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Dainik Bhaskar

अगर आपको लगता है कि हमारे जैसे भीड़-भाड़ वाले देश में तिरुपति, वैष्णो देवी या शिरडी सांई मंदिर में भीड़ का बहुत अच्छा प्रबंधन किया जाता है तो आपको इस सूची में एक और नाम जोड़ लेना चाहिए। ये है राजधानी दिल्ली की सीमाओं को छूने वाले एनएच-44 का इलाका।

मानो एक पूरा शहर यहां आकर बस गया हो, जहां लोगों के पास हर वह सुविधा है, जो उनके घरों में है। किसी मैनेजमेंट स्टूडेंट के लिए यहां सीखने के लिए बहुत कुछ है। ऐसा कुछ भी नहीं है, जो आपको यहां नहीं मिलेगा। अधिकांश सुविधाएं मुफ्त हैं।

चाय हो या खाना, घर की चारदिवारी से बाहर सड़क पर इस तरह की व्यवस्था देखने को नहीं मिलती।

हेल्थ मैनेजमेंट : यदि अत्यधिक सर्द मौसम का सामना करती हुई हजारों की भीड़ है, वो भी एक हाईवे पर तो शर्तिया उसमें से लोग बीमार पड़ेंगे। और संभवतः प्रदर्शनकारी यह बहुत अच्छी तरह जानते हैं। नहीं तो कैसे उनकी व्यवस्थित चिकित्सा सुविधा, जिसमें एंबुलेंस से लेकर वेंटिलेटर और मेडिकल स्टोर तक शामिल है, कई किलोमीटर तक हर कुछ मीटर के फासले पर मौजूद है और जिसमें दवाइयां भी दी जा रही हैं।

उदाहरण के लिए यदि किसी को जेलुसिल जैसे एंटासिड सिरप की जरूरत है, तो वह एक छोटी सी प्लास्टिक की डिबिया में दिया जा रहा है, जिसमें पान वाले चूना रखते हैं। जांच के लिए डॉक्टर को बुलाने की बात तो छोड़िए, यहां इमरजेंसी के लिए डॉक्टर मौजूद हैं। अत्याधुनिक मोबाइल वैन में इलाज चल रहा है, जो किसी फाइव स्टार हॉस्पिटल की तरह दिखती है।

सहूलियत मैनेजमेंट : मोबाइल चार्जिंग स्टेशन, अन्य आधुनिक उपकरणों के रिपेयर में सहायता छोड़िए, फाइव स्टार होटलों द्वारा कंघी, तेल और टूथपेस्ट मुहैया कराना भी पुराना आइडिया हो गया है। यदि कोई किसान अंडरवियर, बनियान, रुमाल या मोजा लाना भूल गया है तो यह भी उनके लिए यहां उपलब्ध है, बिलकुल मुफ्त।

होम-सिकनेस मैनेजमेंट : यदि आपको गरमागरम गोभी, मूली और आलू के पराठे का स्वाद घर की याद दिला रहे हैं तो चिंता करने की जरूरत नहीं। प्रदर्शनकारी किसानों को यहां पर लस्सी, सरसों का साग और मक्के की रोटी भी मिल रही है, जो इस मौसम में उनका पसंदीदा व्यंजन है। यहां लंगरों में सत्कार देखने लायक है। भले ही आप कोई प्रदर्शनकारी हैं या आगंतुक तमाशबीन, आपको मेहमान की तरह ट्रीट किया जाएगा और मनपसंद गरमागरम भोजन पेश किया जाएगा।

लंगर का इंतजाम सड़क पर ही है। रसोई दिन-रात चालू है। हर आने वाले को सेवाभाव से भोजन परोसा जाता है।

धरना स्थल पर स्नैक्स की भी अनूठी व्यवस्था है। आपकी शुगर और कोलेस्ट्रॉल लेवल के अनुसार आप धरने पर बैठे-बैठे गरीबों के भुने चने से लेकर अमीरों के काजू-किशमिश तक चबा सकते हैं। ये पूरी भोजन व्यवस्था सेवा-भाव के साथ है और यही कारण है कि इससे सिर्फ पेट ही नहीं, बल्कि दिल भी भर रहा है।

सिक्योरिटी मैनेजमेंट : संभवतः आज के समय का सबसे बढ़िया दो-स्तरीय सुरक्षा प्रबंधन। निहंगों की सेना पूरे धरने में घूम-घूम कर इस बात को सुनिश्चित कर रही है कि कोई भी असामाजिक तत्व इस प्रदर्शन का नाजायज फायदा न उठाने पाएं। वे हर ट्रैक्टर, ट्रक, और बस में एक व्यक्ति को पूरी रात जगाए रखते हैं।

हर 300 मीटर की दूरी पर लगे चाय और गर्म पेय के काउंटरों से इन सुरक्षा करने वाले स्वयंसेवकों और निहंगों को मदद मिल रही है। धरनास्थल पर मौजूद महिलाओं को युवा स्वयंसेवकों द्वारा अलग से खास सुरक्षा दी जा रही है।

(मनीषा भल्ला और राहुल कोटियाल के अतिरिक्त इनपुट के साथ)



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आंदोलन में आए किसानों के वाहन न केवल बेडरूम का काम कर रहे हैं, बल्कि इनमें रोजमर्रा की दूसरी जरूरतें भी जुटाई गई हैें ताकि लंबे आंदोलन के दौरान दिक्कतें न आएं।


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