Dainik Bhaskar
ऐसे कई सुपरहीरो और Larger Than Life चरित्र, जिन्हें 2020 हमसे छीन ले गया। किसी के पैरों की थिरकन करोड़ों लोगों के दिलों की धड़कन थी। किसी की फुर्ती और चालाकी देखने की चाहत रखने वालों के लिए थियेटर की कुर्सियां कम पड़ जाती थीं। कोई पहला ब्लैक सुपरहीरो रहा और कई लोगों का आइकन बना। कभी इन्होंने अपने काम से दुनिया भर में अपना लोहा मनवाया था, लेकिन यातनाओं से भरे साल 2020 को ये बड़े-बड़े किरदार भी मात नहीं दे सके। यहां हम ऐसी शख्सियतों का जिक्र कर रहे हैं, जो अब सिर्फ हमारी यादों में बसेंगे...
गर्व, ड्रामा, गड़बड़ी और नशे की लत वाली जिंदगी पीछे छोड़ मैराडोना 25 नवंबर 2020 को 60 की उम्र में दुनिया से विदा हो गए। कभी वे भगवान बने तो कभी बदमाश और शैतान। अकेले दम पर अर्जेंटीना को 1986 का फुटबॉल वर्ल्डकप जिताने वाले मैराडोना को 1994 फुटबॉल वर्ल्डकप से अपमानित करके निकाला भी गया।
मैराडोना के क्लब अर्जेंटीनोस जूनियर्स के वाइस प्रेसिडेंट ने कहा था...
'जब सरकार मुश्किल में थी, मैराडोना इससे ध्यान हटाने का जरिया थे। उन्होंने लोगों को खुश रखा। रोमन सरकार ने इसके लिए सर्कस का इस्तेमाल किया था, हमारी सेना ने फुटबॉल स्टेडियमों का इस्तेमाल किया।'
साल 1981 में होस्नी मिस्र की गद्दी पर बैठे और अगले 30 साल जबरन इस पर जमे रहे। लेकिन उनकी पावरफुल छवि तब जनता के दिमाग से धुल गई, जब 2011 में लाचार होस्नी को काहिरा कोर्ट में पेश किया गया। उन पर भ्रष्टाचार, गबन और गैरकानूनी हत्याओं के आरोप थे। 25 फरवरी 2020 को उनकी मौत हो गई।
शायद होस्नी मुबारक के ये शब्द उन पर ही लागू हुए...
'किसी भी राजनीतिक व्यवस्था और राज्य से गलतियां हो सकती हैं। जरूरी है कि गलतियां स्वीकार की जाएं और जल्द सही की जाएं। और जो लोग उनके पीछे हैं, उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाए।'
बास्केटबॉल सुपरस्टार कोबे ब्रायंट ने 20 साल के करियर में दो ओलिंपिक गोल्ड और पांच एनबीए खिताब जीते। महान माइकल जॉर्डन के रिटायर होने से एनबीए लीग में जो जगह खाली हुई, कोबे ने ही इसे भरा। 26 जनवरी को इस स्टार खिलाड़ी की कैलिफोर्निया में घर के पास एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई। उनकी 13 साल की बेटी जियाना मारिया ओनोर ब्रायंट भी हादसे में नहीं रहीं।
दुर्घटना में मौत की खबर सुनने वाले प्रशंसक चाहते थे कि कोबे लौटें और कहें...
'दबाव, चुनौतियों जैसी जो भी निगेटिविटी है, मेरे लिए उठने का एक अवसर है।'
अमेरिकी कांग्रेस सदस्य जॉन लुईस की जिंदगी पिछले आठ दशकों के नस्लभेद विरोधी आंदोलन का दस्तावेज हैं। वे मार्टिन लूथर किंग सहित आंदोलन से जुड़े 6 बड़े नेताओं में एक थे। विरोध प्रदर्शनों के दौरान उन्हें पीटा गया, जेल में डाला गया, लेकिन वे डरे नहीं।
जुलाई में दुनिया छोड़ जाने वाले लुईस के ये शब्द उनकी विरासत रहेंगे...
'वोट हमारे पास मौजूद सबसे शक्तिशाली अहिंसक हथियार है।'
जॉन लुईस के चाहने वालों ने ये बात बखूबी समझी। वे जॉर्जिया से पहली बार 1987 में चुनाव जीते थे। इसके बाद वे 16 बार चुने गए। उन्हें कभी भी 69% से कम वोट नहीं मिले।
पहले जेम्स बॉन्ड शॉन कॉनरी को जो सफलता और अमीरी नसीब हुई थी, उससे उन्हें आगे काम करने की जरूरत नहीं थी। फिर भी उन्होंने 'द नेम ऑफ द रोज' जैसी फिल्मों में और मुश्किल किरदार निभाए। हालांकि, कॉनरी का नाम हमेशा बॉन्ड से जुड़ा रहा। सभी जेम्स बॉन्ड एक्टर उन्हीं के बनाए स्टैंडर्ड पर परखे जाते रहे। इस तुलना में कॉनरी हमेशा 21 ही रहे।
परफेक्ट बॉडी, सधे स्कॉटिश लहजे और गंभीर आवाज वाले कॉनरी निजी जिंदगी में बहुत विनम्र थे। 90 की उम्र में दुनिया छोड़ गए कॉनरी खुद कहते थे...
'एक्टर होना कोई खास बात नहीं है।'
महिला अधिकारों की हिमायती रूथ बेडर गिंसबर्ग, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की जज बनने वाली दूसरी महिला थीं। साल 1993 में बिल क्लिंटन ने उन्हें नॉमिनेट किया था। अगले 27 सालों तक वे पद पर रहीं। सुप्रीम कोर्ट में दक्षिणपंथ का प्रभाव बढ़ने के साथ गिंसबर्ग की चर्चा भी बढ़ी। कई मामलों में उनकी असहमति खबरों में रही। अमेरिका में समलैंगिक विवाह की अनुमति दिलाने वाले मामले को वे करियर का सबसे खास केस मानती थीं। उनके फैसलों में दो बातें अक्सर सुनी जाती रहीं...
'अमेरिका में महिलाओं के साथ भेदभाव होता है।'
और
'यह भेदभाव अमेरिकी संविधान का उल्लंघन है।'
'ब्लैक पैंथर' पहली सुपरहीरो फिल्म थी, जो ऑस्कर में सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए नॉमिनेट हुई। इस फिल्म ने करीब 10 हजार करोड़ रुपये की रिकॉर्डतोड़ कमाई की थी। फिल्म के केंद्र थे चैडविक बोसमैन। एक ब्लैक लीड एक्टर, जो सुपरहीरो फिल्म ही नहीं, पूरे हॉलीवुड में दिखना दुर्लभ है। उन्होंने वकांडा के राजा का किरदार निभाया था। यह सुपरहीरो 28 अगस्त को मात्र 43 की उम्र में कैंसर की जंग हार गया।
उनकी कही ये बात फैंस की आंखों में अक्सर आंसू ले आती है...
'बढ़ती उम्र के लिए सबसे अच्छी सलाह! शुक्र मनाओ कि तुम अभी मरे नहीं हो!'
1960 के दशक में बीटल्स, फुटबॉल वर्ल्ड कप उठाए बॉबी मूर, जेम्स बॉन्ड बने शॉन कॉनरी के साथ डायना रिग भी दुनिया में चर्चित रहीं। ब्रिटिश टीवी के 'द एवेंजर्स' शो में सीक्रेट एजेंट की भूमिका निभाते हुए उन्होंने कई फैशन ट्रेंड बनाए। उन्होंने कई फिल्में भी कीं, लेकिन अपना टीवी स्टारडम वापस पाया- मशहूर शो 'गेम ऑफ थ्रोन्स' से। इसमें उन्होंने लेडी ओलेना टाइरेल का किरदार निभाया। शो की रिकॉर्डिंग पूरी कर उन्होंने हार्ट सर्जरी कराई, और ठीक होने पर व्यंग किया...
भगवान ने कहा होगा, 'इस पुरानी बोरी को वापस भेजो, मैं अभी उसे नहीं ले रहा।'
इंसान को चंद्रमा पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाली नासा की गणितज्ञ कैथरीन जॉनसन का 24 फरवरी को निधन हुआ। वे 101 साल की थीं। यह अफ्रीकी-अमेरिकी गणितज्ञ पहले अमेरिकी अंतरिक्ष मिशन से भी जुड़ी थीं। वे बहुचर्चित अपोलो-13 मिशन का हिस्सा भी थीं।
कैथरीन के जीवन पर ‘द हिडन फिगर्स’ नाम की एक फिल्म भी बनी। यह फिल्म इसी नाम की किताब पर आधारित थी। तीन कैटेगरी में ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुई, लेकिन जीत नहीं सकी। 2015 में उन्हें राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ‘प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम’ से सम्मानित भी किया। गणित में उनकी रुचि के बारे में पूछे जाने पर वे कहतीं...
'आदमी बारीकियों पर ध्यान नहीं देते।'
2016 में आई मीरा नायर के डायरेक्शन वाली डिज्नी की फिल्म 'क्वीन ऑफ कैटवे' में यादगार भूमिका निभाने वाली निकिता पर्ल वालिगावा नहीं रहीं। वे साल 2018 से ही ब्रेन ट्यूमर से जूझ रही थीं। इलाज के दौरान वालिगावा की भारत में भी सर्जरी कराई गई थी।
इस फिल्म में जिस तरह युगांडा को दिखाया गया, उसकी तारीफ हुई थी। वालिगावा ने 'ग्लोरिया' की भूमिका निभाई थी, जो लीड फियोना से अलग एक मुख्य शतरंज खिलाड़ी का किरदार था। ग्लोरिया का कहा एक डायलॉग हमेशा दर्शकों को याद रहेगा...
'शतरंज के खेल में कोई छोटा भी बड़ा बन सकता है।'
जॉर्ज मशहूर नहीं थे, लेकिन मौत के बाद वे 2020 की सबसे चर्चित शख्सियत बन गए। पुलिस बर्बरता के चलते उनकी मौत हुई। उनकी मौत के बाद अमेरिका में हिंसक प्रदर्शन हुए। ब्रिटेन और अमेरिका में गुलामी के कारोबार से जुड़े लोगों की प्रतिमाएं गिरा दी गईं। अमेरिकी पुलिस विभाग में बदलाव हुए। पुलिस की ओर से ऐसे सार्वजनिक आयोजन भी हुए, जिनमें पुलिस वालों ने नस्लभेद के लिए माफी मांगी। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में यह ट्रंप के खिलाफ बड़ा मुद्दा बना।
लेखिका नेलू केरामाती ने जॉर्ज की मौत पर कहा...
'अनदेखी आपको उस आग से नहीं बचा सकती, जिसमें पूरी दुनिया जल रही हो।'
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