Dainik Bhaskar
कुछ लोग विपरीत परिस्थितियों में टूट जाते हैं, तो कुछ इन्हीं हालातों में एक ऐसा रास्ता तैयार करते हैं, जो उनकी जिंदगी ही बदल देता है। इंदौर की श्वेता वैद्य का बिजनेस करने का कोई प्लान नहीं था, लेकिन पति की अर्निंग कम होने के बाद हालात ऐसे बने कि कुछ करना उनकी मजबूरी हो गई। श्वेता ने न हारी मानी, न डरीं। बल्कि जितना पैसा था, उससे एक फूड स्टॉल लगाया और बिजनेस शुरू कर दिया। पहले 40 दिनों में ही जितना पैसा लगाया था, वो निकल गया और इसके बाद हर माह 30 से 35 हजार रुपए की बचत होने लगी। पढ़िए श्वेता की सक्सेस स्टोरी।
पति की अर्निंग कम हो गई थी, इसलिए सोचा कि अब कुछ करना ही पड़ेगा...
मैंने मुंबई यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। शादी के बाद इंदौर आ गई। कुछ समय बाद बच्चों की जिम्मेदारी आ गई तो कभी अपने करियर को लेकर कुछ सोचने का वक्त ही नहीं मिल सका। पति बिजनेसमैन हैं। वो आईटी से जुड़ा कामकाज करते हैं। मैं अपने पारिवारिक कामों में बिजी थी लेकिन 2015 से 2017 के बीच हमें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। मेरे पति की बिजनेस से होने वाली अर्निंग काफी कम हो गई थी। सेविंग्स खत्म हो रहीं थींं। दो छोटे बच्चे हैं। तब सोचा कि अब कुछ न कुछ करना ही होगा। मैंने पहले नौकरी भी की है। इसलिए मेरे पास दोबारा नौकरी करने का भी ऑप्शन था, मगर मन में लगा कि भले ही छोटा हो लेकिन कुछ अपना ही सेट करना चाहिए। कई दिनों तक सोचती रही कि क्या कर सकती हूं। फिर दिमाग में आया कि क्यों न फूड स्टॉल लगाया जाए। मेरी खाने में रुचि भी है और मुंबई में रहने के दौरान मैं अक्सर सोचा करती थी कि काश मेरा भी कोई कैफे हो।
स्टॉल लगाने का सोच तो लिया लेकिन क्या बेचूंगी? कैसे बेचूंगी? ये सब नहीं पता था। मेरी सासु मां पूरन पोली बहुत अच्छी बनाती थीं। उन्होंने कहा कि तुम पूरन पोली का ही स्टॉल क्यों नहीं शुरू करतीं। ये मार्केट में सब जगह मिलती भी नहीं और हमारी यूएसपी बन सकती है। बस फिर ये तय हो गया कि पूरन पोली का स्टॉल लगाएंगे। फिर सवाल आया कि, कहां लगाएं। पति ने कहा, इंदौर का सराफा एक ऐसा बाजार है, जहां हमेशा भीड़ होती है। इसलिए हमें वहीं स्टॉल लगाना चाहिए। उन्होंने अपने कॉन्टैक्ट से एक तीन फीट चौड़ी और इतनी ही लंबी जगह किराये पर ले ली।
फिर हमने उस जगह के हिसाब से एक ठेला कस्टमाइज करवाया। चूल्हा, बर्तन और जो जरूरी सामान था वो सब खरीदा। इन सब में 25 हजार रुपए खर्च हुए। हमने 2018 में नवरात्रि से अपने बिजनेस की शुरूआत कर दी। पूरन पोली सासु मां ही बनाया करती थीं क्योंकि वो इसमें एक्सपर्ट थीं। तब मैं उनसे सीख रही थी कि मैं कैसे बना सकती हूं। शुरू में हमें अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला। स्टॉल पर लोग आते तो थे लेकिन पूरन पोली अधिकतर को पसंद नहींं थी। कई लोग तो पूरन पोली को पराठा समझकर आ जाते थे। दो-तीन हफ्तों तक ऐसा ही चलते रहा। ग्राहकी बिल्कुल नहीं हो रही थी। मैं पास के स्टॉल पर देखती थी, वहां खूब भीड़ लगती थी। वो पराठे का स्टॉल था। लोग एक-एक घंटे का इंतजार करके पराठे खाते थे। मुझसे कई कस्टमर कहते थे कि आप पराठे क्यों नहीं रखतीं।
मार्केट की डिमांड देखते हुए मैंने स्टॉल शुरू होने के 20 दिन बाद ही पराठे लॉन्च कर दिए। आलू, पनीर, मिक्स, चीज जैसे पराठे हम देने लगे। पराठे बनाते मुझे पहले से आते थे। कुछ चीजें मैंने ऑब्जर्व भी कीं। पराठे शुरू होते ही धंधे ने रफ्तार पकड़ ली। इसके एक महीने बाद ही हमने जितना पैसा लगाया था वो पूरा वापस आ गया। फिर 2019 में पति अपने बिजनेस में लौट गए और मैं स्टॉल संभालने लगी। मैं रात में 9 से 2 बजे तक स्टॉल पर रहती थी। साथ में एक हेल्पर और एक कुक भी होता था। दिन में दो-तीन घंटे तैयारियों में जाते थे। इसके साथ में मैं पूरन पोली भी रखती रही क्योंकि यही हमारी यूएसपी थी। कुछ लोग पूरन पोली खाने भी आते थे।
हमें दूसरे महीने से ही 30 से 35 हजार रुपए की बचत होने लगी। यह बचत जगह का किराया और दो लोगों की सैलरी देने के बाद की है। कुछ समय बाद मैंने अपने ब्रांड को स्वीगी और जोमैटो पर भी एक्टिव कर दिया। स्वीगी से हमें काफी ऑर्डर मिलने लगे और ब्रांडिंग भी होने लगी। ये ऑर्डर दिन के होते थे। रात में हम सराफा में होते थे। सब बढ़िया चल रहा था, तभी लॉकडाउन लग गया और सब बंद हो गया। हालांकि अब एक बार फिर सराफा शुरू हो चुका है और मैं फिर से अपना स्टॉल शुरू करने जा रही हूं। इस बार एक्सपीरियंस भी है और टीम भी है। कस्टमर्स की डिमांड के हिसाब से हम अपना मैन्यू बदलते रहेंगे। हमने कस्टमर्स की डिमांड पूरी की, तभी उन्होंने हमें इतना अच्छा रिस्पॉन्स दिया। आखिरी में यही कहना चाहती हूं कि, कठिन दौर आए तो कभी घबराएं नहीं बल्कि आप क्या कर सकते हैं, ये सोचें। हम कदम आगे बढ़ाते हैं, तो कुछ न कुछ जरूर कर जाते हैं।
ये भी पढ़ें
बाराबंकी के सरकारी टीचर ने छुट्टी लेकर, फल-सब्जियों की खेती शुरू की, सालाना एक करोड़ हो रही है कमाई
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2H5Djd6
No comments
If any suggestion about my Blog and Blog contented then Please message me..... I want to improve my Blog contented . Jay Hind ....