Dainik Bhaskar
लॉकडाउन में पूरी दुनिया की तरह मेरी भी इकोनॉमी चौपट थी। क्या करता? 10-11 घंटे की नौकरी के बाद 12 हजार मिलते थे। लॉकडाउन में 2-3 महीने बैठना पड़ा, फिर पैसे की जरूरत पड़ी तो चाय बेचना शुरू किया। पहले पैदल ये काम करता था और अब साइकिल पर दुकान सजा ली है। कमाई हर महीने करीब 40 हजार रुपए तक पहुंच गई है। ये कहते-कहते महेंद्र कुमार वर्मा का चेहरा चमकने लगता है।
करीब 40 साल के महेंद्र वर्मा दिल्ली के टीकरी बॉर्डर इलाके में साइकिल पर चाय कॉफी बेचते हैं। लेकिन, महेंद्र वर्मा के लिए ये काम शुरू करना आसान नहीं था। शुरूआत में उनके पास काम में लगाने के लिए कोई पूंजी नहीं थी।
महेंद्र बताते हैं, 'पहले एक महीने मैं पैदल काम करता था। मेरे पास सिर्फ एक मामूली थर्मस था। फिर मैंने एक कोल्ड ड्रिंक बॉटल की ट्रे साइकिल पर बांधी। दो महीने से साइकिल पर काम कर रहा हूं।'
महेंद्र के पास अब कई थर्मस हैं और उनमें वो कई तरह की चाय-कॉफी बेचते हैं। एक कप लेमन टी, वो भी सिर्फ 5 रुपए में और दावा ये कि ऐसी लेमन टी किसी के पास नहीं मिलेगी। मिलेगी भी तो स्वाद उनके जैसा नहीं होगा। वो 5 रुपए में मसाला टी और 10 रुपए में कॉफी बेचते हैं। उनका मानना है कि कम दाम पर अधिक सेल करो, तो मुनाफा ज्यादा होता है।
महेंद्र बताते हैं, 'शुरुआत में दिक्कतें थीं, लेकिन जैसे-जैसे ठंड बढ़ती गई, मेरा काम बढ़ता गया। अब इस कमाई से 50 हजार का कर्ज उतार दिया है और काम और बढ़ाने की सोच रहा हूं। पांच और लोगों को चाय बेचने की ट्रेनिंग दी, लेकिन किसी ने इस काम को नहीं किया। ये बहुत चैलेंजिंग काम है। इसमें बहुत मेहनत करनी होती है। मेरी पुरानी साइकिल अब एक चलती-फिरती दुकान है, जिसमें पीछे कैरियर पर लगी एक ट्रे में कई थर्मस रखे हैं। इनमें अलग-अलग तरह की चाय और कॉफी है। लोगों को दिख रहा है कि मैं चाय बेच रहा हूं, लेकिन मुझे लगता है कि मैं वर्ल्ड क्लास बिजनेस कर रहा हूं।'
महेंद्र चाय बेचने के साथ-साथ एक मलेशियाई कंपनी के लिए नेटवर्क मार्केटिंग भी कर रहे हैं। उनका दावा है कि इस काम से वो हर महीने सात से आठ हजार रुपए के बीच कमा लेते हैं और ये उनकी अतिरिक्त कमाई है। हालांकि, नेटवर्किंग का काम रिस्की होता है और कई बार इसमें लगाया गया पैसा फंस जाता है। लेकिन, महेंद्र का दावा है कि उन्हें अच्छा रिटर्न मिल रहा है।
तीन बच्चों के पिता महेंद्र वर्मा ने जब चाय बेचने के काम के बारे में घर में बात की तो शुरू में इसका विरोध हुआ। वो कहते हैं, 'मेरे घर में तीन बच्चे हैं, बड़ी लड़की कॉस्मेटिक सेक्टर में काम कर रही है। उसे ही एक कंपनी में भर्ती कराने के लिए पचास हजार रुपए का कर्ज लिया था। पत्नी घर में ही सिलाई का काम करती हैं। शुरू में बच्चों को लगा था कि पापा चाय कॉफी बेचने का काम करेंगे। पत्नी को भी ऐतराज था कि लोग हंसेगे। दुनिया का सबसे बड़ा रोग है क्या कहेंगे लोग? करो तो भी कहेंगे ना करो तो भी कहेंगे। अब जब पत्नी को रोज पैसे मिलते हैं तो उसे अच्छा लगता है, बच्चे भी खुश हैं।'
कभी पांच सौ रुपए प्रतिदिन से भी कम पर मजदूरी करने वाले महेंद्र वर्मा अब रोजाना एक हजार रुपए से अधिक कमाते हैं और अपना काम करते हुए पहले से बहुत खुश भी है। वो कहते हैं, सबसे बड़ी खुशी इस बात की है कि उन्होंने ये काम अपने दम पर शुरू किया है।
महेंद्र कहते हैं कि उनके लिए लॉकडाउन एक मौके की तरह आया, जिसमें उन्होंने नया काम करना सीख लिया। युवाओं को सलाह देते हुए वर्मा कहते हैं, 'परेशान ना हों। किसी भी सेक्टर में खाने-पीने के आइटम का कारोबार करो, कभी मायूस नहीं होंगे। दिन-प्रतिदिन पैसा बढ़ता जाएगा। जैसे-जैसे आपकी पहचान बनती जाएगी, आपकी आमदनी भी बढ़ती जाएगी।'
लॉकडाउन खुलने के बाद सुधर रही है बेरोजगारी दर
कोरोना महामारी की वजह से दुनियाभर में अर्थव्यवस्था चौपट हुई है और काम धंधे बंद है। इसकी वजह से बड़े पैमाने पर लोग बेरोजगार हुए हैं। सेंटर फॉर मॉनीटिरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक, अप्रैल में भारत में बेरोजगारी दर 23.52 थी। जून में लॉकडाउन खुला तो हालात कुछ बेहतर हुए और तब से बेरोजगारी लगातार घट रही है। अब बेरोजगारी दर 7 प्रतिशत है।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3qGL8rO
No comments
If any suggestion about my Blog and Blog contented then Please message me..... I want to improve my Blog contented . Jay Hind ....