक साथ किसी टापू पर पैराशूट से छलांग लगाते हैं। हथियार खोजते हैं। एक-दूसरे को मारते रहते हैं। और जो जीत जाता है, उसे कथित तौर पर "चिकन डिनर" मिलता है।
  • इस वीडियो गेम को दक्षिण कोरियाई कंपनी ब्लूहोल के लिए ब्रेंडन ग्री ने 2017 में बनाया था। जब यह गेम चीन पहुंचा तो ब्लूहोल ने टेनसेंट को पार्टनर बनाया। उसने ही पबजी का मोबाइल वर्जन बनाया है।
  • चीनी मार्केट में यह गेम इंस्टेंट हिट रहा। लेकिन, चीन सरकार से शुरुआत में मंजूरी नहीं मिलने से पैसा नहीं बना सका। दूसरी ओर, चीन सरकार ने कहा कि इस गेम की लत युवा पीढ़ी के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
  • पबजी के दुनियाभर में 50 करोड़ डाउनलोड्स हुए हैं। 5 करोड़ डेली एक्टिव यूजर हैं, जो रोज ही यह गेम खेलते हैं। माइनक्राफ्ट, फोर्टनाइट, लीग ऑफ लीजेंड्स, काउंटर-स्ट्राइक, वर्ल्ड ऑफ वारक्राफ्ट और क्लैश ऑफ क्लैन्स है भी लोकप्रिय गेम्स हैं, लेकिन पबजी जैसा कोई और नहीं है।

भारत क्यों खास है पबजी के लिए?

  • भारत में गूगल का प्ले स्टोर हो या एपल ऐप स्टोर, पबजी हमेशा से मोस्ट डाउनलोडेड गेम्स की लिस्ट में टॉप करता आया है। एक तरह से यह इस लिस्ट का स्थायी फीचर ही है।
  • ऑनलाइन एनालिटिक्स फर्म सेंसर टॉवर के अनुसार दुनियाभर में पबजी खेलने वालों में सबसे ज्यादा 25% भारतीय है। आंकड़ों में 17.5 करोड़ डाउनलोड्स हुए हैं। चीन में पबजी के कुल 17% यूजर है, वहीं अमेरिका में 6% प्लेयर।
  • क्वार्ट्ज ने 2018 में एक हजार पबजी प्लेयर्स पर स्टडी की। पाया कि उसमें 62% प्लेयर तो भारतीय हैं। भारत में लॉकडाउन के दौरान पबजी को सबसे ज्यादा खेला गया। मई में 22 लाख लोगों ने इसे खेला।

भारत से कैसे और कितना कमाता है पबजी?

  • पबजी मोबाइल की कमाई का जरिया इन-गेम आइटम्स जैसे स्किन, आउटफिट आदि हैं। उन्हें प्लेयर इन-गेम करेंसी (यूसी) का इस्तेमाल कर खरीद सकते हैं। इन-गेम पर्चेज से ही पबजी को कमाई होती है।
  • पबजी की कमाई को समझना है तो उसे दो हिस्सों में बांटना होगा। पबजी मोबाइल से होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा टेनसेंट (चीन) को जाता है, लेकिन यदि आप कंप्यूटर पर खेल रहे हैं तो कोरियाई कंपनी को वह मिलता है।
  • अलग-अलग रिपोर्ट्स देखें तो भारत से अकेले 7 मिलियन डॉलर यानी करीब 52 करोड़ रुपए हर महीने कमाता है पबजी मोबाइल। हालांकि, पबजी मोबाइल ने 2019 में 9,541 करोड़ रुपए कमाए।
  • पबजी मोबाइल की कमाई का 72% हिस्सा ऐपल के ऐप स्टोर से आया जबकि गूगल प्ले से सिर्फ 28% हिस्सा उसे मिला। यदि हम डाउनलोड्स की बात करें प्ले स्टोर ने जरूर इसमें बाजी मारी है। इसमें बड़ी हिस्सेदारी भारत में एंड्रॉइड फोन पर पबजी डाउनलोड्स की है।

तब तो उसे भारत आना ही होगा?

  • गेमिंग एनालिस्ट के मुताबिक, भारत में डाउनलोड्स भले ही सबसे ज्यादा हो, टेनसेंट को भारत से उतना प्रॉफिट नहीं मिल पाया। दुनियाभर में बदनामी अलग मिल रही है। ऐसे में उसके यहां लौटकर आने की संभावना काफी कम है।
  • पबजी ने मई में 226 मिलियन डॉलर का रेवेन्यू कमाया और यह दुनियाभर का सबसे ज्यादा कमाई करने वाला गेम साबित हुआ। पिछले साल मई में जो इसने कमाई की थी, उससे इस साल की कमाई 41% ज्यादा रही।
  • सेंसरटॉवर के अनुसार, टेनसेंट के पबजी मोबाइल ने रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा चीन से करीब 53 प्रतिशत कमाया। इसके बाद 10.2 प्रतिशत अमेरिका और 5.5 प्रतिशत सऊदी अरब से। ऐसे में भारत से कमाई बहुत ज्यादा नहीं है।

ऑनलाइन गेमिंग की कमाई का बेस क्या है?

  • पिछले दस साल में ऑनलाइन गेमिंग मार्केट ने तेजी से अपना जाल फैलाया है। यह तेजी से उभरता मार्केट बन गया है। गेमिंग मार्केट में इन-ऐप पर्चेज होता है, जिसे समझे बिना इस मार्केट को समझना मुश्किल हो सकता है।
  • ऑनलाइन गेमिंग मार्केट में डाउनलोड्स पर खर्च नहीं होता। बल्कि गेम खेलते समय आप जो खरीदारी करते हैं, वह ही इन कंपनियों की कमाई है। खासकर, जब आपको कोई गेम अच्छा लगता है तो आप उसकी एसेसरीज खरीदते हैं।
  • सीधे शब्दों में कहें तो पहले तो आपको गेम अच्छा लगता है। फिर एडिक्टिव होने की वजह से इसकी लत लग जाती है। फिर धीरे-धीरे आप उसकी दुनिया में खोने लगते हैं और एसेसरीज पर भी पैसा खर्च करने लगते हैं।
  • इसके अलावा पबजी से जुड़े मर्केंडाइज भी लोकप्रियता हासिल करते जा रहे हैं। बच्चों को पसंदीदा कैरेक्टर, टी-शर्ट, कप-प्लेट, कपड़े पसंदीदा आते हैं। इससे भी यह गेमिंग कंपनियां पैसा कमाती हैं।

पबजी के विकल्प क्या बन सकते हैं?

  • वैसे, गेमर्स अभी पबजी के सदमे में हैं। अभी मोबाइल में गेम ब्लॉक नहीं हुआ है। इस वजह से जिनके मोबाइल में यह है, वह इसे खेले जा रहे हैं। भारत में पबजी ने लाइव गेम स्ट्रीमिंग इंडस्ट्री को ताकत दी है।
  • इसने ऐसे कंटेंट क्रिएटर्स दिए हैं जो अच्छा पैसा कमा रहे हैं। सीरियस गेमर्स के लिए यह बैन बहुत चौंकाने वाला और धक्का देने वाला है। हालांकि, ई-स्पोर्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की माने तो इस बैन का फायदा भारतीय ऐप्स को होगा।
  • पबजी मोबाइल के लोकप्रिय विकल्पों में क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन, साइबर हंटर और रूल्स ऑफ सरवाइल भी बैन हो गए हैं। लेकिन गारेना फ्री फायर, कॉल ऑफ ड्यूटी के साथ-साथ अन्य गेमिंग ऐप्स डाउनलोड कर सकते हैं।
  • कॉल ऑफ ड्यूटी वैसे तो अमेरिकी वीडियो गेम पब्लिशर एक्टविजन की प्रॉपर्टी है। लेकिन इसका मोबाइल वर्जन टेनसेंट की ही सब्सिडियरी टिमी स्पोर्ट्स ने किया है। लिहाजा, इस पर भी टिके रहना मुश्किल है।


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