Dainik Bhaskar
एक लड़का जिसकी मुस्कान सबसे जुदा थी, एक नौजवान जिसकी आंखें बोलती थीं, एक बुजुर्ग जिसने मौजूदा भारत को बनते देखा था, एक साधक जिसके आलाप में संगीत घुला था। साल 2020 बड़ा निर्दयी निकला। इसने हमसे कितना कुछ छीन लिया। अब बची हैं तो सिर्फ यादें, किस्से, बातें और विरासत। गुजरते 2020 के साथ हम याद कर रहे हैं ऐसी ही तमाम मशहूर हस्तियों को, जो इस साल हमसे रुखसत हो गईं।
'अगले जन्म में घोड़ा नहीं, इसी जन्म में राष्ट्रपति बनोगे'
प्रणब मुखर्जी से मिलने उनकी बहन अन्नपूर्णा दिल्ली आई थीं। प्रणब दा ने राष्ट्रपति भवन की बग्घी में बंधा घोड़ा देखकर अपनी बहन से कहा- इस आलीशान भवन का आनंद उठाने के लिए अगले जन्म में वे घोड़ा बनना पसंद करेंगे। इस पर उनकी बहन के मुंह से निकला- अगले जन्म में घोड़ा नहीं, तुम इसी जन्म में राष्ट्रपति बनोगे। साल 2012 में प्रणब मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति चुने गए।
प्रणब दा का जन्म बंगाल के बीरभूम जिले के मिराती गांव में हुआ था। आखिरी दिनों में प्रणब दा की ब्रेन सर्जरी की गई थी, जिसके बाद वे कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। उनके फेफड़ों में संक्रमण भी हो गया था। उन्होंने 31 अगस्त 2020 को 85 साल की उम्र में आखिरी सांस ली।
'मुझे विश्वास है, मैंने आत्मसमर्पण कर दिया है'
"मुझे विश्वास है, मैंने आत्मसमर्पण कर दिया है", ये वो कुछ शब्द हैं, जो इरफान ने 2018 में कैंसर से अपनी लड़ाई के बारे में बताते हुए लिखे थे। इस आत्मसमर्पण के करीब दो साल बाद एक सुबह उनकी सांसें थम गई। वे न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर से जूझ रहे थे।
इरफान ने 'हासिल', 'मकबूल', 'लाइफ इन अ मेट्रो', 'द लंच बॉक्स', 'पीकू', 'तलवार' और 'हिंदी मीडियम' जैसी कई शानदार फिल्मों में काम किया था। 'पान सिंह तोमर' के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड दिया गया था।
'हमारी कहानी का अंत हुआ'
ऋषि कपूर के निधन के बाद पत्नी नीतू ने उन्हें याद करते हुए फाइनल गुडबाय कहा है। नीतू ने इंस्टाग्राम पर ऋषि की एक तस्वीर शेयर की जिसमें वह हाथों में व्हिस्की का ग्लास थामे मुस्कुराते दिख रहे हैं। नीतू ने इस तस्वीर के कैप्शन में लिखा, 'हमारी कहानी का अंत हुआ'।
कैंसर से जंग लड़ते हुए 30 अप्रैल को 68 साल की उम्र में ऋषि कपूर का निधन हो गया। ऋषि अपने पीछे 5 दशक लंबे एक्टिंग करियर की विरासत छोड़ गए हैं। उन्होंने 1973 में 'बॉबी' से बतौर एक्टर करियर की शुरुआत की और 2019 में उनकी आखिरी फिल्म 'द बॉडी' रिलीज हुई।
एक्टर जिसने चांद पर प्लॉट खरीदा
सुशांत ने 2018 में चांद पर जमीन खरीदी थी। उनका ये प्लॉट ‘सी ऑफ मसकोवी’ में है। दिलचस्प ये है कि उन्होंने अपने प्लॉट पर नजर रखने के लिए एक दूरबीन भी खरीदी थी। उनके पास एडवांस टेलिस्कोप 14LX00 था। 14 जून 2020 को 34 साल के सुशांत अपने कमरे में फांसी पर लटके पाए गए।
पटना में जन्मे सुशांत ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए दिल्ली का रुख किया। वहां उन्होंने पढ़ाई के साथ थिएटर भी करना शुरू कर दिया। थिएटर से टेलीविजन और फिर फिल्मों तक का सफर तय किया। उन्होंने काय पो चे, शुद्ध देसी रोमांस, एमएस धोनी, पीके, केदारनाथ और छिछोरे जैसी फिल्मों में काम किया। सुशांत की आखिरी फिल्म 'दिल बेचारा' उनके निधन के बाद रिलीज हुई।
'दीवाना बनाना है, तो दीवाना बना दे'
जाने-माने शास्त्रीय गायक पंडित जसराज ने एक साक्षात्कार में बताया था, 'हैदराबाद में हर रोज स्कूल जाते समय रास्ते में एक होटल पड़ता था जहां बेगम अख्तर की गाई गजल ‘दीवाना बनाना है तो दीवाना बना दे, वरना तकदीर तमाशा ना बना दे’ सुनाई देती थी। मेरे कदम वहीं रुक जाते थे। आवाज में ऐसी कशिश थी कि मैं आगे बढ़ ही नहीं पाता था।’ पंडित जसराज में संगीत के शुरुआती बीज यहीं पड़ गए थे।
28 जनवरी 1930 को हरियाणा के हिसार में जन्मे पंडित जसराज ने शास्त्रीय संगीत को 80 वर्ष से ज्यादा का समय दिया। उन्हें पद्म विभूषण समेत तमाम सम्मानों से नवाजा गया। अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने 11 नवंबर 2006 को खोजे गए एक ग्रह 2006-VP32 का नाम भी 'पंडित जसराज ग्रह' रख दिया। जीवन के आखिरी दिनों में वे अमेरिका के न्यू जर्सी में थे।
उस भविष्यवाणी से सहम गया था पूरा देश
बेजान दारूवाला ने भविष्यवाणी की थी कि संजय गांधी की मौत दुर्घटना से होगी। 3 जून 1980 को संजय गांधी की एक विमान दुर्घटना में मौत हो गई थी। इस घटना से पूरा देश सहम गया था। इसी तरह उन्होंने नरेंद्र मोदी की जीत की भी भविष्यवाणी की थी। कोरोना के बारे में दारूवाला का कहना था कि 15 मई के बाद इसका प्रभाव कम होने लगेगा। 29 मई 2020 को उन्होंने आखिरी सांस ली। उन्हें कोरोना ही हुआ था।
बेजान दारूवाला का जन्म 11 जुलाई, 1931 को मुंबई में हुआ था। वे पारसी परिवार से ताल्लुक रखते थे। 2003 में बेजान दारूवाला ने अपनी ज्योतिष वेबसाइट की शुरुआत की थी। उन्होंने देश में ज्योतिष का एक ट्रेंड सेट किया।
'तेरे मेरे बीच में कैसा है ये बंधन अंजाना'
एसपी बालासुब्रमण्यम ने एक कार्यक्रम में कहा था, 'मेरा लक्ष्य सिंगर बनना नहीं था। यह सिर्फ एक एक्सीडेंट था। मैं बहुत अच्छा गाता था, मैं इस बात से सहमत हूं। लेकिन मैं इंजीनियर बनना चाहता था।' एसपी ने पूरे करियर में 16 भाषाओं में रिकॉर्ड 40 हजार से ज्यादा गाने गाए हैं।
एसपी बालासुब्रमण्यम ने 1981 में 'एक दूजे के लिए' के लिए पहली बार हिंदी में गाना गाया। इसके लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड भी मिला। गाने के बोल थे- तेरे मेरे बीच में कैसा है ये बंधन अंजाना। 25 सितंबर 2020 को 74 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
'लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना'
मशहूर शायर राहत इंदौरी अपनी जिंदगी का एक किस्सा सुनाते हैं, 'एकबार मुझे किसी ने जिहादी कह दिया। ये सुनकर मैं रातभर सो नहीं सका। एक-एक रोयां नापता रहा कि कहां से जिहादी हूं? तभी मुझे सुबह की अजान सुनाई दी। मुझे एहसास हुआ कि मैं जिहादी तो नहीं लेकिन कुछ अलग जरूर हूं।' इसके बाद राहत इंदौरी ने एक शेर लिखा- 'मैं मर जाऊं तो मेरी एक पहचान लिख देना, लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना।'
राहत इंदौरी का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर में एक कपड़ा मिल कर्मचारी के घर हुआ था। महज 19 साल की उम्र में उन्होंने शायरी शुरू कर दी थी और आखिरी वक्त तक सक्रिय रहे। राहत ने बॉलीवुड के खुद्दार, मुन्नाभाई एमबीबीएस, मर्डर, इश्क जैसी फिल्मों में कई गाने लिखे। वे कोरोना संक्रमित पाए गए थे, जिसके बाद दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।
गांधी परिवार के बाद कांग्रेस का सबसे मजबूत नेता
जंतर-मंतर पर अहमद पटेल का इंटरव्यू कर रही एक रिपोर्टर का मोबाइल किसी ने चुरा लिया। जब रिपोर्टर ने दूसरे मोबाइल पर अपना नंबर ऑन किया तो उसमें सबसे पहला मैसेज अहमद पटेल का था। पटेल ने कहा- 'मेरी वजह से आपका फोन चोरी हो गया, बहुत बुरा हुआ। अब आप कैसे मैनेज करेंगी?' ऐसा कनेक्ट वे पार्टी कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और कॉर्पोरेट्स से रखते थे।
कांग्रेस के कद्दावर नेता अहमद पटेल का 71 साल की उम्र में 25 नवंबर की सुबह निधन हुआ। वे कोरोना संक्रमित भी हुए थे। अपने राजनीतिक करियर के करीब 4 दशकों में वे इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और इसके बाद सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार रहे।
'मेरे तो नाम में ही राम है'
उन दिनों की बात है, जब राम विलास पासवान NDA के सहयोगी नहीं हुआ करते थे। हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र चला, तो पासवान ने अटल बिहारी वाजपेयी से कहा, 'मेरे तो नाम में ही राम है। बीजेपी के पास कहां हैं राम? इस पर वाजपेयी अपने चिर-परिचित अंदाज में बोले- पासवान जी, हराम में भी राम होता है।
रामविलास पासवान का राजनीतिक सफर 1969 में तब शुरू हुआ था, जब वे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा के सदस्य बने थे। खगड़िया में एक दलित परिवार में 5 जुलाई 1946 को जन्मे रामविलास पासवान राजनीति में आने से पहले बिहार प्रशासनिक सेवा में अधिकारी थे।
महाशय दी हट्टी को बनाया MDH
धर्मपाल सिंह गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। विभाजन के समय उनका परिवार अमृतसर आ गया था। कुछ समय बाद वे परिवार के साथ दिल्ली आ गए थे। जब वे दिल्ली आए थे, तो उनके पास केवल 1500 रुपए थे। उनके सामने रोजगार का संकट था। 1500 रुपए में से 650 रुपए का घोड़ा-तांगा खरीद लिया और रेलवे स्टेशन पर तांगा चलाने लगे।
धर्मपाल गुलाटी की मेहनत की बदौलत MDH आज करीब 2000 करोड़ रुपए का ब्रांड बन गया है। MDH की आज भारत और दुबई में करीब 18 फैक्ट्रियां हैं, जिनमें तैयार मसाला कई देशों में बेचा जाता है। एक भरी-पूरी जिंदगी जीने के बाद 98 साल की उम्र में इस मसाला किंग का देहांत हो गया। उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।
जिसे राजनीति का दांव सिखाया उससे ही मिली मात
केशुभाई तख्तापलट के चलते दोनों बार मुख्यमंत्री का टर्म पूरा नहीं कर पाए। 2001 में नरेंद्र मोदी ने CM पद की शपथ ली और मीडिया से कहा, 'सूबे की असल कमान केशुभाई के हाथ में ही है। वे ही बीजेपी का रथ हांकने वाले सारथी हैं। मुझे उनकी सहायता के लिए गियर की तरह उनके पास लगा दिया गया है।'
केशुभाई पटेल ने व्यक्तिगत जीवन में काफी तकलीफों का सामना किया। 2006 में उनकी पत्नी लीलाबेन की मौत जिम में लगी आग की चपेट में आने से हुई। 2017 के सितंबर में उनके 60 साल के बेटे प्रवीण की हार्ट अटैक से मौत हो गई। आखिरकार 29 अक्टूबर 2020 को केशुभाई पटेल का भी निधन हो गया।
'मुझे दलाल कह सकते हैं, लेकिन सत्ता दिलाना मेरा टैलेंट है'
अमर सिंह ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था- 'आप सीधे शब्दों में मुझे बिचौलिया या फिर दलाल भी कह सकते हैं, लेकिन मैंने कभी सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने की इच्छा नहीं जताई। मैं संबंधों और सत्ता को सबसे ज्यादा इम्पॉरटेंस देता हूं।' ऐसे ही बयानों ने अमर सिंह की इमेज एक बेबाक नेता के तौर पर बनाई।
अमर सिंह का 1 अगस्त को 64 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे और सिंगापुर में उनका इलाज चल रहा था। इसी अस्पताल से कुछ महीने पहले उन्होंने एक वीडियो भी पोस्ट किया था। उसमें उन्होंने अमिताभ बच्चन और उनके परिवार से माफी मांगी थी।
किराए की साइकिल लेकर घूमा करते थे
कांग्रेस के दिग्गज नेता मोतीलाल वोरा का 21 दिसंबर को निधन हो गया। दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे दो बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 2000 से 2018 तक पार्टी के कोषाध्यक्ष भी रहे थे।
वरिष्ठ संपादक रमेश नैयर ने बताया कि सभी मोतीलाल के परिश्रमी व्यक्तित्व के कायल थे। पत्रकार रहने के अलावा मोतीलाल वोरा ने दुर्ग, राजनांदगांव में पेट्रोल डिस्ट्रीब्यूशन और ट्रांसपोर्ट कंपनियों में भी काम किया। एक समय वे किराए की साइकिल लेकर घूमते थे।
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